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भैया दूज: बहन के घर भोजन करने से बढ़ती है भाई की उम्र, खुद यमराज पूर्ण करते हैं मनोकामनाएं

भैया दूज भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है. साथ ही इस दिन यमराज बहनों की ओर से मांगी गई मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.

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Published : Oct 29, 2019, 7:03 AM IST

भैया दूज त्योहार

देहरादून: रोशनी के पर्व दीपावली के बाद मनाए जाने वाले पर्व भैया दूज का खास महत्व है. भैया दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को रोली और अक्षत से तिलक कर उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं.

ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी ने बताया कि भैया दूज को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे. उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भैया दूज के रूप में मनाता है. इस दिन यम देवता के पूजन का खास महत्व होता है. यही कारण है कि भैया दूज को यमदूत के नाम से भी जाना जाता है.

पढ़ें- गंगोत्री धाम के कपाट विधि-विधान से बंद, 6 महीने तक मुखबा में होंगे दर्शन

ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी के मुताबिक भैया दूज का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता, जिस समय भाई बहन का मिलन हो, वहीं मुहूर्त शुभ माना जाता है. वे कहते हैं कि भैया दूज के दिन सबसे पहले भाई बहन को निराहार रहकर गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. जिसके बाद ही बहनों को भाई का तिलक करना चाहिए.

भाई बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज

इसलिए मनाया जाता है भैया दूज

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

यमराज ने सोचा कि वो तो प्राणों को हरने वाले हैं. उन्हें कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना उनका धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर उन्हें भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.

यमुना ने कहा कि आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे आपका भय न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विदा ली. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.

देहरादून: रोशनी के पर्व दीपावली के बाद मनाए जाने वाले पर्व भैया दूज का खास महत्व है. भैया दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को रोली और अक्षत से तिलक कर उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं.

ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी ने बताया कि भैया दूज को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे. उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भैया दूज के रूप में मनाता है. इस दिन यम देवता के पूजन का खास महत्व होता है. यही कारण है कि भैया दूज को यमदूत के नाम से भी जाना जाता है.

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ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी के मुताबिक भैया दूज का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता, जिस समय भाई बहन का मिलन हो, वहीं मुहूर्त शुभ माना जाता है. वे कहते हैं कि भैया दूज के दिन सबसे पहले भाई बहन को निराहार रहकर गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. जिसके बाद ही बहनों को भाई का तिलक करना चाहिए.

भाई बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज

इसलिए मनाया जाता है भैया दूज

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

यमराज ने सोचा कि वो तो प्राणों को हरने वाले हैं. उन्हें कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना उनका धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर उन्हें भोजन कराया. यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा.

यमुना ने कहा कि आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे आपका भय न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विदा ली. तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.

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देहरादून- रोशनी के पर्व दीपावली के बाद मनाए जाने वाले पर्व भैया दूज का खास महत्व है। बता दें कि राखी भाई बहन के प्यार का प्रतीक है वही भैया दूज भाई की लंबी उम्र की कामना का दिन है इस दिन बहनें अपने भाइयों को रोली और अक्षत से तिलक कर उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं।

बता दे की भैया दूज का पर्व कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है इसी दिन यमराज बहनों की ओर से मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।




Body:भैया दूज पर्व के महत्व को समझने के लिए ईटीवी भारत में ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी से बात की ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी ने बताया कि भैया दूज को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कहा जाता है कि यह वह स्थिति है जब यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं और उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भैया दूज के रूप में मनाता है ।

बता दें कि इस दिन यम देवता के पूजन का खास महत्व होता है इस दिन यमुना चित्रगुप्त और यमदूत ओं की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भैया दूज को यमदूत या के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी के मुताबिक भैया दूज का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता जिस समय भाई बहन का मिलन हो वही मुहूर्त शुभ है वहीं उन्होंने बताया कि भैया दूज के दिन सबसे पहले भाई बहन को निराहार रह कर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद ही बहनों को भाई का तिलक करना चाहिए।




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