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त्रिवेंद्र सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम, गांवों को बनाया जाएगा संस्कृत गांव - संस्कृत गांव

उत्तराखंड की श्रीनगर विधानसभा को संस्कृत भाषा के मॉडल के रूप में स्थापित किया जा रहा है. स्थानीय विधायक और सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने इसके लिए श्रीनगर विधानसभा के कुछ गांवों को संस्कृत गांव घोषित करने का मन बनाया है. आइए जानते हैं, क्या है संस्कृत गांव का कॉन्सेप्ट.

धन सिंह रावत
धन सिंह रावत
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Published : Mar 9, 2020, 1:42 PM IST

देहरादूनः यूं तो भाजपा सरकारें संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए तमाम निर्णय लेती रही है. लेकिन इस बार इस निर्णय में आम लोगों को भी शामिल किया जा रहा है. इस कड़ी में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धनसिंह रावत ने संस्कृत गांव बनाए जाने का निर्णय लिया है. इसके तहत धन सिंह अपनी विधानसभा श्रीनगर से इसकी शुरुआत करेंगे. धन सिंह रावत के मुताबिक, उनकी विधानसभा में 4 ब्लॉक हैं और मॉडल के रुप में हर ब्लॉक के एक-एक गांव में संस्कृत गांव घोषित किए जाएंगे. धन सिंह ने दावा किया है कि अगले छह महीने में इन गांव के बुजुर्ग और बच्चे संस्कृत में बात करते हुए नजर आएंगे. धन सिंह ने कहा कि इसके साथ ही राज्य से संस्कृत को लेकर एक नई पहल शुरू होगी.

गांवों को बनाया जाएगा संस्कृत गांव

आपको बता दें कि, पूर्व में भाजपाशासित सरकार ने ही उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था. इसके बाद मंत्रियों और विभागों के नामों को संस्कृत में भी लिखे जाने का निर्णय लिया गया था.

पढ़ेंः महीम वर्मा चुने गए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव, बीसीसीआई उपाध्यक्ष पद से देंगे इस्तीफा

उत्तराखंड में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार कई फैसले लेते रही है. लेकिन ये पहला मौका है, जब आम लोगों को भी संस्कृत से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. ऐसे में देखने वाली ये होगी कि ये प्रयास कितना सफल हो पाता है.

देहरादूनः यूं तो भाजपा सरकारें संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए तमाम निर्णय लेती रही है. लेकिन इस बार इस निर्णय में आम लोगों को भी शामिल किया जा रहा है. इस कड़ी में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धनसिंह रावत ने संस्कृत गांव बनाए जाने का निर्णय लिया है. इसके तहत धन सिंह अपनी विधानसभा श्रीनगर से इसकी शुरुआत करेंगे. धन सिंह रावत के मुताबिक, उनकी विधानसभा में 4 ब्लॉक हैं और मॉडल के रुप में हर ब्लॉक के एक-एक गांव में संस्कृत गांव घोषित किए जाएंगे. धन सिंह ने दावा किया है कि अगले छह महीने में इन गांव के बुजुर्ग और बच्चे संस्कृत में बात करते हुए नजर आएंगे. धन सिंह ने कहा कि इसके साथ ही राज्य से संस्कृत को लेकर एक नई पहल शुरू होगी.

गांवों को बनाया जाएगा संस्कृत गांव

आपको बता दें कि, पूर्व में भाजपाशासित सरकार ने ही उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था. इसके बाद मंत्रियों और विभागों के नामों को संस्कृत में भी लिखे जाने का निर्णय लिया गया था.

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उत्तराखंड में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार कई फैसले लेते रही है. लेकिन ये पहला मौका है, जब आम लोगों को भी संस्कृत से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. ऐसे में देखने वाली ये होगी कि ये प्रयास कितना सफल हो पाता है.

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