देहरादून: नगर निगम देहरादून के वार्डो में सफाई व्यवस्था के लिए गठित की गई पार्षद स्वच्छता समिति में घोटाला सामने आया है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच समिति गठित की है. जांच के लिए तीन सदस्य कमेठी गठित की गई है. समिति को एक महीने में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट नगर निगम प्रशासक को सौंपनी है.
जांच समिति में मुख्य विकास अधिकारी (अध्यक्ष), मुख्य कोषाधिकारी (सदस्य सचिव) और उप जिला मजिस्ट्रेट (सदस्य) को शामिल किया गया है. बता दें कि बीते साल 2023 में दो दिसंबर को देहरादून नगर निगम की बोर्ड बैठक का कार्यकाल पूरा हो गया तो देहरादून जिलाधिकारी सोनिका ने प्रशासक के रूप में नगर निगम की कमान संभाली थी.
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2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया तो कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिली. इसके बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. प्रशासक ने समितियां के भौतिक सत्यापन के आदेश दिए तो बड़ा घपला सामने आया है.
खातों में सैलरी ट्रांसफर करने के लिए नगर निगम में समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थिति, आधार कार्ड और बैंक खातों की संख्या जुटाई तो आधे से ज्यादा कर्मचारी गायब मिले. इससे साफ हो गया कि यहां सैलरी के नाम पर बड़ा घपला किया जा रहा है. इसके साथ ही कर्मचारियों की संख्या भी वास्तविकता से अधिक बताई गई है.
जांच में पता चला है कि देहरादून नगर निगम सफाई व्यवस्था में लगे कर्मचारियों की सैलरी के लिए हर महीने करीब 1.5 करोड़ रुपए का भुगतान करता है. प्रत्येक कर्मचारी का वेतन करीब 15 हजार रुपए महीना है. इस तरह बीते 15 महीने में देहरादून नगर निगम ने करीब 90 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जिसकी जांच के लिए अब एक कमेटी का गठन किया गया है.