देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लोगों की आर्थिक स्थित बेहतर करने के लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से उच्च गुणवत्ता की 240 मेरिनो भेड़ आयात की हैं. जिन्हें राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र कोपडधार टिहरी में रखा गया है. इससे फायदा उत्तराखंड के पशुपालकों को मिलेगा. मेरिनो भेड़ से प्रदेश में न सिर्फ ऊन का उत्पादन तिगुना होगा बल्कि उच्च गुणवत्ता की ऊन भी मिलेगी.
उत्तराखंड में ऊन के कारोबार को बढ़ाने के उद्देश्य से आस्ट्रेलिया से खास नस्ल की मेरिनो भेड़ को लाया है. आस्ट्रेलिया से मंगवाई गई 240 भेड़ों पर करीब आठ करोड़ 50 लाख रुपए का खर्च आया है. जिनमें से 200 फीमेल और 40 मेल है. इन भेड़ों को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में तीन साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा. जिसके बाद किसानों को इस उच्च नस्ल की भेड़ को एक्सचेंज में दिया जाएगा.
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गौर हो कि भारत सरकार ने देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया से मेरिनो भेड़ों का आयात किया है. जिसका 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार ने उठाया है और बाकी का दस फीसदी खर्च राज्य सरकार उठा रही है. इनमें खास बात ये है कि एक भेड़ से छह से आठ किलो तक ऊन निकाला जा सकता है, जो भारतीय नस्ल की भेड़ों से काफी ज्यादा है. यही नहीं इस नस्ल के भेड़ से आठ साल तक ऊन निकाला जा सकता है.
वहीं, इन भेड़ों के रखरखाव के लिए आस्ट्रेलिया से आये पशुपालकों का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि ये भेड़ राज्य के पशुपालकों की आय दोगुनी करने में सहायक और ऊन व्यवसाय के लिए वरदान साबित होगी. उन्होंने बताया कि देश में आस्ट्रेलिया से इस भेड़ की ऊन मंगवाया जाता है जो काफी महंगी होती है, लेकिन भारत में इन भेड़ों का पालन होने से ऊन के लिए अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
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पशुपालन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से अभी तक पशुपालन विभाग ने किसी भी नई नस्ल की भेड़ों का आयात नहीं किया था. राज्य में उत्तर प्रदेश के समय से लाई गई भेड़ों से ही ऊन उत्पादन किया जा रहा था, जो एक शेरिंग में दो से चार किलो ऊन ही उत्पादन करती थी. लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया से जिस मेरिनो भेड़ को आयात किया गया है. उससे छह से आठ किलों ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा. अभी राज्य में 558 मैट्रिक टन ऊन का उत्पादन हो रहा है, इन इन भेड़ों के आने से ऊन उत्पादन बढ़कर तिगुना हो जाएगा. इसके साथ ही साथ राज्य में अब कॉरपोरेट ऊन की जगह फाइन ऊन का भी उत्पादन हो सकेगा.