देहरादून: आगामी 4 मार्च को उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार अपना चौथा बजट गैरसैंण में पेश करने जा रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि ढाई लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था रखने वाले उत्तराखंड में इस बजट के बाद विकास को रफ्तार मिलेगी. सरकार इस बार करीब 53 हजार करोड़ रुपए का बजट सदन में पेश करेगी लेकिन कुछ मामलों पर सरकार की चिंता बनी हुई है. सरकार के सामने कई ऐसी चुनौतियां है, जो राज्य सरकार को सोचने पर मजबूर कर देती है.
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इसमें सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती बेरोजगारी, पहाड़ और मैदान के बीच विकास की रफ्तार जिसकी वजह से पहाड़ खाली हो रहे हैं. यानी पहाड़ से होता पलायन सरकार के लिए बड़ी समस्या है. ऐसे में बुनियादी ढांचे को बेहतर करना ही इन जख्मों पर मरहम का काम कर सकता है.
इसको ध्यान में रखते हुये सरकार को इस बजट में बिजली, सड़क, साफ पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और स्कूल जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा. पिछले कुछ सालों के बजट पर ध्यान दिया जाए तो राज्य सरकार का आधा से ज्यादा पैसा अवस्थापना में नहीं बल्कि वेतन, पेंशन और पहले से चले आ रहे कर्ज के ब्याज चुकाने में चला जाता है. ये हालात पिछले पांच साल से बने हुए हैं. इसमें एक बजट तो कांग्रेस सरकार का भी शामिल है.
5 सालों के बजट के खर्च का ब्योरा-
- 2016-17 में कांग्रेस सरकार ने 35,609 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था, जिसमें से वेतन, पेंशन और ब्याज में खर्च हुआ करीब 16,464 करोड़ रुपए जो कुल बजट का 46.23 प्रतिशत था.
- इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार ने 2017-18 में अपना पहला बजट पेश किया है, जो 42,725 करोड़ रुपए का था. इसमें से वेतन, पेंशन और ब्याज में 20,141 करोड़ रुपए खर्च हुए जो कुल बजट का 47.14 प्रतिशत था.
- त्रिवेंद्र सरकार ने 2018-19 में 45,585 करोड़ रुपए का दूसरा बजट पेश किया. इसमें से वेतन, पेंशन और ब्याज में 24024 करोड़ रुपए खर्च हुए जो कुल बजट का 52.70 प्रतिशत था.
- त्रिवेंद्र सरकार ने 2019-20 में 48,663 करोड़ रुपए का तीसर बजट पेश किया. जिसमें से वेतन, पेंशन और ब्याज में करीब 27,865 करोड़ रुपए खर्च हुए, जो कुल बजट का 52.70 प्रतिशत था.
बात यहीं खत्म नहीं होती वित्त महालेखाकार यानी सीएजी की मानें तो हर साल वेतन, पेंशन और ब्जाज की रकम बढ़ती जा रही है. पिछले चार बजट के आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि उत्तराखंड में बजट का आधा हिस्सा वेतन, पेंशन और ब्याज चुकाने में चला जाता है. ये स्थिति तब है जब सरकार प्रशासनिक स्तर पर कई खर्चों में कटौती कर चुकी है. ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सड़क, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे बुनियादी सुविधाओं के लिए बजट जुटाना है.
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चार मार्च को त्रिवेंद्र सरकार अपना चौथा बजट पेश करने जा रही है. लेकिन समस्या फिर वहीं खड़ी कि बजट का आधा हिस्सा वेतन, पेशन और ब्याज चुकाने में चला जाता है. ऐसे में सरकार बुनियादी सुविधाओं को लिए बजट कहां से लाए, जो सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
इस बारे में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह बताते हैं कि इस बार सरकार की कोशिश प्रदेश की कार्यप्रणाली को बेहतर करते हुए अधिक से अधिक अवस्थापना सुविधाओं पर केंद्रित बजट को खर्च करने का है.