देहरादून: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत की बात करें तो यहां निम्न तबके और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. लोगों की आर्थिक स्थिति तो डगमगाई ही है, साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में इस महामारी ने सबसे ज्यादा असर डाला है. देहरादून शहर में मौजूद मलिन बस्तियों के बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
देहरादून शहर में किया गया सर्वे: देहरादून शहर के अलग-अलग इलाकों में एक निजी संस्था द्वारा 150 से ज्यादा गरीब परिवारों का सर्वे किया गया. सर्वे में पाया गया कि 80 फीसदी से ज्यादा परिवारों के छात्रों की शिक्षा छूट चुकी है. सर्वे में पाया गया कि कोरोना महामारी के दौरान पहले स्कूलों का बंद हो जाना. उसके बाद आर्थिकी की मार के कारण बच्चों को स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.
बच्चों की पढ़ाई में आर्थिकी बनी रोड़ा: मलिन बस्तियों की महिलाओं का कहना है कि अब हालात तो धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन शिक्षा का माहौल खत्म हो गया है. बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है. महिलाओं ने बताया कि मलिन बस्तियों में परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है. ऐसे में माता-पिता अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में जुटे हैं. इस कारण बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. यही कारण है कि मलिन बस्तियों के आसपास के स्कूलों में छात्रों की संख्या घट जुटी है.
पढे़ं- LIC IPO : पॉलिसीधारकों को मिलेगा डिस्काउंट, मगर जान लें कि खरीदने के लिए जरूरी क्या है
फ्री एजुकेशन कैंप: देहरादून की मलिन बस्तियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए एक निजी संस्था आगे आई है. निजी संस्था मानवीय उत्थान फाउंडेशन की निदेशक दीपांजलि शर्मा ने बताया कि उनके फॉउंडेशन ने शिक्षा से दूर हो चुके बच्चों को फिर से पढ़ाने का जिम्मा उठाया है. ऐसे में उनकी संस्था लगातार मलिन बस्तियों में जाकर बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने का काम कर रही है. जिससे बच्चों को एक बार फिर से पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके.