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तिलकुट कूटने की आवाज से गुलजार हो रही गया की गलियां, 150 साल से चली आ रही परंपरा

मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है, जिसे लेकर गया के रमणा और टिकारी रोड में कई दुकानों पर तिलकुट बनाने का काम दिन-रात हो रहा है. गया के रमणा रोड में तिलकुट बनाने की शुरुआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने की थी. उसके बाद से लेकर अब तक उनके वंशज और उनके कारगीर पारंपरिक तरीके से तिलकुट बनाने का काम कर रहे हैं.

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तिलकुट
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Published : Jan 10, 2020, 9:20 AM IST

गया: शहर की गलियां इन दिनों तिलकुट कूटने की आवाज से गुलजार हैं. इन गलियों में मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट बनाया जा रहा है. गया के रमणा रोड का तिलकुट बिहार ही नहीं पूरे देश मे प्रसिद्ध हैं. कहा जाता है तिलकुट बनाने की शुरुआत गया के रमणा रोड से हुई थी.

तिलकूट पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डेढ़ सौ साल पहले शुरु हुई थी तिलकुट बनाने की प्रक्रिया
मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है,जिसको लेकर गया के रमणा रोड और टिकारी रोड में कई दुकानों पर तिलकुट बनाने का काम दिन रात हो रहा है. मान्यता हैं कि मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाया जाता है, गया के रमणा रोड में तिलकुट बनाने की शुरुआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने की थी. उसके बाद से लेकर अब तक उनके वंशज और उनके करगीर पारंपरिक तरीके से तिलकुट बनाने का काम कर रहे हैं.

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तिलकुट बनाते हलवाई.

तिल और चीनी के मिश्रण से बनता है तिलकुट
रमणा रोड में कारीगरों को तिलकुट बनाने में महारथ हासिल है. यहां कारीगर अपने हाथों से तिलकुट को खस्ता बना देता है. कारीगर ने बताया कि तिल और चीनी के मिश्रण को कोयले की आग में मिश्रित होने तक मिलाया जाता है. उसके बाद लोइयां तैयार कर सावधानी पूवर्क उसकी कुटाई की जाती है. तब जाकर एक खास्ता तिलकुट बन पाता है. गया के रमणा रोड में पटना से तिलकुट खरीदने आये ग्राहक ने बताया गया कि यहां के तिलकुट की पहचान अनूठे स्वाद के लिए भी की जाती है. तिलकुट काफी खास्ता होता है.

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तिलकुट की खरीददारी करते ग्राहक.

गया में निर्मित तिलकुट के स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं
तिलकुट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों का कहना है इस साल चार से पांच तरह के तिलकुट बनाए जा रहे हैं. मुख्यतः चीनी और गुड़ के बने तिलकुट की मांग ज्यादा होती है. तिलकुट की कीमतों में भी पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गई है, और इसके पीछे महंगाई सबसे बड़ा कारण हैं. हालांकि गया में निर्मित तिलकुट और उसके स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं है. गया के तिलकुट देश में झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, मुंबई सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में भी भेजे जाता है.

गया: शहर की गलियां इन दिनों तिलकुट कूटने की आवाज से गुलजार हैं. इन गलियों में मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट बनाया जा रहा है. गया के रमणा रोड का तिलकुट बिहार ही नहीं पूरे देश मे प्रसिद्ध हैं. कहा जाता है तिलकुट बनाने की शुरुआत गया के रमणा रोड से हुई थी.

तिलकूट पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डेढ़ सौ साल पहले शुरु हुई थी तिलकुट बनाने की प्रक्रिया
मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक आ गया है,जिसको लेकर गया के रमणा रोड और टिकारी रोड में कई दुकानों पर तिलकुट बनाने का काम दिन रात हो रहा है. मान्यता हैं कि मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाया जाता है, गया के रमणा रोड में तिलकुट बनाने की शुरुआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने की थी. उसके बाद से लेकर अब तक उनके वंशज और उनके करगीर पारंपरिक तरीके से तिलकुट बनाने का काम कर रहे हैं.

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तिलकुट बनाते हलवाई.

तिल और चीनी के मिश्रण से बनता है तिलकुट
रमणा रोड में कारीगरों को तिलकुट बनाने में महारथ हासिल है. यहां कारीगर अपने हाथों से तिलकुट को खस्ता बना देता है. कारीगर ने बताया कि तिल और चीनी के मिश्रण को कोयले की आग में मिश्रित होने तक मिलाया जाता है. उसके बाद लोइयां तैयार कर सावधानी पूवर्क उसकी कुटाई की जाती है. तब जाकर एक खास्ता तिलकुट बन पाता है. गया के रमणा रोड में पटना से तिलकुट खरीदने आये ग्राहक ने बताया गया कि यहां के तिलकुट की पहचान अनूठे स्वाद के लिए भी की जाती है. तिलकुट काफी खास्ता होता है.

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तिलकुट की खरीददारी करते ग्राहक.

गया में निर्मित तिलकुट के स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं
तिलकुट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों का कहना है इस साल चार से पांच तरह के तिलकुट बनाए जा रहे हैं. मुख्यतः चीनी और गुड़ के बने तिलकुट की मांग ज्यादा होती है. तिलकुट की कीमतों में भी पहले की तुलना में ज्यादा बढ़ गई है, और इसके पीछे महंगाई सबसे बड़ा कारण हैं. हालांकि गया में निर्मित तिलकुट और उसके स्वाद का मुकाबला कहीं नहीं है. गया के तिलकुट देश में झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, मुंबई सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में भी भेजे जाता है.

Intro:गया शहर के गलियां इन दिनों धम्म धमम के आवाज से गुलजार हुआ है इन गलियों में मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट बनाया जा रहा है। गया के रमणा रोड का तिलकुट बिहार में ही नही पूरे देश मे प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है तिलकुट बनाने का शुरुआत गया के रमणा रोड से हुआ था।


Body:आपको बता दे मकर संक्रांति अब नजदीक आ गया है ,जिसको लेकर गया के रमणा रोड और टिकारी रोड में कई दुकानों पर तिलकुट बंनाने का काम दिन रात हो रहा है। मान्यता हैं मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाया जाता है जिसको लेकर तिलकुट बनाया जा रहा है। vo:1 बिहार के गया धार्मिक नगरी है जिसका पहचान मोक्ष नगरी के रूप में है साथ ही यहां के प्रसिद्ध मिठाई तिलकुट देश-विदेशो तक पसंद किया जाता है। गया के रमणा रोड तिलकुट बनाने का शुरुआत डेढ़ सौ साल पहले गोपी साव नामक हलवाई ने रमणा रोड से की थी। उसके बाद उनके वंशज औऱ उनके करगीर पारंपरिक तरीके से तिलकुट बनाने का काम कर रहे हैं। vo:2 गया के रमणा रोड में तिलकुट बनाने वाले कारीगरों को तिलकुट बनाने में महारथ हासिल है यहां कारीगर अपने हाथों से तिलकुट को खस्ता बना देते है कारीगर ने बताया तिल और चीनी को को मिश्रण को कोयले के आग मिलने तक मिलाया जाता है उसके बाद लोइयां तैयार कर उसे सावधानी पूवर्क कुटाई की जाती है तब जाकर एक खास्ता तिलकुट बन पाता है। बाइट- कारीगर गया के रमणा रोड में पटना से तिलकुट खरीदने आये ग्राहक ने बताया गया कि पहचान तिलकुट के अनूठे स्वाद के लिए भी जानी जाती है। यहां के तिलकुट काफी खास्ता होता है। यहां से शुरू हुआ तिलकुट बना तो गया का तिलकुट का महत्व बढ़ जाता है। बाइट- ग्राहक


Conclusion:तिलकुट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों का कहना है इस वर्ष चार से पांच तरह का तिलकुट बनाया जा रहा है। मुख्यतः दो तरह का तिलकुट चीनी और मीठा का बना तिलकुट ज्यादा मांग में रहता है। तिलकुट का दाम पहले के अपेक्षा ज्यादा बढ़ा है इसके पीछे महंगाई सबसे बड़ा कारण हैं। दुकानदार संघो का बड़ी मांग सरकार से तिलकुट व्यवसाय को लघु कुटीर उधोग में शामिल किया जाए जिससे यहां के व्यवसाय को आर्थिक सहायता मिल पायेगा। गया के तिलकुट देश ही नही विदेशो तक पहुँचेगा। हालांकि तिलकुट गया में निर्मित तिलकुट और उसके स्वाद का मुकाबला कही नही है गया के तिलकुट देश मे झारखंड, उत्तरप्रदेश, वेस्ट बंगाल, दिल्ली, मुबई सहित पाकिस्तान ,बांग्लादेश जैसे देश मे भेजा जाता है।
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