देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना महामारी के चलते संक्रमित मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ने के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं. प्रदेश में ऐसे हालातों से निपटने के लिए डेडिकेटेड अस्पताल या सेंटर्स तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि ऐसे अस्थाई सेंटर्स को चिकित्सक मिलना मुश्किल हो रहा है. इस कारण स्थायी अस्पतालों के चिकित्सकों को ही इन सेंटर्स पर भेजा जा रहा है. इससे चिकित्सकों पर भी अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है.
रायपुर स्टेडियम में बनाए गए सेंटर्स पर भी चिकित्सकों की कमी
देहरादून के रायपुर स्टेडियम में 600 से ज्यादा बेड वाले कोविड केयर सेंटर में दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक ही ड्यूटी दे रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कुछ चिकित्सकों की ड्यूटी यहां पर लगाई गई है, लेकिन नए सेंटर की जिम्मेदारी दून मेडिकल कॉलेज को ही दी गई है.
परेशानी की बात यह है कि यह चिकित्सक पहले ही दून मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज को लेकर बेहद व्यस्त थे. ऐसे में नए सेंटर में भी कॉलेज के चिकित्सकों की तैनाती उनके लिए समस्याएं खड़ी कर रहा है.
चिकित्सकों की भर्ती का प्रयास जारी है
राज्य सरकार की तरफ से उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चिकित्सकों के चयन को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन मौजूदा हालातों में चिकित्सकों की भर्ती बेहद मुश्किल है. यही नहीं अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बाकी कर्मचारियों की नियुक्ति के भी प्रयास किए जा रहे हैं.
डीआरडीओ अस्पताल भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है
कमोबेश डीआरडीओ के 500 बेड वाले नए कोविड डेडिकेटेड सेंटर का भी यही हाल है. यहां भी चिकित्सक नहीं मिल पा रहे हैं. राज्य में पहले ही चिकित्सकों की भारी कमी है. हालत यह है कि प्रदेश में संविदा पर तैनात चिकित्सकों से ही सरकार काम चला रही है. इन हालातों के बीच तेजी से नए सेंटर्स तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन इनके लिए चिकित्सक और बाकी स्टाफ मिलना मुश्किल हो रहा है.
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने जताई चिंता
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सयाना के मुताबिक चिकित्सकों पर इस समय बेहद दबाव है. महामारी के बढ़ने पर यह दबाव और भी ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि चिकित्सकों को पर्याप्त आराम दिया जाए, क्योंकि यह वक्त चिकित्सकों और बाकी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बेहद चुनौती भरा है.
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राज्य में मैदानी जिलों में भी कोविड-19 केयर सेंटर्स बनाए जा रहे हैं. यही नहीं कई अस्पतालों में बेड की संख्या भी बढ़ा दी गई है, लेकिन इस लिहाज से यहां पर चिकित्सकों की तैनाती नहीं की जा रही है.
इन सब के बीच प्रदेश में अब तक पांच चिकित्सकों की मौत कोरोना से हो चुकी है. कई चिकित्सक कोरोना संक्रमित होने के कारण अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में चिकित्सकों पर दबाव और भी ज्यादा बढ़ गया है. स्वास्थ्य विभाग को जल्द ही इसका समाधान निकालना चाहिए.