मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में शिफन कोर्ट परिसर से 84 परिवारों को हटा दिया गया था. इनमें से 48 परिवारों के सदस्यों ने प्रशासन के खिलाफ शहीद स्थल पर धरना प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. बेघर हुए लोगों को विस्थापित करने की मांग की गई. मांग पूरी ना होने पर 18 सितंबर को सभी लोगों द्वारा सामूहिक रूप से भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी गई है.
मसूरी शिफन कोर्ट के बेघर हुए लोगों के साथ मसूरी व्यापार मंडल और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शहीद स्थल पर नगर पालिका प्रशासन और सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यापार मंडल के सदस्यों ने परिवारों को विस्थापित करने की मांग की. मांग ना पूरी होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी. पीड़ित परिवारों के सदस्यों आरोप है कि राजनेता उनको वोट के लिए इस्तेमाल करते हैं. नेताओं ने उनके कच्चे मकानों को पक्का बनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन ये काम आज तक नहीं हो सका है. प्रशासन ने अब उनके कच्चे घरों को भी तुड़वा दिया है.
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पीड़ित परिवारों का कहना है कि राजनेताओं ने उनका घर तो तुड़वा दिया, लेकिन उनके विस्थापन की कोई योजना नहीं बनाई गई. ऐसे में वो दर-दर भटकने को मजबूर हैं. लोग सड़क किनारे झोपड़ी बना कर गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. पीड़ित परिवारों ने प्रदेश सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से विस्थापित करने की मांग की है. इन लोगों का कहना है कि जब तक सरकार और स्थानीय प्रशासन उनको सुरक्षित स्थान मुहैया नहीं कराते, तब तक वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे. वहीं, पीड़ित लोगों ने 18 सितंबर को सामूहिक भूख हड़ताल की भी चेतावनी दी है.
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स्थानीय जनप्रतिनिधि रजत अग्रवाल और बिल्लू वाल्मीकि का कहना है कि सरकार गरीबों के साथ अन्याय कर रही है. विकास के नाम पर गरीबों के घरों को उनसे छीना गया है, लेकिन पीड़ितों को अभी तक कोई सुरक्षित स्थान नहीं मुहैया कराया गया है. पालिका प्रशासन को शिफन कोर्ट की जमीन हस्तांतरित करने से पहले यहां पर रह रहे 84 परिवारों को विस्थापित करने की योजना बनानी चाहिए थी. लेकिन इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया. सरकार और पालिका प्रशासन की बेरुखी का खामियाजा इन गरीब परिवारों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं उन्होंने सरकार और पालिका-प्रशासन से बेघर हुए लोगों को विस्थापित करने के साथ आर्थिक रूप से मदद देने की मांग की है.