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बजट 2021ः आम से लेकर खास पर कितनी खरी उतरेगी त्रिवेंद्र सरकार, खास रिपोर्ट

यह बजट काफी लोक लुभावना रहने वाला है. चुनावी वर्ष में सरकार करीब 57 हजार करोड़ से अधिक का बजट लेकर आ रही है. जबकि पिछले बजट सत्र में 53,526.97 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया था.

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Published : Mar 3, 2021, 11:21 AM IST

Updated : Mar 3, 2021, 12:57 PM IST

देहरादूनः एक मार्च से भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में चल रहे विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन यानी गुरुवार को बजट पेश किया जाएगा. यह बजट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद पेश करेंगे. चार मार्च को पेश होने वाला बजट कई मायने में बेहद खास रहने वाला है. क्योंकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी बजट सत्र है. ऐसे में यह बजट काफी लोक लुभावना रहने वाला है. चुनावी वर्ष में सरकार करीब 57 हजार करोड़ से अधिक का बजट लेकर आ रही है. जबकि पिछले बजट सत्र में 53,526.97 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया था. इस बजट को लेकर बुद्धिजीवियों की क्या राय है देखिए इस रिपोर्ट में.

कितनी खरी उतरेगी त्रिवेंद्र सरकार

राज्य सरकार ने पहले ही यह तय कर दिया है कि यह साल चुनावी साल है. लिहाजा राज्य सरकार आगामी साल 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए जनता को रिझाने के लिए तमाम तरह के कार्य कर रही है. जिसमें ना सिर्फ राज्य सरकार तमाम लंबित पड़े योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने पर जोर दे रही है, बल्कि विकास कार्य को भी अमलीजामा पहनाने के साथ ही केंद्र सरकार से बड़ी सौगातें भी लाने का कार्य कर रही है. कुल मिलाकर देखें तो इस बजट में राज्य सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि कोविड महामारी से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार करीब 57 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश करने जा रही है.

बजट का आकार बढ़ाकर सरकारें लूटती हैं वाहवाही

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि सरकारी बजट को लोग लुभावना बनाने के साथ ही बजट का आकार बढ़ा देते हैं. जिससे सरकार वाहवाही लूट सके कि राज्य के विकास के लिए सरकार के पास बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. लेकिन जब बजट की वास्तविकता सामने आती है तो उस दौरान तमाम संकायें भी उत्पन्न हो जाती हैं. क्योंकि अगर हम फिक्स खर्चों की बात करें तो वह करीब 14 हजार करोड़ रुपये है. इसके अतिरिक्त अन्य विकास कार्यों के लिए भी बजट की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि, सरकारें तो बजट का आकार बढ़ा देती हैं लेकिन सवाल यही रहता है कि बजट इकट्ठा करने के लिए हमारे पास संसाधन क्या हैं?

पढ़ेंः उत्तराखंड बजट सत्र का दूसरा दिनः सदन में गरमाया भराड़ीसैंण लाठीचार्ज का मुद्दा, विपक्ष का वॉकआउट


फिक्स खर्चे के लगभग बराबर सरकार का सालाना राजस्व

अगर राज्य की इनकम की बात की जाए तो सालाना राज्य की इनकम उतनी ही होती है, जितनी राज्य सरकार के फिक्स खर्चे हैं. ऐसे में हर साल राज्य सरकार बजट का आकार बढ़ाती है लेकिन यह तय नहीं हो पाता है कि बजट के पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि, अगर हिसाब लगाएं तो राज्य सरकार का फिक्स कर करीब 14 हजार करोड़ होता है.

इस बार करीब 57 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश होने जा रहा है. ऐसे में बचा हुआ करीब 43 करोड़ रुपये के बजट कहां से आएगा एक बड़ा सवाल है? हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार को केंद्रीय एजेंसियों में हाथ फैलाना पड़ता है या फिर जो वर्ल्ड बैंक की योजनाएं और अन्य समझौते के तहत फंडिंग की जाती है. इसके अतिरिक्त केंद्रीकृत फंडिंग से बजट मिलता है.

लोक लुभावन बजट

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने अनुसार बजट चाहे केंद्र सरकार का हो या फिर राज्य सरकार का इससे जनता को बड़ी उम्मीदें रहती हैं. हालांकि 4 मार्च को जो बजट पेश होने वाला है, एक तरह से चुनावी बजट है क्योंकि आगामी साल 2022 में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में ये तो निश्चित है कि राज्य सरकार लोकलुभावन बजट पेश कर जनता को आकर्षित करने का प्रयास करेगी. ऐसे में जनता को भी उम्मीद है कि इस बार के बजट में उनके लिए कई योजनाओं की सौगात मिलने वाली है. हालांकि राज्य के खजाने में कितना पैसा आ रहा है, ये भी बहुत महत्वपूर्ण है.

पढ़ेंः गैरसैंण बजट: रोजगार की मांग से लेकर टैक्स में छूट, जानें क्या है कुमाऊं की जनता की उम्मीदें


कर्ज में डूबा उत्तराखंड

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत के अनुसार राज सरकार जितने का बजट पेश करने जा रही है, लगभग उससे अधिक राज्य पर कर्ज है. इसके साथ ही हर साल करीब 4 से 5 हजार करोड़ रुपए ब्याज का जमा करना पड़ रहा है. इसके साथ ही हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपए बाजार से उठाने पड़ते हैं. तब जाकर राज्य सरकार का बजट पूरा हो पाता है. तब भी राज्य का राजस्व करीब 30 से 35 हजार करोड़ के आसपास तक हो पाता है.

नौकरशाहों के विजन के अनुरूप बजट

वर्तमान समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही वित्त विभाग संभाल रहे हैं. लेकिन इस बजट का प्रारूप नौकरशाही द्वारा ही तैयार किया जाएगा. हालांकि हर साल बजट का खाका नौकरशाह ही तैयार करते हैं. वैसे बजट से पहले तमाम तरह के विचार-विमर्श किए जाते हैं, लेकिन इस बार बेहद कम विचार-विमर्श किए गए हैं ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इस चुनावी वर्ष में पेश होने वाला बजट नौकरशाहों के विजन के अनुरूप होगा. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार के पास पैसा नहीं है, बावजूद इसके बजट में राज्य सरकार किस तरह से लोग लुभावना बजट पेश करती है.

पढ़ेंः बजट 2021: चार मार्च को पेश होने वाले बजट से किसानों को उम्मीदें


राज्य के विकास का आइना होगा बजट

इस बार के बजट की जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा है कि यह बजट जनता के सर्वांगीण विकास, आम लोगों को राहत देने, किसानों की आय को दोगुना करने, महिलाओं को रोजगार से जोड़ने और अधिकार देने, युवाओं को रोजगार से जोड़ने, इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने वाला बजट होगा जो राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.

देहरादूनः एक मार्च से भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में चल रहे विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन यानी गुरुवार को बजट पेश किया जाएगा. यह बजट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद पेश करेंगे. चार मार्च को पेश होने वाला बजट कई मायने में बेहद खास रहने वाला है. क्योंकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी बजट सत्र है. ऐसे में यह बजट काफी लोक लुभावना रहने वाला है. चुनावी वर्ष में सरकार करीब 57 हजार करोड़ से अधिक का बजट लेकर आ रही है. जबकि पिछले बजट सत्र में 53,526.97 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया था. इस बजट को लेकर बुद्धिजीवियों की क्या राय है देखिए इस रिपोर्ट में.

कितनी खरी उतरेगी त्रिवेंद्र सरकार

राज्य सरकार ने पहले ही यह तय कर दिया है कि यह साल चुनावी साल है. लिहाजा राज्य सरकार आगामी साल 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए जनता को रिझाने के लिए तमाम तरह के कार्य कर रही है. जिसमें ना सिर्फ राज्य सरकार तमाम लंबित पड़े योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने पर जोर दे रही है, बल्कि विकास कार्य को भी अमलीजामा पहनाने के साथ ही केंद्र सरकार से बड़ी सौगातें भी लाने का कार्य कर रही है. कुल मिलाकर देखें तो इस बजट में राज्य सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि कोविड महामारी से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार करीब 57 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश करने जा रही है.

बजट का आकार बढ़ाकर सरकारें लूटती हैं वाहवाही

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि सरकारी बजट को लोग लुभावना बनाने के साथ ही बजट का आकार बढ़ा देते हैं. जिससे सरकार वाहवाही लूट सके कि राज्य के विकास के लिए सरकार के पास बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. लेकिन जब बजट की वास्तविकता सामने आती है तो उस दौरान तमाम संकायें भी उत्पन्न हो जाती हैं. क्योंकि अगर हम फिक्स खर्चों की बात करें तो वह करीब 14 हजार करोड़ रुपये है. इसके अतिरिक्त अन्य विकास कार्यों के लिए भी बजट की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि, सरकारें तो बजट का आकार बढ़ा देती हैं लेकिन सवाल यही रहता है कि बजट इकट्ठा करने के लिए हमारे पास संसाधन क्या हैं?

पढ़ेंः उत्तराखंड बजट सत्र का दूसरा दिनः सदन में गरमाया भराड़ीसैंण लाठीचार्ज का मुद्दा, विपक्ष का वॉकआउट


फिक्स खर्चे के लगभग बराबर सरकार का सालाना राजस्व

अगर राज्य की इनकम की बात की जाए तो सालाना राज्य की इनकम उतनी ही होती है, जितनी राज्य सरकार के फिक्स खर्चे हैं. ऐसे में हर साल राज्य सरकार बजट का आकार बढ़ाती है लेकिन यह तय नहीं हो पाता है कि बजट के पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि, अगर हिसाब लगाएं तो राज्य सरकार का फिक्स कर करीब 14 हजार करोड़ होता है.

इस बार करीब 57 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश होने जा रहा है. ऐसे में बचा हुआ करीब 43 करोड़ रुपये के बजट कहां से आएगा एक बड़ा सवाल है? हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार को केंद्रीय एजेंसियों में हाथ फैलाना पड़ता है या फिर जो वर्ल्ड बैंक की योजनाएं और अन्य समझौते के तहत फंडिंग की जाती है. इसके अतिरिक्त केंद्रीकृत फंडिंग से बजट मिलता है.

लोक लुभावन बजट

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने अनुसार बजट चाहे केंद्र सरकार का हो या फिर राज्य सरकार का इससे जनता को बड़ी उम्मीदें रहती हैं. हालांकि 4 मार्च को जो बजट पेश होने वाला है, एक तरह से चुनावी बजट है क्योंकि आगामी साल 2022 में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में ये तो निश्चित है कि राज्य सरकार लोकलुभावन बजट पेश कर जनता को आकर्षित करने का प्रयास करेगी. ऐसे में जनता को भी उम्मीद है कि इस बार के बजट में उनके लिए कई योजनाओं की सौगात मिलने वाली है. हालांकि राज्य के खजाने में कितना पैसा आ रहा है, ये भी बहुत महत्वपूर्ण है.

पढ़ेंः गैरसैंण बजट: रोजगार की मांग से लेकर टैक्स में छूट, जानें क्या है कुमाऊं की जनता की उम्मीदें


कर्ज में डूबा उत्तराखंड

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत के अनुसार राज सरकार जितने का बजट पेश करने जा रही है, लगभग उससे अधिक राज्य पर कर्ज है. इसके साथ ही हर साल करीब 4 से 5 हजार करोड़ रुपए ब्याज का जमा करना पड़ रहा है. इसके साथ ही हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपए बाजार से उठाने पड़ते हैं. तब जाकर राज्य सरकार का बजट पूरा हो पाता है. तब भी राज्य का राजस्व करीब 30 से 35 हजार करोड़ के आसपास तक हो पाता है.

नौकरशाहों के विजन के अनुरूप बजट

वर्तमान समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही वित्त विभाग संभाल रहे हैं. लेकिन इस बजट का प्रारूप नौकरशाही द्वारा ही तैयार किया जाएगा. हालांकि हर साल बजट का खाका नौकरशाह ही तैयार करते हैं. वैसे बजट से पहले तमाम तरह के विचार-विमर्श किए जाते हैं, लेकिन इस बार बेहद कम विचार-विमर्श किए गए हैं ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इस चुनावी वर्ष में पेश होने वाला बजट नौकरशाहों के विजन के अनुरूप होगा. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार के पास पैसा नहीं है, बावजूद इसके बजट में राज्य सरकार किस तरह से लोग लुभावना बजट पेश करती है.

पढ़ेंः बजट 2021: चार मार्च को पेश होने वाले बजट से किसानों को उम्मीदें


राज्य के विकास का आइना होगा बजट

इस बार के बजट की जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा है कि यह बजट जनता के सर्वांगीण विकास, आम लोगों को राहत देने, किसानों की आय को दोगुना करने, महिलाओं को रोजगार से जोड़ने और अधिकार देने, युवाओं को रोजगार से जोड़ने, इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने वाला बजट होगा जो राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.

Last Updated : Mar 3, 2021, 12:57 PM IST
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