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राजस्व क्षेत्र को रेगुलर पुलिस को सौंपे जाने की कवायद तेज, मुख्य सचिव ने दिए ये निर्देश

मुख्य सचिव ने आज सचिवालय में प्रदेश के राजस्व क्षेत्र को रेगुलर पुलिस को सौंपे जाने को लेकर जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की. इस मौके पर मुख्यसचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस के थाना, रिपोर्टिंग चौकी या एरिया एक्सपेंशन की आवश्यकता है. शीघ्र उसके प्रस्ताव भेज दिए जाएं.

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Published : Oct 6, 2022, 7:23 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय (uttarakhand secretariat) में गुरुवार को मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू (Chief Secretary Dr SS Sandhu) की अध्यक्षता में प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस को दिए जाने के संबंध में जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की गई. इस बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि रेगुलर पुलिस में शामिल किए जाने हेतु जिन क्षेत्रों को तत्काल शामिल किए जाने की आवश्यकता है, उनके प्रस्ताव शीघ्र भेजे जाएं.

वहीं, मुख्य सचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस के थाना, रिपोर्टिंग चौकी या एरिया एक्सपेंशन की आवश्यकता है, शीघ्र अतिशीघ्र उसके प्रस्ताव भेज दिए जाएं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक टूरिज्म स्टेट होने के कारण हॉस्पिटैलिटी का क्षेत्र में महिलाओं के कार्य की अत्यधिक संभावना को देखते हुए हम सभी को प्रोएक्टिव होकर कार्य करना होगा.

पढ़ें- चमोली दौरे पर मुख्य सचिव एसएस संधू, बदरीनाथ-हेमकुंड साहिब के मास्टर प्लान का लिया जायजा

मुख्य सचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय में पर्यटन अथवा व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं, उन्हें प्राथमिकता से रेगुलर पुलिस में शामिल किया जाए. उन्होंने डीजीपी अशोक कुमार को भी जघन्य अपराधों की कैटेगरी निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए कि राजस्व क्षेत्रों में जघन्य अपराध के मामलों को तत्काल रेगुलर पुलिस को सौंपते हुए एफआईआर दर्ज की जाए.

इस मौके पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (Additional Chief Secretary Radha Raturi) ने कहा कि प्रदेश के किसी भी कोने में काम करने वाली महिलाओं के लिए रजिस्ट्रेशन या अन्य कोई ऐसा सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें वह अपनी जानकारी दर्ज कर सकें कि वह यहां कार्य कर रही हैं, ताकि यदि कोई अप्रिय घटना होने पर तत्काल जानकारी उपलब्ध हो सके.

पढ़ें- आपदा में अधिकारियों के उदासीन रवैये से नाराज प्रीतम सिंह, मुख्य सचिव से की मुलाकात

मुख्य सचिव ने कहा कि पुलिस को इसमें प्रोएक्टिव होकर काम करना होगा. उन्होंने डीजीपी को एक मोबाइल ऐप शुरू करने के निर्देश दिए हैं. जिसमें काम करने वाली महिला अपनी जानकारी दर्ज कर सके. साथ ही कॉल सेंटर जैसा सिस्टम भी तैयार किया जाए जो इन महिलाओं से कुछ-कुछ समयांतराल के बाद उनका हालचाल भी पूछा जाए. इसके प्रचार-प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया जाएय महिलाओं और उनके परिजनों को भी इसके लिए जागरूक किया जाए.

देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय (uttarakhand secretariat) में गुरुवार को मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू (Chief Secretary Dr SS Sandhu) की अध्यक्षता में प्रदेश के राजस्व क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस को दिए जाने के संबंध में जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की गई. इस बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि रेगुलर पुलिस में शामिल किए जाने हेतु जिन क्षेत्रों को तत्काल शामिल किए जाने की आवश्यकता है, उनके प्रस्ताव शीघ्र भेजे जाएं.

वहीं, मुख्य सचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस के थाना, रिपोर्टिंग चौकी या एरिया एक्सपेंशन की आवश्यकता है, शीघ्र अतिशीघ्र उसके प्रस्ताव भेज दिए जाएं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक टूरिज्म स्टेट होने के कारण हॉस्पिटैलिटी का क्षेत्र में महिलाओं के कार्य की अत्यधिक संभावना को देखते हुए हम सभी को प्रोएक्टिव होकर कार्य करना होगा.

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मुख्य सचिव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय में पर्यटन अथवा व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं, उन्हें प्राथमिकता से रेगुलर पुलिस में शामिल किया जाए. उन्होंने डीजीपी अशोक कुमार को भी जघन्य अपराधों की कैटेगरी निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए कि राजस्व क्षेत्रों में जघन्य अपराध के मामलों को तत्काल रेगुलर पुलिस को सौंपते हुए एफआईआर दर्ज की जाए.

इस मौके पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी (Additional Chief Secretary Radha Raturi) ने कहा कि प्रदेश के किसी भी कोने में काम करने वाली महिलाओं के लिए रजिस्ट्रेशन या अन्य कोई ऐसा सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें वह अपनी जानकारी दर्ज कर सकें कि वह यहां कार्य कर रही हैं, ताकि यदि कोई अप्रिय घटना होने पर तत्काल जानकारी उपलब्ध हो सके.

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मुख्य सचिव ने कहा कि पुलिस को इसमें प्रोएक्टिव होकर काम करना होगा. उन्होंने डीजीपी को एक मोबाइल ऐप शुरू करने के निर्देश दिए हैं. जिसमें काम करने वाली महिला अपनी जानकारी दर्ज कर सके. साथ ही कॉल सेंटर जैसा सिस्टम भी तैयार किया जाए जो इन महिलाओं से कुछ-कुछ समयांतराल के बाद उनका हालचाल भी पूछा जाए. इसके प्रचार-प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया जाएय महिलाओं और उनके परिजनों को भी इसके लिए जागरूक किया जाए.

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