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कोरोना इफेक्ट: जिस स्कूल में की पढ़ाई, वहीं बेच रहे सब्जियां

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Published : Jun 11, 2021, 2:56 PM IST

कोरोना काल में टेंट हाउस का काम ठप होने से नेहरू ग्राम निवासी प्रवेश छेत्री की हालत इन दिनों काफी खराब है. उनको परिवार के भरण-पोषण के लिए सब्जी का ठेला लगाना पड़ रहा है.

Dehradun Corona Curfew
Dehradun Corona Curfew

देहरादून: कोरोना महामारी के इस दौर में व्यापार ठप होने से लोगों ने अपना व्यवसाय तक बदल दिया लेकिन अभी भी खाने के लाले पड़े हैं. आलम यह है कि लोगों को परिवार के भरण-पोषण के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे ही एक व्यवसायी हैं देहरादून के प्रवेश छेत्री.

कोरोना काल में प्रवेश छेत्री का टेंट का व्यवसाय ठप पड़ गया. परिवार के पालन-पोषण के लिए प्रवेश को सब्जी का ठेला लगाना पड़ा. वह भी उसी स्कूल के बाहर जहां से उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की.

कोरोना काल में रोजी रोटी का संकट.

पिछले साल लॉकडाउन के चलते उनकी एक अस्पताल में सिक्योरिटी की नौकरी चली गयी, जिसके बाद उन्होंने लोन लेकर टेंट हाउस खोला. लेकिन तालाबंदी के बाद वह भी नहीं चल पाया. प्रवेश बताते हैं कि इन दिनों वो न तो लोन की किस्त भर पा रहे हैं और ना ही सब्जी का ठेला लगाने से उनकी रोजी-रोटी चल रही है.

सब्जी के ठेले से नहीं चल रही रोजी-रोटी

प्रवेश कहते हैं उनकी हालत ऐसी हो गई है कि अपने परिवार के पोलन-पोषण के लिए उन्होंने सब्जी का ठेला लगाया, लेकिन सब्जी का व्यापार भी कुछ खास नहीं चल रहा है. उनके सामने बहुत ही कठिन समस्या है. ऐसे में उनके ऊपर कर्ज भी बढ़ता जा रहा है.

पढ़ें- मायके में दूषित हो रही 'जीवनदायिनी', जानिए गंगा स्वच्छता की हकीकत

कोरोना की दूसरी लहर में टेंट हाउस का काम ठप

प्रवेश बताते हैं कि साल 2020 के अंत में स्थितियां सामान्य होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि एक बार फिर टेंट का काम पटरी पर आ जाएगा. लेकिन इस साल मार्च आते ही कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया. ऐसे में अब वह सब्जियां बेचकर जैसे-तैसे अपना घर चला रहे हैं.

शाही समारोह में लोगों की संख्या बढ़ाने की मांग

प्रवेश का राज्य सरकार से कहना है कि उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए. बस शादी-समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ा दी जाए. जिससे उनका व्यापार थोड़ा बहुत चल पड़े. ऐसा होने से ना सिर्फ वह अपना लोन चुका पाएंगे बल्कि अपने परिवार को पालन-पोषण भी अच्छी तरह कर पाएंगे.

देहरादून: कोरोना महामारी के इस दौर में व्यापार ठप होने से लोगों ने अपना व्यवसाय तक बदल दिया लेकिन अभी भी खाने के लाले पड़े हैं. आलम यह है कि लोगों को परिवार के भरण-पोषण के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे ही एक व्यवसायी हैं देहरादून के प्रवेश छेत्री.

कोरोना काल में प्रवेश छेत्री का टेंट का व्यवसाय ठप पड़ गया. परिवार के पालन-पोषण के लिए प्रवेश को सब्जी का ठेला लगाना पड़ा. वह भी उसी स्कूल के बाहर जहां से उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की.

कोरोना काल में रोजी रोटी का संकट.

पिछले साल लॉकडाउन के चलते उनकी एक अस्पताल में सिक्योरिटी की नौकरी चली गयी, जिसके बाद उन्होंने लोन लेकर टेंट हाउस खोला. लेकिन तालाबंदी के बाद वह भी नहीं चल पाया. प्रवेश बताते हैं कि इन दिनों वो न तो लोन की किस्त भर पा रहे हैं और ना ही सब्जी का ठेला लगाने से उनकी रोजी-रोटी चल रही है.

सब्जी के ठेले से नहीं चल रही रोजी-रोटी

प्रवेश कहते हैं उनकी हालत ऐसी हो गई है कि अपने परिवार के पोलन-पोषण के लिए उन्होंने सब्जी का ठेला लगाया, लेकिन सब्जी का व्यापार भी कुछ खास नहीं चल रहा है. उनके सामने बहुत ही कठिन समस्या है. ऐसे में उनके ऊपर कर्ज भी बढ़ता जा रहा है.

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कोरोना की दूसरी लहर में टेंट हाउस का काम ठप

प्रवेश बताते हैं कि साल 2020 के अंत में स्थितियां सामान्य होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि एक बार फिर टेंट का काम पटरी पर आ जाएगा. लेकिन इस साल मार्च आते ही कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया. ऐसे में अब वह सब्जियां बेचकर जैसे-तैसे अपना घर चला रहे हैं.

शाही समारोह में लोगों की संख्या बढ़ाने की मांग

प्रवेश का राज्य सरकार से कहना है कि उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए. बस शादी-समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ा दी जाए. जिससे उनका व्यापार थोड़ा बहुत चल पड़े. ऐसा होने से ना सिर्फ वह अपना लोन चुका पाएंगे बल्कि अपने परिवार को पालन-पोषण भी अच्छी तरह कर पाएंगे.

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