देहरादून: देश में भले ही राजनीतिक हलचल हो या फिर अपराध से जुड़ी घटना, वह भले ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक या किसी भी राज्य में घटी हो. लेकिन उनके तार उत्तराखंड से जरूर जुड़ते हैं. किसी ना किसी वजह से देश के चर्चित मामलों में उत्तराखंड के शहरों के नाम आते रहे हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं जो घटे तो कहीं और लेकिन उनका ताल्लुक उत्तराखंड से था.
सबसे ताजा उदहारण है श्रीकांत त्यागी: किस्सों में सबसे पहले हम बात करते हैं अपराध से जुड़े उनके मामलों की देश में हमेशा से चर्चाओं में रहे. हालांकि इनकी लिस्ट बेहद लंबी है लेकिन हम उन चुनिंदा किस्सों को आपके सामने रखने जा रहे हैं, जिनके बारे में आपने भी सुना होगा. आपको याद होगा हाल ही में नोएडा स्थित अपार्टमेंट में महिला से बदसलूकी करने के आरोप में जिस श्रीकांत त्यागी की तलाश उत्तर प्रदेश की पुलिस कर रही थी. उस श्रीकांत त्यागी को भी महफूज रहने का ठिकाना उत्तराखंड में ही मिला.
यही कारण है कि जैसे ही वीडियो वायरल हुआ उसके बाद श्रीकांत ने अपने आप को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा से निकलकर उत्तराखंड आना ही उचित समझा. इस बात का खुलासा तब हुआ जब श्रीकांत त्यागी ने फरार होने के बाद अपने मोबाइल को ऑन-ऑफ किया. उत्तर प्रदेश की एसटीएफ लगातार श्रीकांत त्यागी के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाकर रखी थी कि तभी उत्तर प्रदेश की पुलिस को यह जानकारी मिली कि श्रीकांत त्यागी नोएडा से भागकर उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश की तरफ गया है.
इसके बाद देश की मीडिया और अखबारों में हरिद्वार ऋषिकेश और देहरादून चर्चाओं में आ गए. हालांकि बाद में यहां से निकलने के बाद श्रीकांत त्यागी मेरठ पहुंच गया, जहां से उसे उत्तर प्रदेश की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. श्रीकांत त्यागी ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि पहले वह नोएडा से निकलकर सहारनपुर उसके बाद हरिद्वार और ऋषिकेश के बाद मेरठ के लिए रवाना हो गया था.
लगातार उसके पीछे पुलिस थी लिहाजा उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह जाए कहां. हालांकि, उसकी गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश में ही हुई. लेकिन इस घटना ने भी बता दिया कि अपराध देश के किसी भी कोने में हो और वह अपराध अगर हाई प्रोफाइल है तो उसके तार उत्तराखंड से जुड़ जाते हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में लोकेशन मिलने के बाद कैसे गायब हुआ था 'गालीबाज' श्रीकांत? 8 टीमें 4 दिन से लगी थी पीछे
सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों को भी पसंद आई वादियां: इससे पहले भी कई अपराधियों ने उत्तराखंड के शहरों में शरण लेने की कोशिश की है. हाल ही में पंजाब के जाने माने सिंगर सिद्दू मूसेवाला की हत्या हो गई थी. पंजाब, दिल्ली की पुलिस लगातार इस मामले में जेल में बंद अपराधियों और बाहर घूम रहे अपराधियों की तलाश में थी. इसी दौरान उत्तर प्रदेश की पुलिस ने उत्तराखंड की पुलिस से संपर्क साधा और इस बात की जानकारी दी कि मूसेवाला हत्याकांड से जुड़े कुछ लोग उत्तराखंड की तरफ पहुंचे हैं, जिसके बाद पंजाब पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस के साथ मिलकर उस वक्त देहरादून से 3 लोगों को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में खुलासा हुआ की हत्या की प्लानिंग जिस वक्त हो रही थी उस वक्त देहरादून के ही एक किराए के मकान में शूटर रह रहा था. हालांकि बाद में उसे पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
निठारी कांड से जुड़ा उत्तराखंड का नाम: अपराधों की श्रेणी में अगर अपराधों को करने का तरीका देखा जाए, तो उसमें सबसे घिनौना तरीका गाजियाबाद में निठारी हत्याकांड भी है. 2005-06 में घटी इस घटना ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था. इस घटना में उधमसिंह नगर के रहने वाले व्यक्ति गौतमबुद्ध नगर में रहता था. उसकी बेटी नौकरी तलाश में जगह-जगह जा रही थी. तभी उसकी बेटी अपने घर से यह कहकर निकली थी कि वह निठारी के D5 कोठी में काम करने के लिए जा रही है. लेकिन उसके बाद वह वापस नहीं आई.
घरवालों ने इसकी सूचना उस वक्त नोएडा के सेक्टर 20 में दर्ज करवाई, जहां पर पुलिस ने लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इसके बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली पर कोर्ट ने अपहरण का केस दर्ज कर लिया था. क्योंकि लड़की का फोन उसी लोकेशन से बरामद हुआ था. इसके बाद इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हुई. इस पूरे मामले में यह बात निकलकर आई कि सुरेंद्र कोहली उत्तराखंड के कुमाऊं से ताल्लुक रखता था.
पढ़ें- Moosewala Murder Case: उत्तराखंड में हुई थी प्लानिंग! देहरादून में छिपा था मुख्य शूटर प्रियव्रत
इतना ही नहीं मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर भी कुमाऊं की जानी-मानी यूनिवर्सिटी का हिस्सा था. इस पूरे घटनाक्रम में जांच एजेंसियों ने कई बार उत्तराखंड का रुख किया. ऐसे में निठारी हत्याकांड में भी उत्तराखंड खूब चर्चा में रहा. इस पूरे मामले पर दोनों ही मुख्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी. साल 2014 में भी राष्ट्रपति ने दया याचिका दोनों की रद्द कर दी थी. हालांकि 28 जनवरी 2015 को कोहली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.
निर्भया कांड में भी चर्चा में रहा उत्तराखंड: अपराधों की लिस्ट में निर्भया कांड को भी कभी नहीं भुलाया जा सकता कहा जाता है कि आजादी के बाद अपराध जितने भी हुए उस में से सबसे जघन्य अपराधों में से निर्भया हत्याकांड भी रहा. कैसे 16 दिसंबर, 2012 में उस रात को चलती बस में कुछ दरिंदों ने निर्भया को अधमरा कर गाड़ी से फेंक दिया था.
इस घटना का भी कुछ अंश उत्तराखंड से जुड़ा, जब जानकारी बाहर निकल कर आई कि जिस बेटी के साथ यह घटनाक्रम हुआ है. वह बेटी भी राजधानी देहरादून के एक इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रही थी. देहरादून स्थित दिलाराम चौक के पास यह बेटी लंबे समय तक पढ़ाई करती रही. जिसके बाद जांच एजेंसियों ने देहरादून आकर इस मामले के भी साक्ष्य जुटाए थे.
जेडे हत्याकांड का उत्तराखंड कनेक्शन: अपराध के किस्सों में एक किस्सा और बेहद मशहूर आज इसका संबंध उत्तराखंड के कुमाऊं से रहा. 11 जून, 2011 को महाराष्ट्र के क्राइम रिपोर्टर जेडे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का नाम सामने आ रहा था. महाराष्ट्र पुलिस लगातार इस पूरे मामले की जांच कर रही थी कि तभी पुलिस ने अपनी तफ्तीश में पाया के मुख्य आरोपी जो उस वक्त पैरोल से छूटने के बाद जेल में वापस नहीं लौटा. उसी दीपक सिसोदिया ने जेडे की हत्या की है.
पुलिस को यह जानकारी मिली कि हत्यारा मुंबई से भागकर उत्तराखंड के नैनीताल और हल्द्वानी शहर में ले रहा है. लिहाजा, महाराष्ट्र पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस से संपर्क किया और दोनों ने ही जॉइंट ऑपरेशन चलाया. महाराष्ट्र पुलिस ने इस पूरे मामले पर हल्द्वानी में भी एक मुकदमा दीपक सिसोदिया के खिलाफ दर्ज करवाया था. बाद में उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स और मुंबई पुलिस की सतर्कता के चलते मुख्य आरोपी दीपक सिसोदिया को पुलिस ने नैनीताल से गिरफ्तार कर लिया.
उस वक्त उत्तराखंड और नैनीताल जेडे हत्याकांड के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद खूब चर्चा में आया. पुलिस पूछताछ में हत्यारे ने कबूल किया था कि वह कुमाऊं में ही लंबे समय से रह रहा था. इतना ही नहीं इस पूरे मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के नाम की भी उस वक्त पुष्टि हुई थी. जब दीपक सिसोदिया ने इस बात की हामी भरी थी कि छोटा राजन के लिए काम करता है. जेडे मुंबई के खोजी पत्रकारों में से एक थे, जिनसे अपराध की दुनिया के लोग बेहद खौफ खाते थे.
जिस बच्ची के लिए देश की पुलिस थी, परेशान वो भी मिली उत्तराखंड से: महाराष्ट्र में घटी एक घटना भी खूब सुर्खियों में रहा. यह किस्सा था उस वक्त का जब साल 2012 में 10 जून की रात को मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन से एक बच्ची चोरी हो गई थी. इस बच्ची को चोरी करने वाला व्यक्ति एक पैर से दिव्यांग था. लिहाजा, इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सीसीटीवी में कैद हो गया. महाराष्ट्र पुलिस के बड़े अधिकारियों ने इस पूरे मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और तमाम राज्यों से सहयोग मांगा कि ऐसा कोई भी व्यक्ति अगर उनके राज्य में दिखाई देता है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें.
यह मामला कई दिनों तक चलता रहा, उत्तर प्रदेश पुलिस, बिहार पुलिस, पंजाब पुलिस, दिल्ली पुलिस सहित तमाम राज्यों की पुलिस इस बच्ची और आरोपी को खोजने में लग गई. लेकिन इस पूरे मामले का पटाक्षेप तब हुआ, जब हरिद्वार के एसएसपी अरुण मोहन जोशी को इस बात की सूचना मिली कि एक व्यक्ति जिसका पैर खराब है. वह बच्ची को लेकर हरिद्वार में देखा गया है. लिहाजा, हरिद्वार एसएसपी ने इस पूरे मामले की जानकारी महाराष्ट्र पुलिस को दी.
महाराष्ट्र पुलिस ने भी हरिद्वार पुलिस से संपर्क साधे रखा और लगभग 7 टीमों की खोजबीन के बाद हरिद्वार से राजू नाम का आरोपी गिरफ्तार हो गया. उस वक्त हरिद्वार पुलिस की खूब वाहवाही हुई. महाराष्ट्र पुलिस ने कहा कितने राज्यों को पार करता हुआ. यह व्यक्ति हरिद्वार तक पहुंच गया लेकिन किसी भी राज्य की पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया. लिहाजा, इस पूरे मामले का खुलासा करने के लिए हरिद्वार पुलिस को सम्मानित भी किया गया था.
इस पूरे मामले की जांच लगभग 102 कैमरों से चल रही थी. 102 कैमरों की मदद से महाराष्ट्र पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी. आरोपी राजू महाराष्ट्र से बाहर चला गया है. बाद में इस बच्ची को सकुशल परिवार को सौंप दिया गया.
नरेंद्र गिरि की हत्या का कनेक्शन उत्तराखंड से: इसी साल इलाहाबाद के जाने-माने संत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश के तमाम बड़े राजनेताओं से बेहद करीबी संबंध रखने वाले नरेंद्र गिरी की मौत कैसे हुई? इस पूरे मामले पर सबकी नजर थी. लिहाजा, इस मामले ने तूल पकड़ लिया, जब पुलिस को नरेंद्र गिरि द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट मिला.
इतना ही नहीं, बार-बार इस बात की जानकारी सामने आती रही कि संदेह के घेरे में कोई और नहीं खुद उनके शिष्य आनंद गिरि हैं. घटना के बाद से ही आनंद गिरि आसपास नहीं देखे जा रहे थे. लिहाजा, उत्तर प्रदेश की स्पेशल टीम को इस बात के लिए लगाया गया कि आनंद गिरि की खोजबीन की जाए. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस के सहयोग से इस बात की जानकारी मिली. आनंद गिरि को हरिद्वार और ऋषिकेश में देखा गया है.
लिहाजा, पहले हरिद्वार पुलिस और बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के संयुक्त अभियान में आनंद गिरि को हरिद्वार के श्यामपुर थाना क्षेत्र उनके आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया. देश भर में सुर्खियां बटोर रहा यह मामला भी हरिद्वार या यह कहें उत्तराखंड आकर ही सुलझा.
नाभा जेल ब्रेक कांड का किस्सा भी उत्तराखंड से जुड़ा: पंजाब का नाभा जेल ब्रेक कांड भला किसको याद नहीं होगा. साल 2016 में घटी एक घटना भी खूब सुर्खियों में रही, जब पंजाब की नाभा जेल की सुरक्षा को सेंध लगाते हुए मुख्य आरोपी परमेंद्र देश के अलग-अलग राज्यों में घूम रहा था कि तभी उत्तराखंड पुलिस को और पंजाब पुलिस को इस बात के इनपुट मिले कि मुख्य आरोपी राजधानी देहरादून में ही अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. लिहाजा, उस वक्त के एसएसपी सदानंद आते और पंजाब पुलिस के संयुक्त अभियान में मुख्य आरोपी को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया गया.
उसके साथ 2 महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया था. बताया जा रहा था मुख्य आरोपी परमेंद्र काफी समय से देहरादून में ही रह रहा था. वह यहां से नेपाल भागने की फिराक में था. देहरादून पुलिस ने उसके पास से ₹2 लाख कैश, कारतूस और फर्जी आधार कार्ड के साथ-साथ ड्राइविंग लाइसेंस और कुछ संदिग्ध उपकरण भी बरामद किए थे. इसकी गिरफ्तारी राजधानी देहरादून के रायपुर क्षेत्र में हुई थी.
आरुषि कांड में उत्तराखंड ने दिया सबूत: 16 मई, 2008 को देश को हिलाने वाले आरुषि हत्याकांड में भी उत्तराखंड खूब चर्चा में रहा. दिल्ली में घटी इस घटना को लेकर खूब सीरियल और फिल्म भी बने. लेकिन कहते हैं कि देश में जो भी बड़ी घटना होगी, उसके तार उत्तराखंड से तो जुड़ ही जाते हैं. दिल्ली में घटित घटना की जांच सीबीआई कर रही थी. तमाम तथ्यों और गवाहों के बावजूद भी जांच एजेंसियां इस बात का खुलासा नहीं कर पाई थी कि आखिरकार आरुषि की हत्या और हेमराज की हत्या किसने की. किसने हेमराज का शव छत के ऊपर फेंका था.
लेकिन जिस वक्त तमाम जिद एजेंसियां हार चुकी थी. उस वक्त हरिद्वार से ही उन्हें बड़ा सबूत हाथ लगा. आरुषि के माता-पिता जिस वक्त हरिद्वार में अपनी बेटी की अस्थियां विसर्जन करने के लिए पहुंचे, तो हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों ने उनसे कुछ सवाल किए. यह सवाल उस हर व्यक्ति से किए जाते हैं, जो अपनों की अस्थियां लेकर हरिद्वार आता है. लिहाजा, उन सभी सवालों के जवाबों को हरिद्वार का पंडा समाज अपनी बही में लिखता है. इस बात की जानकारी किसी के पास नहीं थी कि आरुषि और हेमराज की हत्या किस वक्त हुई.
जैसे ही पुरोहितों ने उनसे पूछा के मौत का समय क्या है? तुरंत परिवार के लोगों ने पहली बार उस किताब में मौत का समय लिखवाया. उसके बाद जांच एजेंसियों को इस बात का सुराग लग गया कि जब तमाम पूछताछ में आरुषि के पिता और माता यह नहीं बता पाए कि उनकी हत्या कब और कैसे हुई? तो फिर उन्हें कैसे पता की हत्या रात के किस वक्त हुई है. लिहाजा, जांच एजेंसियों ने कोर्ट में उस कागजात को भी पेश किया, जिसमें उन्होंने मौत का समय लिखवाया था. इस घटना के बाद इस पूरे मामले पर छाए धुंधले बादल काफी हद तक हट गए थे.
स्वामी नित्यानंद का कांड: अपराधों की लिस्ट में एक और किस्सा बेहद चर्चा में रहा. यह किस्सा था कर्नाटक और देश में अपनी-अलग पहचान रखने वाले संत स्वामी नित्यानंद का. साल 2010 में देश में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक स्वामी नित्यानंद का एक वीडियो बाहर आ गया. स्वामी नित्यानंद कर्नाटक की एक एस्कॉर्ट के साथ शारीरिक संबंध बना रहे थे. इस मामले के बाद कर्नाटक सहित देश के अन्य इलाकों में उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो गए.
स्वामी नित्यानंद के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके आगे बड़े-बड़े राजनीतिक लोग सिर झुकाते थे. साल 2010 में घटी इस घटना के सामने आने के बाद देश के कई राज्यों की पुलिस उन्हें खोज रही थी. उत्तराखंड में उस वक्त कुंभ चल रहा था. कर्नाटक पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस से संपर्क साधा कि देश भर के तमाम संत इस समय हरिद्वार और ऋषिकेश में जुट रहे हैं. ऐसे में स्वामी नित्यानंद का भी अगर उन्हें कोई पता लगे तो तत्काल प्रभाव से बताया जाए.
मेला प्रशासन के पास नित्यानंद के द्वारा कोई भी ऐसी लिखित चिट्ठी नहीं आई थी, जिससे इस बात का खुलासा हो सके स्वामी नित्यानंद उत्तराखंड में या कुंभ मेले में आ रहे हैं. लेकिन उस वक्त ऐसी भनक लगी कि स्वामी नित्यानंद के कुछ शिष्यों को ऋषिकेश में देखा गया है. लिहाजा, कर्नाटक पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने ऋषिकेश में कई जगहों पर दबिश दी. पहली बार ऋषिकेश से ही टीवी पर स्वामी नित्यानंद अपनी सफाई देने के लिए आए स्वामी नित्यानंद ने साफ कहा कि ऋषिकेश में कई दिनों से रुके हुए हैं. क्योंकि तमाम जगहों की पुलिस ढूंढ रही है. हालांकि बाद में स्वामी नित्यानंद को कर्नाटक पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उनके ऊपर धोखाधड़ी जालसाजी और छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप लगे थे.
राजनीति में भी जब चर्चा में रहा उत्तराखंड: अपराधियों के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी नेताओं की पनागाहा उत्तराखंड रहा है. साल 2006 में जब झारखंड में अर्जुन मुंडा की सरकार में मधु कोड़ा मंत्री के रूप में काम कर रहे थे कि तभी मधु कोड़ा ने कुछ दिनों बाद अपने कुछ साथियों को सरकार से अलग कर लिया था. खंडित जनादेश की वजह से झारखंड की सरकार गिर गई थी, जिसके बाद अपने तमाम विधायकों को मधु कोड़ा झारखंड से उठाकर उत्तराखंड के टिहरी चंबा स्थित रिजॉर्ट में रुके थे.
लंबे समय तक यहां समय बिताने के बाद सारी की सारी रणनीति उन्होंने यहीं से तैयार की. बाद में साल साल 2006 में उन्हें संयुक्त गठबंधन में मुख्यमंत्री बनाया गया था. उस वक्त उनको लगभग 5 पार्टियों ने अपना समर्थन दिया था, जिसमें 3 निर्दलीय विधायक भी शामिल थे. कांग्रेस ने भी उस समय मधु कोड़ा को समर्थन दिया था. मधु कोड़ा अपने लगभग 10 विधायकों को लेकर उत्तराखंड की वादियों में राजनीतिक पारा बढ़ाने के लिए पहुंचे थे. उस वक्त भी उत्तराखंड देश की राजनीति में खूब चर्चा में रहा था.
पढ़ें- पंजाब कांग्रेस प्रभारी का पद छोड़ना चाहते हैं हरीश रावत, कैप्टन को दी ये सलाह
बीते दिनों पंजाब की राजनीति पहुंची थी उत्तराखंड: बीते दिनों पंजाब में कांग्रेस की सरकार गिरने और मुख्यमंत्री हटाए जाने की घटना का सीधा संबंध भी उत्तराखंड रहा. क्योंकि उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत उस वक्त पंजाब के प्रभारी थे. ऐसे में तमाम कांग्रेसी विधायकों ने विरोध की ज्वाला धधकाकर दी थी. तमाम विधायक मुख्यमंत्री से बेहद नाराज थे. अपनी नाराजगी लेकर वह पंजाब प्रभारी हरीश रावत के पास देहरादून ही पहुंचे थे. तब भी पूरे देश में उत्तराखंड खूब चर्चा में रहा. हालांकि बाद में इस बैठक और चर्चा का कोई नतीजा नहीं निकला.
ऐसे में दबाव बनाने वाले विधायकों की विजय हुई और पंजाब में कांग्रेस को अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा. ऐसे ही कई राजनीतिक इससे भी उत्तराखंड से जुड़े हैं. बीते कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत के चुनाव होने थे. 40 से अधिक जिला पंचायत सदस्यों को उठाकर ऋषिकेश स्थित एक आश्रम और होटल में एक प्रत्याशी लेकर पहुंचे थे. बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने उस वक्त उन्हें वहां से हटाया. राजनीतिक हो या फिर अपराधिक देश में जो भी बड़े केस रहे हैं उनका संबंध कहीं ना कहीं उत्तराखंड से जरूर जुड़ा है.