देहरादून: उत्तराखंड में पशुओं को चिकित्सीय सुविधाएं देने के मकसद से भारत सरकार पशु पालन विभाग को मोबाइल वैन उपलब्ध कराने जा रही है. इससे अब पशुपालन विभाग में पहले से ही भारी दबाव झेल रहे वेटरनरी डॉक्टरों को बड़ी राहत मिलेगी. साथ ही राज्य के पशुपालकों को भी समय पर पशु चिकित्सकों की सुविधा अपने घर पर ही मिल पाएगी.
बता दें कि उत्तराखंड में पशुपालन विभाग हमेशा ही भारी बजट की कमी से जूझता रहा है. पशुपालन विभाग के सामने परेशानी इतनी भर नहीं है. बल्कि इस विभाग में कर्मचारियों की भी भारी कमी है. खास बात यह है कि चिकित्सकों की भारी कमी के कारण कई बार पशुपालकों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
पढ़ें- कांग्रेस का आरोप- 'पार्टी ऑफिस में पुलिस घुसी', दिल्ली पुलिस ने किया इनकार
बड़ी वजह यह भी है कि एक ब्लॉक में करीब एक ही चिकित्सक मौजूद होने के चलते सभी जगहों पर चिकित्सकों का पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है. इन्हीं सब हालातों को देखते हुए अब भारत सरकार की मदद से देश के बाकी राज्यों की तरह उत्तराखंड को भी पशु चिकित्सा के लिए मोबाइल वैन मिलने जा रही है. राज्य में 108 की तर्ज पर पशुओं के लिए आपातकालीन नंबर शुरू होने जा रहा है.
प्रदेश में अब 1962 नंबर पशु चिकित्सा के लिए जारी किया जाएगा. इसके अलावा पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए देहरादून पशुपालन विभाग में एक कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा. जिसमें टोल फ्री नंबर के जरिए पशुपालक पशुओं के लिए चिकित्सा सुविधा ले सकेंगे.
फिलहाल, केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को 60 मोबाइल वैन मिलने जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. हालांकि, उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने केंद्र से 35 और कुल 95 मोबाइल वैन देने का प्रस्ताव रखा है.
दरअसल, उत्तराखंड में 95 ब्लॉक हैं और हर ब्लॉक में एक मोबाइल बैंक की मांग राज्य पशुपालन विभाग की तरफ से की गई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राज्य को यदि 35 और मोबाइल वैन मिल जाती है तो प्रदेश में 95 मोबाइल बैन उपलब्ध हो जाएगी.
आपको बता दें कि पशुपालन विभाग में चिकित्सकों का 90% काम पशुपालकों के घरों तक जाकर ही होता है. इसमें पशुओं की टैगिंग से लेकर उसके उपचार और कृतिम गर्भाधान तक का काम चिकित्सकों द्वारा घर पर जाकर ही किया जाता है. लिहाजा, इन मोबाइल वैन के आने से यह काम आसान हो जाएगा.