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कोर्ट में गुरुजी हो गए फेल! फर्जी डिग्री से बने थे सरकारी मास्टर, पांच साल के लिए गए जेल - SENTENCED FAKE TEACHER RUDRAPRAYAG

रुद्रप्रयाग कोर्ट में एक और फर्जी शिक्षक को जेल भेजा है. दोषी फर्जी डिग्री के सहारे सरकारी मास्टर बना था.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 6, 2025, 7:18 PM IST

रुद्रप्रयाग: शिक्षा विभाग में फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले एक और शिक्षक को जेल की सजा हुई है. फर्जी शिक्षक लंबे समय से शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहा था. एसआईटी जांच के बाद मामले का खुलासा हुआ. न्यायालय में पेश करने के बाद फर्जी शिक्षक को पांच साल के लिए पुरसाड़ी जेल भेजा गया है, जबकि दस हजार के जुर्माने से भी दंडित किया गया है. न्यायालय की ओर से गैर जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध भी विभागीय कार्रवाही अमल में लाने के निर्देश दिए गए हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में तैनात फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल ने बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की. एसआईटी और विभागीय स्तर पर जब जांच को लेकर बीएड वर्ष 2003 की डिग्री का सत्यापन कराया गया तो सत्यापन के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त होने पर पता चला कि फर्जी अध्यापक ने विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री प्राप्त नहीं की, जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने शिक्षक के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया.

फर्जी शिक्षक को तत्काल निलम्बित कर बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया. सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल को छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी करार पाते हुए धारा 420 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा दस हजार रूपए जुर्माने से दंडित किया.

जुर्माना अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई. दोष सिद्ध अध्यापक फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल को न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी (चमोली) भेजा गया. मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य ने की.

वहीं मामले में सख्त रूख अपनाते हुए न्यायालय ने सचिव शिक्षा सचिव गृह देहरादून को पत्र प्रेषित कर चयन के दौरान बरती गई लापरवाही पर गैर जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाही अमल में लाने को लेकर निर्देशित किया है. न्यायालय ने कहा कि शिक्षा विभाग ने बिना सत्यापन के फर्जी शिक्षकों को सेवा में नियुक्ति के अलावा स्थायीकरण दिया. साथ ही प्रोन्नति भी बिना जांच पड़ताल के प्रदान की गई, जिसमें शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है.

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रुद्रप्रयाग: शिक्षा विभाग में फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले एक और शिक्षक को जेल की सजा हुई है. फर्जी शिक्षक लंबे समय से शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहा था. एसआईटी जांच के बाद मामले का खुलासा हुआ. न्यायालय में पेश करने के बाद फर्जी शिक्षक को पांच साल के लिए पुरसाड़ी जेल भेजा गया है, जबकि दस हजार के जुर्माने से भी दंडित किया गया है. न्यायालय की ओर से गैर जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध भी विभागीय कार्रवाही अमल में लाने के निर्देश दिए गए हैं.

रुद्रप्रयाग जिले में तैनात फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल ने बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की. एसआईटी और विभागीय स्तर पर जब जांच को लेकर बीएड वर्ष 2003 की डिग्री का सत्यापन कराया गया तो सत्यापन के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त होने पर पता चला कि फर्जी अध्यापक ने विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री प्राप्त नहीं की, जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने शिक्षक के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया.

फर्जी शिक्षक को तत्काल निलम्बित कर बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया. सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल को छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी करार पाते हुए धारा 420 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा दस हजार रूपए जुर्माने से दंडित किया.

जुर्माना अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भी सुनाई. दोष सिद्ध अध्यापक फर्जी शिक्षक राजू लाल पुत्र दिल्लू लाल को न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी (चमोली) भेजा गया. मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य ने की.

वहीं मामले में सख्त रूख अपनाते हुए न्यायालय ने सचिव शिक्षा सचिव गृह देहरादून को पत्र प्रेषित कर चयन के दौरान बरती गई लापरवाही पर गैर जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाही अमल में लाने को लेकर निर्देशित किया है. न्यायालय ने कहा कि शिक्षा विभाग ने बिना सत्यापन के फर्जी शिक्षकों को सेवा में नियुक्ति के अलावा स्थायीकरण दिया. साथ ही प्रोन्नति भी बिना जांच पड़ताल के प्रदान की गई, जिसमें शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है.

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