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कैबिनेट: प्रतिकार योजना को मंजूरी, यौन अपराध व अपराधियों से पीड़ित महिलाओं को मिलेगी मदद

उत्तराखंड में यौन अपराध एवं अपराधियों से पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए प्रतिकार योजना को आज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है.

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Published : Aug 13, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Aug 13, 2020, 4:24 PM IST

sexual exploitation victim compensation scheme
कैबिनेट बैठक में प्रतिकार योजना को मिली मंजूरी

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश सरकार ने महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बढ़ते ग्राफ में महिलाओं को आर्थिक सहयोग करने से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को एडॉप्ट कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अपराधियों से पीड़ित महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को प्रदेश में लागू कर दिया है. ऐसे में अब राज्य के भीतर यौन अपराध और अपराधियों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिल सकेगा.

जानकारी देते शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक.

वहीं, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि यौन अपराधों और अपराधों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण से इस संबंध में एक नीति प्रख्यापित करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीड़ित उत्तरजीवी महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को बनाया. राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि इस नीति को वह अपने राज्यों में लागू करें.

पढ़ें- कैबिनेट में इन प्रस्तावों पर लगी मुहर, आगामी 23 से 25 सितंबर को होगा विधानसभा सत्र

मदन कौशिक ने बताया कि राज्य के पास सामान्य रूप से अपने नीति और नियम बनाने के अधिकार हैं, लिहाजा इस संबंध में उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बनाई गति इस नीति को ऐड कर लिया है. इस नीति में सामान्य स्तर पर जीवन क्षति पर 5 से 10 लाख रुपये की सहायता देने की सीमा रखी गई है.

नीति के कुछ अहम बिंदु-

  • सामूहिक बलात्कार पीड़िता को 5 से 10 लाख रुपए की दी जाएगी सहायता राशि.
  • बलात्कार या यौन उत्पीड़न पर चार से 7 लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न पर चार से 7 लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • 80% शरीर की हानि होने पर दो से पांच लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • किसी अंग व शरीर की हानि 40% से कम होने पर एक से 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • किसी अंग व शरीर की हानि 20% से कम होने पर एक से 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • शारीरिक क्षति, मानसिक क्षति जिसमें पुनर्वास की आवश्यकता हो जिसके लिए 1 लाख से 2 लाख रुपये की सहायता राशि रखी गई है.
  • गर्भपात या प्रजनन की हानि होने पर दो से तीन लाख रुपए की सहायता राशि रखी गई है.
  • बलात्कार के कारण गर्भाशय की क्षति पर होने पर तीन से चार लाख रुपए की सहायता राशि रखी गई है.
  • जलने और एसिड अटैक से बहुत अधिक हानि होने के मामले पर 7 से 8 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • जलने और एसिड अटैक से शरीर का 50% से अधिक हानि होने के मामले पर 5 से 8 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी
  • जलने और एसिड अटैक से शरीर का 20% से अधिक हानि होने के मामले पर 3 से 7 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • जलने से शरीर का 20% से कम हानि होने के मामले पर 2 से 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • एसिड अटैक से शरीर का 20% से कम हानि होने के मामले पर 3 से 4 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब प्रदेश सरकार ने महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बढ़ते ग्राफ में महिलाओं को आर्थिक सहयोग करने से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को एडॉप्ट कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अपराधियों से पीड़ित महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को प्रदेश में लागू कर दिया है. ऐसे में अब राज्य के भीतर यौन अपराध और अपराधियों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिल सकेगा.

जानकारी देते शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक.

वहीं, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि यौन अपराधों और अपराधों से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण से इस संबंध में एक नीति प्रख्यापित करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने 'उत्तराखंड यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीड़ित उत्तरजीवी महिलाओं हेतु प्रतिकार योजना 2020' को बनाया. राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि इस नीति को वह अपने राज्यों में लागू करें.

पढ़ें- कैबिनेट में इन प्रस्तावों पर लगी मुहर, आगामी 23 से 25 सितंबर को होगा विधानसभा सत्र

मदन कौशिक ने बताया कि राज्य के पास सामान्य रूप से अपने नीति और नियम बनाने के अधिकार हैं, लिहाजा इस संबंध में उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बनाई गति इस नीति को ऐड कर लिया है. इस नीति में सामान्य स्तर पर जीवन क्षति पर 5 से 10 लाख रुपये की सहायता देने की सीमा रखी गई है.

नीति के कुछ अहम बिंदु-

  • सामूहिक बलात्कार पीड़िता को 5 से 10 लाख रुपए की दी जाएगी सहायता राशि.
  • बलात्कार या यौन उत्पीड़न पर चार से 7 लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न पर चार से 7 लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • 80% शरीर की हानि होने पर दो से पांच लाख रुपये की दी जाएगी सहायता राशि.
  • किसी अंग व शरीर की हानि 40% से कम होने पर एक से 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • किसी अंग व शरीर की हानि 20% से कम होने पर एक से 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • शारीरिक क्षति, मानसिक क्षति जिसमें पुनर्वास की आवश्यकता हो जिसके लिए 1 लाख से 2 लाख रुपये की सहायता राशि रखी गई है.
  • गर्भपात या प्रजनन की हानि होने पर दो से तीन लाख रुपए की सहायता राशि रखी गई है.
  • बलात्कार के कारण गर्भाशय की क्षति पर होने पर तीन से चार लाख रुपए की सहायता राशि रखी गई है.
  • जलने और एसिड अटैक से बहुत अधिक हानि होने के मामले पर 7 से 8 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • जलने और एसिड अटैक से शरीर का 50% से अधिक हानि होने के मामले पर 5 से 8 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी
  • जलने और एसिड अटैक से शरीर का 20% से अधिक हानि होने के मामले पर 3 से 7 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • जलने से शरीर का 20% से कम हानि होने के मामले पर 2 से 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
  • एसिड अटैक से शरीर का 20% से कम हानि होने के मामले पर 3 से 4 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.
Last Updated : Aug 13, 2020, 4:24 PM IST
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