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चारधाम श्राइन बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों ने फिर भरी हुंकार, पुलिस ने रोका तो बैठ गए सड़क पर

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Published : Dec 9, 2019, 5:16 PM IST

उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक के विरोध में चारों धामों के सैकड़ों तीर्थ पुरोहितों ने विधानसभा कूच किया. हालांकि पुलिस बल ने उन्हें विधानसभा पहुंचने से पहले ही रोक दिया. जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है, कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेगी तो तीर्थ पुरोहित सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होंगे.

चारधाम श्राइन बोर्ड न्यूज  Vidhan Sabha Cooch News
श्राइन बोर्ड विधेयक के विरोध में धरना

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 के विरोध में चारों धामों के सैकड़ों तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को विधानसभा कूच किया. लेकिन पुलिस बल ने तीर्थ पुरोहितों को विधानसभा पहुंचने से पहले ही रिस्पना पुल पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिसके चलते गुस्साए तीर्थ पुरोहित सड़क पर ही धरने में बैठ गए. साथ ही तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेगी तो तीर्थ पुरोहित कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होंगे.

देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने बताया कि राज्य सरकार ने 51 मठ-मंदिरों को अपने अधीन करने का फैसला लिया है. जिसके विरोध में तीर्थ पुरोहित पीछे नहीं हटेंगे. सरकार ने किसी भी तरह की राय लिए बिना इतना बड़ा निर्णय लेकर पंडा समाज का घोर अपमान किया है. जिसके चलते तीर्थ पुरोहित समाज व्यथित है.

चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक के विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने किया विधानसभा कूच.

साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पहाड़ के लोग जितने सौम्य और नरम हैं, उतने ही आक्रमक भी हो जाएंगे. पहाड़ के निवासियों ने ही उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी है. जिसके चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं.

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साथ ही बताया कि श्राइन बोर्ड के विरोध में आगामी 18 दिसंबर को उत्तरकाशी में एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. जिसमें तमाम तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे. जिसके बाद 20 तारीख को श्रीनगर में भी एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के साथ घोड़े वाले, डंडी-कंडी वाले, डोली वाले और व्यपारी भी शामिल होंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार को सबक सिखाने के लिए चारधाम यात्रा मार्गों में दुकानें, होटल, प्रतिष्ठान नहीं खुलने दिए जाएंगे.

वहीं बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहित दिनकर बाबुलकर ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार श्राइन बोर्ड बनाने की हठधर्मिता छोड़ दें अन्यथा आगामी समय में भाजपा की विदाई तय है. साथ ही कहा कि तीर्थ पुरोहितों ने अभी तो विधानसभा घेराव किया है. न्याय के लिए तीर्थ पुरोहित हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी जाएंगे.

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वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने श्राइन बोर्ड कानून का तीखा विरोध करते हुए कहा कि सरकार सैकड़ों हजारों सालों से चली आ रही सनातनी परंपरा को बदलने का निर्णय लेकर हिंदू आस्था पर चोट कर रही है. उन्होंने सरकार पर छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस फैसले के बाद पूजा की संस्कृति, आस्था और स्तुतियां पूरी तरह खत्म हो जायेंगी.

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 के विरोध में चारों धामों के सैकड़ों तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को विधानसभा कूच किया. लेकिन पुलिस बल ने तीर्थ पुरोहितों को विधानसभा पहुंचने से पहले ही रिस्पना पुल पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिसके चलते गुस्साए तीर्थ पुरोहित सड़क पर ही धरने में बैठ गए. साथ ही तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेगी तो तीर्थ पुरोहित कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होंगे.

देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने बताया कि राज्य सरकार ने 51 मठ-मंदिरों को अपने अधीन करने का फैसला लिया है. जिसके विरोध में तीर्थ पुरोहित पीछे नहीं हटेंगे. सरकार ने किसी भी तरह की राय लिए बिना इतना बड़ा निर्णय लेकर पंडा समाज का घोर अपमान किया है. जिसके चलते तीर्थ पुरोहित समाज व्यथित है.

चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक के विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने किया विधानसभा कूच.

साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पहाड़ के लोग जितने सौम्य और नरम हैं, उतने ही आक्रमक भी हो जाएंगे. पहाड़ के निवासियों ने ही उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी है. जिसके चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं.

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साथ ही बताया कि श्राइन बोर्ड के विरोध में आगामी 18 दिसंबर को उत्तरकाशी में एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. जिसमें तमाम तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे. जिसके बाद 20 तारीख को श्रीनगर में भी एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के साथ घोड़े वाले, डंडी-कंडी वाले, डोली वाले और व्यपारी भी शामिल होंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार को सबक सिखाने के लिए चारधाम यात्रा मार्गों में दुकानें, होटल, प्रतिष्ठान नहीं खुलने दिए जाएंगे.

वहीं बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहित दिनकर बाबुलकर ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार श्राइन बोर्ड बनाने की हठधर्मिता छोड़ दें अन्यथा आगामी समय में भाजपा की विदाई तय है. साथ ही कहा कि तीर्थ पुरोहितों ने अभी तो विधानसभा घेराव किया है. न्याय के लिए तीर्थ पुरोहित हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी जाएंगे.

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वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने श्राइन बोर्ड कानून का तीखा विरोध करते हुए कहा कि सरकार सैकड़ों हजारों सालों से चली आ रही सनातनी परंपरा को बदलने का निर्णय लेकर हिंदू आस्था पर चोट कर रही है. उन्होंने सरकार पर छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस फैसले के बाद पूजा की संस्कृति, आस्था और स्तुतियां पूरी तरह खत्म हो जायेंगी.

Intro:उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 के विरोध में चारों धामों के सैकड़ों तीर्थ पुरोहितों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए विधानसभा कूच किया, जहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने तीर्थ पुरोहितों को विधानसभा से पहले ही रिस्पना पुल के निकट बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया, नाराज तीर्थ पुरोहित सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और वहां एक सभा का आयोजन किया। तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो तीर्थ पुरोहित कोर्ट की शरण में भी जा सकते हैं।


Body:देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हुकूक धारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत नौटियाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने सलाह मशविरा किए बगैर इतना बड़ा निर्णय लेकर पंडा समाज के साथ घोर अपमान किया है ।तीर्थ पुरोहित समाज इससे व्यथित है ।सरकार के इस कदम का आगे भी विरोध किया जाएगा। कृष्णकांत कोठियाल ने कहा कि राज्य सरकार ने 51 मठ मंदिरों को अपने अधीन करने का फैसला लिया है, इसके विरोध में तीर्थ पुरोहित पीछे नहीं हटने वाले हैं सरकार आज जो बिल ला रही है उसे संख्या बल के आधार पर पास भी करा सकती है बहुत ज्यादा गतिरोध भी अगर हुआ तब भी यह बिल पास हो जाएगा। लेकिन हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, उन्होंने चेतावनी दी कि पहाड़ के लोग जितने सौम्य और नरम हैं, उतने आक्रमक भी हो जाएंगे। क्योंकि पहाड़ के निवासियों ने ही उत्तराखंड की लड़ाई लड़ी है यदि पहाड़ के लोग लड़ाई नहीं लड़ते तो त्रिवेंद्र रावत आज मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं संभाल रहे होते। उन्होंने ऐलान किया कि श्राइन बोर्ड के विरोध में आगामी 18 तारीख को उत्तरकाशी में एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा जिसमें तमाम तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे तो वही 20 तारीख को श्रीनगर में भी एक विशाल रैली का आयोजन होगा जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के अलावा घोड़े वाले, डंडी कंडी वाले ,व्यापारी, डोली वाले भी शामिल होंगे, सरकार को सबक सिखाने के लिए दुकानें, होटल, प्रतिष्ठान नहीं खुलने दिए जाएंगे, चारों धाम यात्रा मार्गो में ऐसा वातावरण बना दिया जायेगा, जैसे वहां कर्फ्यू जैसा माहौल हो।

बाईट- कृष्णकांत कोठियाल, अध्यक्ष, देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत

श्राइन बोर्ड का विरोध कर रहे बद्रीनाथ के तीर्थ पुरोहित दिनकर बाबुलकर का कहना है कि यह बड़ा दुख का विषय है कि त्रिवेंद्र सरकार ने श्राइन बोर्ड बनाने का फैसला किया है इससे पहाड़ की शान जनता भड़क गई है देवभूमि के लोग शांत प्रवृत्ति के माने जाते हैं मगर जब वे उग्र हो जाते हैं तो परशुराम का रूप धारण कर लेते हैं जब सरकार हठधर्मिता पर उतर जाती है तो ऐसे में परशुराम बनना पड़ेगा। राज्य सरकार ने पहाड़ के शांत लोगों को छेड़ दिया है, त्रिवेंद्र सरकार श्राइन बोर्ड बनाने की हठधर्मिता छोड़ दें अन्यथा आगामी समय में भाजपा की विदाई तय है। दिनकर बाबुल कर का कहना है कि तीर्थ पुरोहित ने अभी तो विधानसभा घेराव किया है, लेकिन इसके बाद आमरण अनशन से लेकर यदि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी न्याय के लिए जाना पड़ेगा तो सभी तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जाएंगे।

बाइट- दिनकर बाबुलकर ,तीर्थ पुरोहित, बद्रीनाथ

वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने श्राइन बोर्ड कानून का तीखा विरोध करते हुए कहा कि सरकार सैकड़ों हजारों सालों से चली आ रही सनातनी परंपरा को सरकार बदलने का निर्णय लेकर हिंदू आस्था पर चोट कर रही है उन्होंने सरकार पर छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस फैसले के बाद पूजा की संस्कृति आस्था और स्तुतियां पूरी तरह खत्म हो जायेंगी।

बाईट-कृतेश्वर उनियाल, सचिव,यमुनोत्री मंदिर समिति


Conclusion:हालांकि विधानसभा सत्र में विपक्ष श्राइन बोर्ड का विरोध करने में लगा हुआ है लेकिन बाहर पंडा समाज इस फैसले के विरोध में पूरी तरह से लामबंद एकमत नज़र आ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि यदि सरकार श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को विधानसभा में पास भी करा लेती है तो इस काले कानून के विरोध में उनका प्रदर्शन जारी रहेगा और साथ ही कपाट खुलने का भी विरोध किया जाएगा यदि जरूरत पड़ी तो पंडा समाज इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी जाने की तैयारी करेगा।
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