देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद विद्युत उपभोक्ता को झटका लगने जा रहा है. अब 1 अप्रैल से प्रदेश में बिजली की नई दरें लागू होने जा रही है. इसके लिए विद्युत नियामक आयोग मार्च के अंतिम सप्ताह में नई दरें लागू कर देगा. आयोग की ओर से तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. आयोग ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग स्थानों पर जन सुनवाई की ओर लोगों से ऊर्जा निगम के बिजली दरें साढ़े पांच प्रतिशत बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्तियां मांगी.
जिसके बाद उत्तराखंड क्रांति दल ने बिजली की दरों में होने जा रही बढ़ोतरी को नई सरकार का जनता को तोहफा बताया है. यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री जयदीप भट्ट ने कहा राज्य की जनता ने बीजेपी को स्पष्ट बहुमत देकर पुनः सत्ता सौंपी, लेकिन भाजपा ने राज्य की जनता को बिजली बिलों में बढ़ोतरी करके महंगाई का गिफ्ट दिया है. उत्तराखंड में अपार जल संपदा है, बावजूद इसके ऊर्जा निगमों में घाटा दिखाकर बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है.
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जयदीप भट्ट ने कहा विद्युत नियामक आयोग का कार्य था कि ऊर्जा निगमों की कार्यप्रणाली पर विशेष नजर रखते और निगमों में हो रहे भ्रष्टाचार पर ध्यान देकर राजस्व की हानि रुकवाते, जिससे बिजली दरों में बढ़ोतरी की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन आयोग सिर्फ जनसुनवाई करके अपनी ड्यूटी पूरी कर देते हैं और ऊर्जा निगम के अधिकारियों की कारगुजारी पर आंखें बंद कर लेते हैं.
यूकेडी का मानना है कि ऊर्जा निगमों का कैग से ऑडिट करवाना चाहिए, जिससे निगमों के घाटे का वास्तविक सत्य जनता को पता चल सके. जब दिल्ली जैसे प्रदेश पर सस्ती बिजली मिल रही है, जो कोयला खरीद कर विद्युत उत्पादन कर रहे हैं. जबकि उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन प्राकृतिक जल से हो रहा है, फिर भी यहां महंगी बिजली दी जा रही है.
बता दें कि ऊर्जा निगम ने वर्ष 2021 में 13.25 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा था, आयोग ने बिजली दरों में 3.54 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. इसी प्रकार वर्ष 2020 में 6 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया था, तब आयोग ने दरें बढ़ाने की बजाय 4 प्रतिशत कर दी थी.