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खुशखबरी: देवभूमि के पशुपालकों को मालामाल करेगी ऑस्ट्रेलिया की 'मेरिनो'

राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत केंद्र सरकार ने उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लिए आस्ट्रेलिया से भेड़ों को आयात किया है. जिसका 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार ने उठाया है और बाकी दस फीसदी का खर्च राज्य सरकार उठा रही है.

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ऑस्ट्रेलिया की मेरिनो भेड़
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Published : Dec 26, 2019, 4:31 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 5:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लोगों की आर्थिक स्थित बेहतर करने के लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से उच्च गुणवत्ता की 240 मेरिनो भेड़ आयात की हैं. जिन्हें राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र कोपडधार टिहरी में रखा गया है. इससे फायदा उत्तराखंड के पशुपालकों को मिलेगा. मेरिनो भेड़ से प्रदेश में न सिर्फ ऊन का उत्पादन तिगुना होगा बल्कि उच्च गुणवत्ता की ऊन भी मिलेगी.

उत्तराखंड में ऊन के कारोबार को बढ़ाने के उद्देश्य से आस्ट्रेलिया से खास नस्ल की मेरिनो भेड़ को लाया है. आस्ट्रेलिया से मंगवाई गई 240 भेड़ों पर करीब आठ करोड़ 50 लाख रुपए का खर्च आया है. जिनमें से 200 फीमेल और 40 मेल है. इन भेड़ों को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में तीन साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद किसानों को इस उच्च नस्ल की भेड़ को एक्सचेंज में दिया जाएगा.

पढ़ें- CCTV की निगरानी में रहेगा उत्तरकाशी जिला, इन जगहों को दी जाएगी प्राथमिकता

गौर हो कि भारत सरकार ने देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया से मेरिनो भेड़ों का आयात किया है. जिसका 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार ने उठाया है और बाकी का दस फीसदी खर्च राज्य सरकार उठा रही है. इनमें खास बात ये है कि एक भेड़ से छह से आठ किलो तक ऊन निकाला जा सकता है, जो भारतीय नस्ल की भेड़ों से काफी ज्यादा है. यही नहीं इस नस्ल के भेड़ से आठ साल तक ऊन निकाला जा सकता है.

देवभूमि के पशुपालकों को मालामाल करेगी ऑस्ट्रेलिया की 'मेरिनो'

वहीं, इन भेड़ों के रखरखाव के लिए आस्ट्रेलिया से आये पशुपालकों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि ये भेड़ राज्य के पशुपालकों की आय दोगुनी करने में सहायक और ऊन व्यवसाय के लिए वरदान साबित होगी. उन्होंने बताया कि देश में आस्ट्रेलिया से इस भेड़ की ऊन मंगवाया जाता है जो काफी महंगी होती है, लेकिन भारत में इन भेड़ों का पालन होने से ऊन के लिए अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

पढ़ें- अटल आयुष्मान योजना पर CM त्रिवेंद्र गदगद, स्वास्थ्य विभाग जता रहा चिंता

पशुपालन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से अभी तक पशुपालन विभाग ने किसी भी नई नस्ल की भेड़ों का आयात नहीं किया था. राज्य में उत्तर प्रदेश के समय से लाई गई भेड़ों से ही ऊन उत्पादन किया जा रहा था, जो एक शेरिंग में दो से चार किलो ऊन ही उत्पादन करती थी. लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया से जिस मेरिनो भेड़ को आयात किया गया है. उससे छह से आठ किलों ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा. अभी राज्य में 558 मैट्रिक टन ऊन का उत्पादन हो रहा है, इन इन भेड़ों के आने से ऊन उत्पादन बढ़कर तिगुना हो जाएगा. इसके साथ ही साथ राज्य में अब कॉरपोरेट ऊन की जगह फाइन ऊन का भी उत्पादन हो सकेगा.

देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लोगों की आर्थिक स्थित बेहतर करने के लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से उच्च गुणवत्ता की 240 मेरिनो भेड़ आयात की हैं. जिन्हें राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र कोपडधार टिहरी में रखा गया है. इससे फायदा उत्तराखंड के पशुपालकों को मिलेगा. मेरिनो भेड़ से प्रदेश में न सिर्फ ऊन का उत्पादन तिगुना होगा बल्कि उच्च गुणवत्ता की ऊन भी मिलेगी.

उत्तराखंड में ऊन के कारोबार को बढ़ाने के उद्देश्य से आस्ट्रेलिया से खास नस्ल की मेरिनो भेड़ को लाया है. आस्ट्रेलिया से मंगवाई गई 240 भेड़ों पर करीब आठ करोड़ 50 लाख रुपए का खर्च आया है. जिनमें से 200 फीमेल और 40 मेल है. इन भेड़ों को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में तीन साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद किसानों को इस उच्च नस्ल की भेड़ को एक्सचेंज में दिया जाएगा.

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गौर हो कि भारत सरकार ने देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया से मेरिनो भेड़ों का आयात किया है. जिसका 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार ने उठाया है और बाकी का दस फीसदी खर्च राज्य सरकार उठा रही है. इनमें खास बात ये है कि एक भेड़ से छह से आठ किलो तक ऊन निकाला जा सकता है, जो भारतीय नस्ल की भेड़ों से काफी ज्यादा है. यही नहीं इस नस्ल के भेड़ से आठ साल तक ऊन निकाला जा सकता है.

देवभूमि के पशुपालकों को मालामाल करेगी ऑस्ट्रेलिया की 'मेरिनो'

वहीं, इन भेड़ों के रखरखाव के लिए आस्ट्रेलिया से आये पशुपालकों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि ये भेड़ राज्य के पशुपालकों की आय दोगुनी करने में सहायक और ऊन व्यवसाय के लिए वरदान साबित होगी. उन्होंने बताया कि देश में आस्ट्रेलिया से इस भेड़ की ऊन मंगवाया जाता है जो काफी महंगी होती है, लेकिन भारत में इन भेड़ों का पालन होने से ऊन के लिए अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

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पशुपालन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से अभी तक पशुपालन विभाग ने किसी भी नई नस्ल की भेड़ों का आयात नहीं किया था. राज्य में उत्तर प्रदेश के समय से लाई गई भेड़ों से ही ऊन उत्पादन किया जा रहा था, जो एक शेरिंग में दो से चार किलो ऊन ही उत्पादन करती थी. लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया से जिस मेरिनो भेड़ को आयात किया गया है. उससे छह से आठ किलों ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा. अभी राज्य में 558 मैट्रिक टन ऊन का उत्पादन हो रहा है, इन इन भेड़ों के आने से ऊन उत्पादन बढ़कर तिगुना हो जाएगा. इसके साथ ही साथ राज्य में अब कॉरपोरेट ऊन की जगह फाइन ऊन का भी उत्पादन हो सकेगा.

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उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत प्रदेश में भेड़ो के नस्ल में सुधार, ऊन की गुणवत्ता को बढ़ाने और ऊन उत्पाद को बढ़ाने को लेकर ऑस्ट्रेलिया से उच्च गुणवत्ता की 240 मेरिनो भेड़ आयात किए गए हैं। जिसे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र कोपडधार, टिहरी में रखा गया है। इससे ना सिर्फ प्रदेश में ऊन का उत्पाद तिगुना होगा बल्कि उच्च गुणवत्ता युक्त ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा। 


Body:भेड़ पालन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि और उत्तराखंड में ऊन के कारोबार में वृद्धि की दृष्टि से राज्य में आस्ट्रेलिया से खास नस्ल की मेरिनो भेड़ो को लाया है। आस्ट्रेलिया से मंगायी गयी इन 240 भेड़ो में 8 करोड़ 50 लाख का खर्च आया है। जिसमे 200 फीमेल और 40 मेल शामिल है। इन भेड़ो को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में 3 साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा। जिसके बाद  किसानों को इस उच्च नस्ल की भेड़ो को एक्सचेंज में दिया जाएगा।


भारत सरकार ने देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर, और उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया से मेरिनो भेड़ो का आयात किया है। इन भेड़ो की खास बात ये है कि इन भेड़ो से 6 से 8 किलो ऊन निकाला जा सकता है। जो भारतीय नस्ल की भेड़ो से काफी ज्यादा है। यही नही इस नस्ल के भेड़ से 8 साल तक ऊन का उत्पादन किया जा सकता है। 


इन भेड़ो के रखरखाव के लिए आस्ट्रेलिया से आये किसानों का राज्य के मुख्यमंत्री ने स्वागत करते हुए बताया कि ये भेड़ राज्य के किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक होंगी। यही नही राज्य में भेड़ व्यवसाय के लिए भी वरदान साबित होंगी। साथ ही बताया कि देश मे आस्ट्रेलिया से ऊन को मंगवाया जाता है जो काफी महंगी होती है लेकिन भारत मे इन भेड़ो का पालन होने से ऊन के लिए विदेशो पर निर्भर नही रहना पड़ेगा।

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री


वही पशुपालन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से अभी तक पशुपालन विभाग ने किसी भी नयी नस्ल की भेड़ो का आयात नही किया था। राज्य में उत्तर प्रदेश के समय से लाई गई भेड़ो से ही ऊन उत्पादन किया जा रहा था। और ये भेड़ एक शेरिंग में 2 से 4 किलो ऊन ही उत्पादन करती थी जबकि अब ऑस्ट्रेलिया से जिस नस्ल की भेड़ो का आयात किया है। इनसे 6 से 8 किलो ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा। साथ ही बताया कि अभी राज्य में 558 मैट्रिक टन ऊन का उत्पादन हो रहा है। जो अब बढ़कर तिगुना होने की संभावना है। इसके साथ ही साथ राज्य अब कारपोरेट ऊन की जगह फाइन ऊन का भी उत्पादन हो सकेगा। 

बाइट - आर मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव, पशुपालन विभाग





Conclusion:राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत केंद्र सरकार ने उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लिए आस्ट्रेलिया से भेड़ो का आयात किया है। जिसके कुल खर्च का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार और 10 फीसदी राज्य सरकार ने खर्च किया है। केंद्र सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए ये कदम उठाया है। जिसकी शुरुआत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के से की गई है। हालांकि राज्य सरकार उत्तराखंड के पहाड़ी परिवेश में रोजगार और व्यवसाय की दृष्टि से बेहद खास मान रही है।
Last Updated : Dec 26, 2019, 5:30 PM IST
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