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एग्री इंफ्रा फंड से कृषि को मिलेगी मजबूती, आत्मनिर्भर भारत का रास्ता होगा प्रशस्तः CM त्रिवेंद्र

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि एग्री इंफ्रा फंड से कृषि सेक्टर को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर कृषि से आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा.

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Published : Aug 9, 2020, 10:06 PM IST

देहरादूनः देश में आत्मनिर्भर कृषि ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा कर सकती है. इसी को लेकर स्थापित किए गए एग्री इंफ्रा फंड को किसानों के लिए बड़ी सौगात माना जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र और राज्य की खेती को लेकर शुरू की गई योजनाओं पर आकलन करते हुए ये बात कही है.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देश के किसानों के लिए एग्री इंफ्रा फंड एक बड़ी राहत देने वाला होगा. एग्री इंफ्रा फंड से कृषि सेक्टर को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर कृषि से आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देकर ही देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जा सकती है. इसके लिए कृषि और किसान की भूमिका महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने एक लाख करोड़ रुपये से एग्री इंफ्रा फंड की घोषणा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया.

ये भी पढ़ेंः गैरसैंण पहुंचे हरदा ने विधानसभा गेट से पूछा-'त्रिवेंद्र भेजी कख छ, तुमरी ग्रीष्मकालीन सरकार'

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की छठी किश्त भी जारी की है. इस मद के लिए 17 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. इसका सीधा लाभ देश के 8.5 करोड़ किसानों को मिलेगा. उनके बैंक खातों में सीधे दो हजार रुपये जमा होंगे. उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि की राशि जारी होने से उत्तराखंड के किसान भी लाभांवित होंगे. राज्य में इस योजना में अभी तक 8.33 लाख किसान पंजीकृत है.

राज्य सरकार ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की है. किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है. जबकि, स्वयं सहायता समूह को पांच लाख रुपये तक ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है. पशुपालन, हार्टिकल्चर, हर्बल, मत्स्य आदि क्षेत्रों में भी पहल की गई है. किसानों को सब्जी बीज अनुदान पर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना शुरू की गई है.

केंद्र सरकार की ओर से 251.71 करोड़ रुपये की उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है. मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अंतर्गत सेब में ओलावृष्टि से होने वाली क्षति को भी रिस्क फैक्टर में शामिल किया गया है. इसी प्रकार सगंध खेती के लिए एरोमा वैली विकसित की जा रही है. आगामी पांच सालों में एक हजार हेक्टेयर में नया चाय प्लांटेशन की योजना पर काम किया जा रहा है.

देहरादूनः देश में आत्मनिर्भर कृषि ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा कर सकती है. इसी को लेकर स्थापित किए गए एग्री इंफ्रा फंड को किसानों के लिए बड़ी सौगात माना जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र और राज्य की खेती को लेकर शुरू की गई योजनाओं पर आकलन करते हुए ये बात कही है.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देश के किसानों के लिए एग्री इंफ्रा फंड एक बड़ी राहत देने वाला होगा. एग्री इंफ्रा फंड से कृषि सेक्टर को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर कृषि से आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देकर ही देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जा सकती है. इसके लिए कृषि और किसान की भूमिका महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने एक लाख करोड़ रुपये से एग्री इंफ्रा फंड की घोषणा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया.

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सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की छठी किश्त भी जारी की है. इस मद के लिए 17 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. इसका सीधा लाभ देश के 8.5 करोड़ किसानों को मिलेगा. उनके बैंक खातों में सीधे दो हजार रुपये जमा होंगे. उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि की राशि जारी होने से उत्तराखंड के किसान भी लाभांवित होंगे. राज्य में इस योजना में अभी तक 8.33 लाख किसान पंजीकृत है.

राज्य सरकार ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की है. किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है. जबकि, स्वयं सहायता समूह को पांच लाख रुपये तक ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है. पशुपालन, हार्टिकल्चर, हर्बल, मत्स्य आदि क्षेत्रों में भी पहल की गई है. किसानों को सब्जी बीज अनुदान पर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना शुरू की गई है.

केंद्र सरकार की ओर से 251.71 करोड़ रुपये की उत्तराखंड एकीकृत औद्यानिकी विकास परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है. मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अंतर्गत सेब में ओलावृष्टि से होने वाली क्षति को भी रिस्क फैक्टर में शामिल किया गया है. इसी प्रकार सगंध खेती के लिए एरोमा वैली विकसित की जा रही है. आगामी पांच सालों में एक हजार हेक्टेयर में नया चाय प्लांटेशन की योजना पर काम किया जा रहा है.

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