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वन पंचायतों को मिलने जा रहा 628 करोड़ का प्रोजेक्ट, हर्बल-एरोमा बदलेगा लोगों का भाग्य

Uttarakhand Aroma and Herbal Scheme वन पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा एरोमा और हर्बल के क्षेत्र में काम किया जाएगा. जिसमें सभी पंचायतों को जोड़ा जाना है. इस प्रोजेक्ट से लोगों को आने वाले समय में लाभ मिलेगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 4, 2023, 8:54 AM IST

Updated : Nov 4, 2023, 10:16 AM IST

हर्बल-एरोमा बदलेगा लोगों का भाग्य

देहरादून: उत्तराखंड में वन पंचायतों के लिए धामी सरकार एक ऐसी योजना लाने जा रही है, जो यहां के भविष्य को बदल सकती है. सरकार की तरफ से कुल 628 करोड़ का प्रोजेक्ट पंचायत के लिए लाया जा रहा है, जिसमें एरोमा और हर्बल के क्षेत्र में काम किया जाएगा. खास बात यह है कि 10 साल के लिए होने वाली इस परियोजना में एक भारी भरकम रकम के जरिए 11000 से ज्यादा वन पंचायत सशक्त हो सकेंगी.

उत्तराखंड में 11230 वन पंचायतों के लिए 10 साल के एक्शन प्लान को तैयार किया गया है. यह प्रोजेक्ट हर्बल और अरोमा के क्षेत्र में वन पंचायत को मजबूत करने से जुड़ा हुआ है. इस दौरान 628 करोड़ रुपए का बजट भी इस परियोजना में खर्च किया जाएगा. इस दौरान 1600 से ज्यादा जड़ी बूटियां के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही इसकी निकासी के अधिकार को भी 11000 से ज्यादा वन पंचायतें अपने हाथों में ले सकेंगी. पहले चरण में करीब 200 से ज्यादा पंचायत को इसमें जोड़ा जाएगा और इन पंचायत में हर्बल और अरोमा गार्डन तैयार किए जाएंगे. जबकि इसके बाद बाकी पंचायत को भी धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा.राज्य भर में 11230 वन पंचायत से करीब 25 लाख लोग जुड़े हुए हैं.
पढ़ें-पौड़ी: ममता बौंठियाल ने ईजाद की नई हर्बल चाय, बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

यानी 10 साल के इस प्रोजेक्ट में 628 करोड़ के बजट के साथ लाखों लोगों को इसका फायदा मिलेगा. इस दौरान अरोमा और हर्बल गार्डन में जड़ी बूटी की खेती उनके उपयोग और मार्केटिंग सफेद दूसरी जानकारियां भी दी जाएगी. इससे इन पंचायत में पर्यटन भी बढ़ सकेगा और सीधे तौर पर वन पंचायत इन पर्यटकों को अपने उत्पाद बेच सकेंगे. इस परियोजना को तैयार करने के पीछे का मुख्य मकसद वन पंचायत को सशक्त करना है और यहां युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी तलाशना है.एक तरफ जहां प्रदेश में लोक खेती को छोड़ रहे हैं और इसके पीछे एक बड़ी वजह वन्य जीवों का खेती को नुकसान पहुंचाना भी है. अच्छी बात यह है कि अरोमा और हर्बल के उत्पादन से वन्य जीव भी दूर रहते हैं.
पढ़ें-वन अनुसंधान केंद्र ने संरक्षित कीं 40 से ज्यादा जड़ी-बूटियां, माणा में बनाया हर्बल गार्डन

लिहाजा ऐसे गार्डन बनने के बाद इस क्षेत्र में पंचायत से जुड़े लोग बिना वन्य जीवों की चिंता की एक काम कर सकेंगे.वन पंचायत के हर्बल गार्डन और अरोमा से जुड़ने के बाद जहां पर्यटकों के पहुंचने के बाद पंचायत को सीधा बाजार मिल सकेगा वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी बेहद ज्यादा डिमांड है. वैसे तो सरकार भी पंचायत में इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के बाद पंचायत से जुड़े लोगों को बाजार दिलाने का काम करेगी लेकिन इसके अलावा इसकी भारी डिमांड होने के कारण यह उत्पाद बिना सरकार की मदद के भी पंचायत राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी भेज सकती हैं. बड़ी बात यह भी है कि इस परियोजना के लिए उत्तराखंड कैबिनेट की तरफ से हाल ही में मंजूरी दी जा चुकी है और अब इस पर कैबिनेट की मंजूरी के बाद तेजी से काम आगे किया जा सकता है.

हर्बल-एरोमा बदलेगा लोगों का भाग्य

देहरादून: उत्तराखंड में वन पंचायतों के लिए धामी सरकार एक ऐसी योजना लाने जा रही है, जो यहां के भविष्य को बदल सकती है. सरकार की तरफ से कुल 628 करोड़ का प्रोजेक्ट पंचायत के लिए लाया जा रहा है, जिसमें एरोमा और हर्बल के क्षेत्र में काम किया जाएगा. खास बात यह है कि 10 साल के लिए होने वाली इस परियोजना में एक भारी भरकम रकम के जरिए 11000 से ज्यादा वन पंचायत सशक्त हो सकेंगी.

उत्तराखंड में 11230 वन पंचायतों के लिए 10 साल के एक्शन प्लान को तैयार किया गया है. यह प्रोजेक्ट हर्बल और अरोमा के क्षेत्र में वन पंचायत को मजबूत करने से जुड़ा हुआ है. इस दौरान 628 करोड़ रुपए का बजट भी इस परियोजना में खर्च किया जाएगा. इस दौरान 1600 से ज्यादा जड़ी बूटियां के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही इसकी निकासी के अधिकार को भी 11000 से ज्यादा वन पंचायतें अपने हाथों में ले सकेंगी. पहले चरण में करीब 200 से ज्यादा पंचायत को इसमें जोड़ा जाएगा और इन पंचायत में हर्बल और अरोमा गार्डन तैयार किए जाएंगे. जबकि इसके बाद बाकी पंचायत को भी धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा.राज्य भर में 11230 वन पंचायत से करीब 25 लाख लोग जुड़े हुए हैं.
पढ़ें-पौड़ी: ममता बौंठियाल ने ईजाद की नई हर्बल चाय, बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

यानी 10 साल के इस प्रोजेक्ट में 628 करोड़ के बजट के साथ लाखों लोगों को इसका फायदा मिलेगा. इस दौरान अरोमा और हर्बल गार्डन में जड़ी बूटी की खेती उनके उपयोग और मार्केटिंग सफेद दूसरी जानकारियां भी दी जाएगी. इससे इन पंचायत में पर्यटन भी बढ़ सकेगा और सीधे तौर पर वन पंचायत इन पर्यटकों को अपने उत्पाद बेच सकेंगे. इस परियोजना को तैयार करने के पीछे का मुख्य मकसद वन पंचायत को सशक्त करना है और यहां युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी तलाशना है.एक तरफ जहां प्रदेश में लोक खेती को छोड़ रहे हैं और इसके पीछे एक बड़ी वजह वन्य जीवों का खेती को नुकसान पहुंचाना भी है. अच्छी बात यह है कि अरोमा और हर्बल के उत्पादन से वन्य जीव भी दूर रहते हैं.
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लिहाजा ऐसे गार्डन बनने के बाद इस क्षेत्र में पंचायत से जुड़े लोग बिना वन्य जीवों की चिंता की एक काम कर सकेंगे.वन पंचायत के हर्बल गार्डन और अरोमा से जुड़ने के बाद जहां पर्यटकों के पहुंचने के बाद पंचायत को सीधा बाजार मिल सकेगा वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी बेहद ज्यादा डिमांड है. वैसे तो सरकार भी पंचायत में इस प्रोजेक्ट को तैयार करने के बाद पंचायत से जुड़े लोगों को बाजार दिलाने का काम करेगी लेकिन इसके अलावा इसकी भारी डिमांड होने के कारण यह उत्पाद बिना सरकार की मदद के भी पंचायत राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी भेज सकती हैं. बड़ी बात यह भी है कि इस परियोजना के लिए उत्तराखंड कैबिनेट की तरफ से हाल ही में मंजूरी दी जा चुकी है और अब इस पर कैबिनेट की मंजूरी के बाद तेजी से काम आगे किया जा सकता है.

Last Updated : Nov 4, 2023, 10:16 AM IST
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