डोइवाला: इस साल मॉनसून सीजन में कम बारिश होने से क्षेत्र की सौंग, सुसवा और जाखन नदी का जलस्तर नहीं बढ़ पाया है. जबकि, विगत वर्षों में यह नदियां पानी से लबालब भरी रहती थी. बरसात के सीजन में जलस्तर न बढ़ने से प्रकृतिप्रेमी खासे चिंतित दिखाई दे रहे हैं. साथ ही नदी के जलस्तर न बढ़ने से अस्तित्व को लेकर चिंता गहरा गई है.
मॉनसून के सुस्त होने और कम वर्षा के चलते किसानों के लिए वरदान समझी जाने वाली नदियां सूख रही हैं. सौंग ,सुसवा और जाखन नदी में अभी तक बरसात का पानी नहीं आया है, जिसके चलते पर्यावरण प्रेमी किसान व उद्यान विभाग के अधिकारी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. किसानों ने कम बारिश के चलते इस बार धान की रोपाई भी नहीं की है. वहीं, जिन किसानों ने धान की रोपाई की है वह भी कम बारिश के चलते चिंतित दिखाई दे रहे हैं. जीवनदायिनी कही जाने वाली नदियां आधी बरसात बीत जाने के बाद भी सूखी दिखाई दे रही हैं.
पढ़ें-बीजेपी भूल गई पार्टी की टैग लाइन, चुनिंदा पर ही लागू है 'एक व्यक्ति एक पद' का फार्मूला
सौंग नदी में अभी तक बरसात का पानी नहीं आया है, जबकि यह नदी हजारों किसानों की जमीन को सींचने का काम करती है. वहीं, उद्यान विभाग के अधिकारी निधि थपड़ियाल का कहना है कि इस समय पौधारोपण का समय है. लेकिन पौधों को जितना पानी बरसात का मिलना चाहिए अभी नहीं मिल पा रहा है. जिससे पौधे सूखने लगे हैं. साथ ही अभी तक मॉनसून का असर भी बहुत कम देखने को मिल रहा है.
उद्यान विभाग का मुख्य काम प्लांटेशन करने का है, लेकिन पौधों को इस समय जितना पानी मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिल पा रहा है. वहीं, तेज गर्मी के चलते पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता पड़ रही है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की खेती नहरों की सिंचाई पर निर्भर रहती है और आजकल धान की रोपाई का कार्य चल रहा है. लेकिन कम वर्षा होने के चलते इसका असर धान की रोपाई पर भी पड़ रहा है. जबकि, कुछ किसानों ने कम बारिश की संभावना के चलते इस बार धान की रोपाई भी नहीं की है और कम बारिश किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
किसान महेंद्र चौहान का कहना है कि प्रमुख नदियां जिनमें अभी तक बरसात का पानी नहीं आया है सूखी पड़ी है. जिससे सैकड़ों किसानों की फसलों को सिंचाईं करने वाली नदी के सूखने से चिंता बढ़ गई है. पर्यावरण प्रेमी भारत भूषण का कहना है कि जंगलों के अधिक दोहन और प्रकृति से छेड़छाड़ के चलते यह मौसम असंतुलित हो रहा है. बरसात का आधा सीजन बीतने के बाद भी नदियों का जलस्तर नहीं बढ़ा है. जो आने वाले दिनों में चिंता का सबब बन सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि सभी को इस पर गंभीर चिंतन कर प्रकृति से छेड़छाड़ न करके अधिक से अधिक पौधे रोपित करने चाहिए. साथ ही नदियों के किनारे भी अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए.