देहरादून: दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपनी राजनीति की सियासी रणनीति बिछानी शुरू कर दी है. क्योंकि, लगभग 20 से 25 लाख प्रवासी उत्तराखंडी दिल्ली में रहते हैं. दिल्ली के कुछ इलाके में तो उत्तराखंड के ही लोग विधायकी के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं. वहीं, कांग्रेस का भी एक दल दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार में उतरने जा रहा है, जिसकी लिस्ट जल्दी सबके सामने होगी.
दिल्ली को साधने के लिए उत्तराखंड एक अहम कड़ी साबित हो सकता है. जल्द ही प्रदेश सरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए बड़े चेहरों को उतारने जा रही है. जिनमें से सबसे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम है. जो किसी भी वक्त दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए उतर सकते हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दिल्ली बेहद जरूरी है. दिल्ली देश की ही नहीं बल्कि देश के चाणक्य की भी राजधानी है तो ऐसे में दिल्ली को जितना जरूरी है और भाजपा इसमें कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है.
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वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस बयान पर तंज कसा है और कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले उत्तराखंड संभालें, फिर दिल्ली की बात करें. कांग्रेस की वरिष्ठ प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि निश्चित तौर से दिल्ली जरूरी तो है लेकिन जिस तरह से उत्तराखंड में भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते यहां के लोग त्रस्त हैं तो दिल्ली में मौजूद उत्तराखंडियों को भी इसकी पूरी जानकारी है.