मसूरी: जिले में फंसे विभिन्न प्रदेशों के प्रवासी लोगों को लाॅकडाउन के कारण अपने घर वापस जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकारों की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है कि लोगों को रेल और बस सहति अन्य वाहनों के जरिए उनके गृह जनपद पहुंचाया जाए. इसी कड़ी में सरकार ने लोगों को अपने निजी वाहनों से जाने की भी छूट दी है. वहीं, छत्तीसगढ़ के करीब 40 मजदूर मसूरी से घर जाना चाहते हैं.
मसूरी से छत्तीसगढ़ के लिए एक ट्रांसपोर्ट द्वारा एक बस का किराया करीब 1 लाख 20 हजार रुपए मांगने की बात सामने आई है, जिसमें 20 लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ले जाने को कहा गया है. जबकि लाॅकडाउन से पहले यही किराया प्रति व्यक्ति एक हजार रुपए था. ऐसे में ट्रांसपोर्ट की मनमानी साफ तौर पर देखी जा सकती है, जिसकी वजह से प्रवासी लोग काफी परेशान हैं.
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मजदूर विक्रम, मुकेश और वृजलाल का कहना है कि एक तरफ वो लाॅकडाउन की वजह से परेशान हैं. इस समय उन लोगों के पास खाने तक का पैसा नहीं है. ऐसे में वो इतने पैसों का इंतजाम कहां से करेंगे. उन्होने कहा कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार से भी मदद करने की मांग की गई है. लेकिन वहां की सरकार ने कोई सकारत्मक कदम नहीं उठाया है. ऐसे में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
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वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सतीश ढौंडियाल का कहना है कि सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों को जाने वाले मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके अलावा जो मजदूर किराए के वाहनों से पैसे देकर जाना चहाते हैं. उनके लिए कम दामों में वाहनों का इंतजाम करना चाहिए. साथ ही सरकार ट्रांसपोर्टर के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में जाने वाले वाहनों की दरें निधारित करनी चाहिए, जिससे इस आपात स्थिति में उनकी मनमानी ना चल सके.