देहरादूनः सचिवालय में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक (Uttarakhand cabinet meeting) हुई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 20 प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई. मुख्य रूप से हिमाचल की भांति उत्तराखंड की नई जल विद्युत नीति (new hydro power policy uttarakhand) पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. सचिव शैलेश बगोली ने कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.
- उत्तराखंड कैबिनेट के मुख्य बिंदु- सचिवालय सुरक्षा प्रशासन की सेवा नियमावली संशोधन को मिली मंजूरी.
- उत्तराखंड में कैदियों को पैरोल लिए जाने का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया. इसकी अनुमति पहले कमिश्नर के स्तर से ही मिलती थी. इसकी नियमावली में संशोधन कर अधिकतम 12 माह की पैरोल की व्यवस्था की जाएगी.
- औद्योगिक विकास विभाग के तहत सिडकुल की पांच सड़कों के निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी को दिया गया.
- पीडब्ल्यूडी के तकनीकी संवर्ग के पदों का पुनर्गठन प्रस्ताव को मिली मंजूरी.
- यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी रुड़की के नाम को बदलने पर लगी मुहर. कोर यूनिवर्सिटी रखा जाएगा.
- केदारनाथ-बदरीनाथ के मास्टर प्लान की तर्ज पर ही जागेश्वर और महासू देवता का भी प्लान किया जाएगा तैयार.
- उत्तराखंड लॉजिस्टिक नियमावली को मिली मंजूरी.
- उत्तराखंड परिवहन परिवर्तन कर्मचारी सेवा नियमावली के संशोधन प्रस्ताव को मिली मंजूरी.
- राजस्व परिषद के सेवा नियमावली का किया गया गठन. सेवा नियमावली 2022 को प्रख्यापित करने की मंजूरी.
- नवीन जल विद्युत नीति को मिली मंजूरी.
- दिव्यांग व्यक्तियों को ₹25 लाख तक मूल्य की अचल संपत्ति खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट.
- प्रदेश में 91 आईटीआई में 10 हजार युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं, इनमें से 20 संस्थानों को कर्नाटक मॉडल पर उच्चीकृत किया जाएगा.
- राज्य पार्किंग नियमावली प्रख्यापित की गई. कैबिनेट ने इस पॉलिसी पर मुहर.
- रेलवे की जमीनों में मास्टर प्लान की बाध्यता नहीं रहेगी.
- लखवाड़ परियोजना में विभाग ने 4 बार टेंडर निकले थे. एक ही टेंडर आया, उसे खोलने की अनुमति दी गई. नेगोशिएशन समिति बनेगी.
- सरकारी और एडेड कॉलेजों में 12वीं तक के छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाएंगी.
- विधानसभा सत्र के सत्रावसान को मंत्रिमंडल की मंजूरी.
उत्तराखंड सचिवालय सुरक्षा सेवा (संशोधन) नियमावली, 2022: उत्तराखंड सचिवालय सुरक्षा सेवा संशोधन नियमावली 2022 में रक्षक पद के लिए शैक्षिक क्वालिफिकेशन उत्तराखंड पुलिस आरक्षी की भांति हाईस्कूल से बढ़ाकर इंटरमीडिएट का प्रावधान किया गया है. नियमावली में रक्षक पद की सीधी भर्ती और पदोन्नति का अनुपात 60:40 को परिवर्तित कर 90:10 का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही नियमावली में रक्षक के पद के लिए आयु सीमा 18-35 वर्ष को परिवर्तित कर 18-30 वर्ष से किये जाने का प्रावधान किया गया है.
उत्तराखंड (बंदियों के दंडादेश का निलंबन) (संशोधन) नियमावली, 2022: उत्तराखंड राज्य अवस्थित न्यायालयों से दण्डित सिद्धदोष बंदियों को उनके निकट परिजन की बीमारी, मृत्यु भाई बहन / पुत्र-पुत्री के विवाह इत्यादि में सम्मिलित होने के लिए पैरोल प्रदान किये जाने के उद्देश्य से प्रख्यापित उत्तराखंड (बन्दियों के दंडादेश का निलम्बन) नियमावली, 2017 समय-समय पर यथासंशोधित में कतिपय संशोधन की आवश्यकता के दृष्टिगत उक्त नियमावली के नियम 3, 4 एवं 7 में संशोधन करते हुए उत्तराखंड (बंदियों के दंडादेश का निलम्बन) (संशोधन) नियमावली 2022 प्रख्यापित किये जाने का निर्णय लिया गया है.
सिडकुल की पांच सड़कों के निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी को दिया गया: जनपद उधम सिंह नगर में सिडकुल क्षेत्र के बाहर लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व वाली 5 सड़कों पर सिडकुल द्वारा किये जा चुके सुधार कार्य के पश्चात मार्गों को (जहां है जैसा है) के आधार पर लोक निर्माण विभाग को ट्रांसफर करने एवं भविष्य में होने वाले कार्यों को एसआईटी जांच आयोग की परिधि से बाहर रखने के सम्बन्ध में मंत्रिमंडल ने सहमति प्रदान की है.
यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी रुड़की अधिनियम, 2020 में संशोधन: प्रस्तावित यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी रुड़की (संशोधन) विधेयक, 2022 के माध्यम से यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलोजी रुड़की के नाम में संशोधन कर 'कोर यूनिवर्सिटी' किया जाना है. प्रस्तावित विधेयक को आगामी विधानसभा के समक्ष पेश किया जाएगा.
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भारत सरकार की 'Guidelines on the Scheme for Special Assistance to States for Capital Investment for 2022-23 के अंतर्गत Part-VI 'Urban Reforms' मद में राज्य को मिलने वाली आर्थिक सहायता Claim किए जाने के लिए 'Urban Reforms' के अंतर्गत चिन्हित परिवहन विभाग से सम्बन्धित सुधारों के सम्बन्ध में-
- शहरी क्षेत्रों में संचालित होने वाली सिटी बसों को मोटरयान कर में शत प्रतिशत छूट प्रदान किया जाना अपेक्षित है.
- इस प्रकार का निर्णय लिए जाने पर राज्य सरकार को प्रतिवर्ष लगभग रु. 27 लाख मोटरयान कर की हानि संभावित है.
- राज्य परिवहन निगम द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में सार्वजनिक बस परिवहन सुविधा दिए जाने के लिए मोटरयान कर की प्रचलित दरों में दी जा रही 50 प्रतिशत छूट को 75 प्रतिशत की गई.
- इस छूट के फलस्वरूप राज्य सरकार को लगभग रू. 2.27 करोड़ की वार्षिक हानि होगी.
उत्तराखंड परिवहन विभाग प्रवर्त्तन कर्मचारी वर्ग सेवा (संशोधन) नियमावली, 2022: प्रचलित नियमावली के अनुसार प्रवर्तन सिपाही के तिहाई पदों पर भर्ती चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों की पदोन्नति के माध्यम से की जाती है. वर्तमान में चतुर्थ श्रेणी ( समूह 'घ') का पद मृत संवर्ग घोषित होने, विभागान्तर्गत चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत कार्मिकों के अभाव एवं विभागान्तर्गत प्रवर्त्तन सिपाही के रिक्त पदों की संख्या अधिक होने पर प्रवर्त्तन सिपाही खाली पदों को शत प्रतिशत सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने हेतु प्रस्ताव किया गया है.
निःशक्त व्यक्तियों को ₹25 लाख तक मूल्य की अचल संपत्ति खरीदने पर चार्जेबल स्टाम्प शुल्क में छूट: वर्तमान में निःशक्त व्यक्तियों को अचल संपत्ति, भूखंड, मकान आदि खरीदने में ₹10 लाख मूल्य की सीमा तक चार्जेबल स्टाम्प शुल्क में 25 प्रतिशत छूट प्रभावी है, जबकि महिलाओं के लिए छूट की सीमा ₹25 लाख निर्धारित की गयी है. अब महिलाओं को प्रदत्त स्टाम्प शुल्क में छूट के समान ही निःशक्त व्यक्तियों को भी ₹25 लाख मूल्य तक की संपत्ति पर चार्जेबल स्टाम्प शुल्क में 25% छूट अधिकतम 2 बार तक ही अनुमति दिये जाने का प्रस्ताव.
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नवीन जल विद्युत नीति: उत्तराखंड राज्य में भी जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण को बढ़ावा दिये जाने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा जल विद्युत नीतियों में किये गये नवीनतम प्राविधानों के अनुरूप राज्य की जल विद्युत नीतियों (02-25 मेगा वॉट, 25-100 मेगा वॉट एवं 100 मेगा वॉट से अधिक) एवं तत्सम्बन्धी अन्य संगत अधिसूचनाओं में आवश्यक प्रावधान / संशोधन विषयक प्रस्ताव रखा गया. हाइड्रो पॉलिसी के तहत तय किया गया कि जब प्रोजेक्ट की कमीशनिंग हो जाएगी, तब से प्रोजेक्ट की शुरुआत मानी जाएगी.
रेलवे विभाग द्वारा Monetize की जा रही भूमि के भू-उपयोग में कोई परिवर्तन की आवश्यकता न होने संबंधी अधिसूचना निर्गत किये जाने के संबंध में-
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सहमति प्रदान की गयी कि रेलवे / रेल भूमि विकास प्राधिकरण / भारतीय रेलवे स्टेशन विकास प्राधिकरण द्वारा रेल भूमि के विकास की योजना तैयार किए जाने के दौरान स्थानीय निकायों एवं प्राधिकरणों के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा, जिससे आस-पास के क्षेत्र के विकास से सामंजस्यपूर्ण स्थापित करते हुए कार्यवाही की जा सके.
- यह भी निर्णय लिया गया कि सम्पूर्ण भारत में रेलवे विभाग द्वारा वाणिज्यिक उपयोग हेतु रेल भूमि का विकास किए जाने हेतु भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी.
- इस क्रम में उत्तर प्रदेश राज्य की भांति राज्य में रेलवे विभाग द्वारा Monetize की जा रही भूमि के भू-उपयोग में कोई परिवर्तन की आवश्यकता न होने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है.