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चारधाम यात्रा को लेकर असमंजस में बस संचालक, सरकार से की दो साल का टैक्स माफ करने की मांग - Uttarakhand Transport Federation meeting

उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले बस संचालकों ने एक बैठक की. जिसमें सरकार से 2 साल का टैक्स माफ करने और चालकों, परिचालकों सहित मालिकों को राहत राशि देने की मांग की गई.

बस संचालकों की सरकार से मांग
बस संचालकों की सरकार से मांग
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Published : Apr 23, 2021, 4:45 PM IST

Updated : Apr 23, 2021, 8:29 PM IST

ऋषिकेश: देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने एतियाहत के तौर पर उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों के लिए 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य कर दिया है. ऐसे हालात में पर्यटक उत्तराखंड का कम ही रुक कर रहे है. वहीं विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की बेचने भी बढ़ गई है. क्योंकि पिछले साल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उनका कोरोबार ठप हो गया था.

बस संचालकों की सरकार से मांग

चारधाम यात्रा को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने और परिवहन व्यवसायियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आज उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले बस संचालकों ने एक बैठक की. जिसमें सरकार से 2 साल का टैक्स माफ करने और चालकों, परिचालकों सहित मालिकों को राहत राशि देने की मांग की गई. बस संचालकों का साफ कहना है कि इस साल यदि यात्रा नहीं चलती तो बस संचालक आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार की खचाखच भरी रहने वाली सड़कें बनीं क्रिकेट पिच और दुकानदार बने क्रिकेटर्स, जानें वजह

परिवहन व्यवसायियों ने सरकार से निवेदन किया कि नेगेटिव रिपोर्ट लाने वाले पर्यटकों के लिए वाहनों में 50% सवारियों को बैठाने के फरमान को लागू न किया जाए. परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर रॉय ने बैठक में कहा कि पिछले साल यात्रा नहीं चलने से बस संचालकों को काफी नुकसान हुआ है. इस साल भी यात्रा नहीं चली तो बस संचालक पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएंगे. सरकार ने पिछले साल भी बस संचालकों की मांग के अनुरूप किसी भी प्रकार से लाभ पहुंचाने के लिए छूट नहीं दी.

परिवहन महासंघ ने सरकार से टैक्स में छूट और बस संचालकों को राहत राशि देने की मांग की है. परिवहन महासंघ अध्यक्ष ने बताया कि महामारी को देखते हुए परिवहन महासंघ आंदोलन करने के मूड में बिल्कुल नहीं है. यदि सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो हमे कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होगा.

ऋषिकेश: देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने एतियाहत के तौर पर उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों के लिए 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य कर दिया है. ऐसे हालात में पर्यटक उत्तराखंड का कम ही रुक कर रहे है. वहीं विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की बेचने भी बढ़ गई है. क्योंकि पिछले साल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उनका कोरोबार ठप हो गया था.

बस संचालकों की सरकार से मांग

चारधाम यात्रा को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने और परिवहन व्यवसायियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आज उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले बस संचालकों ने एक बैठक की. जिसमें सरकार से 2 साल का टैक्स माफ करने और चालकों, परिचालकों सहित मालिकों को राहत राशि देने की मांग की गई. बस संचालकों का साफ कहना है कि इस साल यदि यात्रा नहीं चलती तो बस संचालक आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

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परिवहन व्यवसायियों ने सरकार से निवेदन किया कि नेगेटिव रिपोर्ट लाने वाले पर्यटकों के लिए वाहनों में 50% सवारियों को बैठाने के फरमान को लागू न किया जाए. परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर रॉय ने बैठक में कहा कि पिछले साल यात्रा नहीं चलने से बस संचालकों को काफी नुकसान हुआ है. इस साल भी यात्रा नहीं चली तो बस संचालक पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएंगे. सरकार ने पिछले साल भी बस संचालकों की मांग के अनुरूप किसी भी प्रकार से लाभ पहुंचाने के लिए छूट नहीं दी.

परिवहन महासंघ ने सरकार से टैक्स में छूट और बस संचालकों को राहत राशि देने की मांग की है. परिवहन महासंघ अध्यक्ष ने बताया कि महामारी को देखते हुए परिवहन महासंघ आंदोलन करने के मूड में बिल्कुल नहीं है. यदि सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो हमे कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होगा.

Last Updated : Apr 23, 2021, 8:29 PM IST
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