देहरादून: देश और दुनिया में कई तरह से पर्यावरणीय बदलाव देखने को मिल रहे हैं, एक तरफ गुजरात के तटीय क्षेत्रों में तूफान के खतरे की चिंता देशवासियों को सता रही है. वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के जंगलों में फायर सीजन खत्म होने के बाद भी वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. यह स्थितियां मौसम और सीजन में हो रहे बदलाव के कारण पैदा हो रही है. इसका सीधा असर प्रदेश में फॉरेस्ट फायर पर भी दिखाई दे रहा है.
फायर कर्मियों की चुनौतियां बढ़ी: उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन खत्म हो गया है, वन विभाग राज्य में 15 फरवरी से 15 जून तक का समय फॉरेस्ट फायर के रूप में मानता है और इसके लिए पूर्व से ही काफी तैयारियां की जाती है. माना जाता है कि इसी समय अवधि के दौरान जंगलों में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं होती है और इसके बाद मानसून आने के साथ ही इन घटनाओं में कमी दिखाई देने लगती है. लेकिन इस साल जिस तरह मौसम में तब्दीली आई है उसके बाद जंगलों में आग की घटनाएं फायर सीजन खत्म होने के बाद भी लगातार सामने आने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
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हर साल वनों को होता है नुकसान: उत्तराखंड में इस साल फॉरेस्ट फायर की क्या रही घटनाएं आंकड़ों से समझिए. राज्य में इस बार कुल 674 आग लगने की घटनाएं जंगलों में रिकॉर्ड की गई. जिसमें करीब 798.64 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ गए. इस पूरे सीजन के दौरान जंगलों में लगी आग के कारण 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 3 लोग बुरी तरह से झुलस गए. साल 2023 में अब तक हुई घटना में 2034000 रुपए का वन विभाग को नुकसान हुआ है. हालांकि अभी जून का महीना है और आने वाले दिनों में भी यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है.
आग लगने की घटनाएं बढ़ने की आशंका: पिछले वर्षों को देखे तो साल 2022 में 2230 आग लगने की घटनाएं हुई थी जिसमें 3550 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया था. साल 2021 में 2813 घटनाएं हुई, जिसमें 3943.88 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. अब तक सबसे कम जंगलों में आग लगने की घटना लॉकडाउन के दौरान साल 2020 में रिकॉर्ड की गई. इस दौरान जंगलों में केवल 135 घटनाएं हुई और इसमें 172.69 हेक्टेयर वन क्षेत्र ही प्रभावित हुआ. मौसम में बदलाव के कारण लगातार आने वाले दिनों में भी फायर सीजन के बाद आग की घटनाएं बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
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क्या कह रहे जिम्मेदार: वनाग्नि एवं आपदा की जिम्मेदारी देख रहे मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा कहते हैं कि जिस तरह तापमान काफी बढ़ा है उसके बाद आने वाले दिनों में भी जंगलों में आग की घटनाओं में इजाफा होने की उम्मीद है और इसके लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है ताकि जरूरत के हिसाब से संवेदनशील क्षेत्रों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जा सके और जिन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं कम हुई है वहां के कर्मचारियों को भी उन क्षेत्रों में तैनाती दी जा सके.