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घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन, सुनें दर्द की दास्तां

श्मशाद कहते हैं पिछला लॉकडाउन तो जैसे तैसे निकाल लिया, मगर इस बार हालात बहुत खराब हैं. श्मशाद को राज्य सरकार से भी उम्मीदें थी कि वो उनके बारे में कुछ सोचेगी, शादी-समारोह में कुछ छूट देगी. जिससे उनका घर चल सके, मगर ऐसा नहीं हुआ. राज्य सरकार नये फरमान में और कड़े फैसले सुना दिये. जिससे उनका धैर्य जवाब दे गया है.

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40 साल से घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन
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Published : May 16, 2021, 5:29 PM IST

Updated : May 17, 2021, 10:31 PM IST

हरिद्वार: कोरोना की दूसरी लहर का कहर देशभर में बढ़ रहा है. कोरोना के कारण लोग काल के गाल में समा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जो कही अपने घरों से दूर हैं वे भी अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. कोरोना के कारण लगाई गई पाबंदियों ने भी कई घरों के चूल्हे की आग को ठंडा कर दिया है. जिससे अब लोग परेशान होने लगे हैं. ऐसी ही एक कहानी मंगलौर के एक सुदूर गांव में रहने वाले शमशाद की भी है.

घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन

दरअसल, शमशाद पिछले 40 सालों से ऋषिकेश में घोड़ा-बग्घी का काम करते आ रहे हैं. बीते एक साल से कोरोन के कारण उनके काम पर बहुत बुरा असर पड़ा है. अब तक नौबत ऐसी नहीं आई थी कि वे यहां से पलायन कर जाए. मगर इस बार प्रदेश में कोरोना इतना बेकाबू हो गया है कि इसे रोकने में प्रदेश सरकार भी नाकाम नजर आ रही है. बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार ने तमाम तरह की पाबंदियां, गाइडलाइन जारी की हैं. शादी-समारोह को लेकर भी राज्य सरकार ने विशेष आदेश जारी किये हैं. जिसमें 20 लोगों की मौजूदगी के साथ ही अन्य बातों को तामिल करने की बात कही गई है.

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घोड़ा-बग्घी के साथ शमशाद.

पढ़ें- कोरोना काल में अनाथ बच्चों को 2 हजार प्रति माह देगी उत्तराखंड सरकार

जानवरों से साथ किया पलायन

शादी-समारोहों पर लगी पाबंदियों का सीधा असर शमशाद जैसे छोटे-मोटे काम करने वालों पर पड़ा है. जो पहले बड़ी मुश्किल से इस हालात से उबरे थे, वे अब एक बार फिर उसी मुहाने पर खड़े हो गये हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि 40 साल से घोड़ा-बग्घी का काम करने वाले शमशाद अब अपने जानवरों के साथ ही पलायन कर रहे हैं.

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शमशाद और नौशाद.

शमशाद के पास हैं लाखों के जानवर

शमशाद के पास 6 जानवर हैं, जिसमें तीन घोड़ियां हैं. शमशाद बताते हैं कि उन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही ₹30000 का घोड़ा खरीदा था. घोड़ा बाजार में सस्ता मिल जाता है और घोड़ियां महंगी. लिहाजा एक घोड़ी ₹70000 की खरीदी थी. उनको उम्मीद थी कि इस बार का सीजन थोड़ा अच्छा जाएगा. लिहाजा घोड़ों को खिला पिला कर उन्होंने शादी ब्याह के लिए तैयार किया था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद खाने के लाले पड़ गए. ₹300 डेली का एक जानवर चारा खाता है. शमशाद कहते हैं कि अब वह अपने जानवरों को लेकर गांव वापस जा रहे हैं. ताकि इनको बेचकर कर कोई और काम वो कर सकें.

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घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन.

पढ़ें- ऑक्सीजन सिलेंडर वापस न करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई: DGP

कर्जा उतारने के लिए जानवरों को बेचना होगा- शमशाद

बेहद भावुक होते हुए शमशाद कहते हैं कि ये फैसला उनके लिए बहुत मुश्किल है, पिछले साल कोरोना के कारण बिगड़े हुए हालातों को सुधारने और खुद पर हुए कर्जे को उतारने के लिए उन्हें अपने जानवरों को बेचना होगा. हाईवे पर तेज कदमों से घर की ओर बढ़ते हुए शमशाद और नौशाद ने बातचीत में बताया कि गांव में जाकर वह ईट भट्टों में मजदूरी करेंगे. अगर जानवरों के दाम अच्छे मिले तो वह उन्हें बेच भी देंगे, ताकि जो कर्जा उनके ऊपर हुआ है उसे उतार सके.

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अपने घोड़े के साथ शमशाद.

पढ़ें- ईद पर कोविड कर्फ्यू में ढील, 12 बजे तक खुलेंगे बाजार

जैसे-तैसे काटा पिछला लॉकडाउन

श्मशाद कहते हैं पिछला लॉकडाउन तो जैसे तैसे निकाल लिया, मगर इस बार हालात बहुत खराब हैं. श्मशाद को राज्य सरकार से भी उम्मीदें थी कि वो उनके बारे में कुछ सोचेगी, शादी-समारोह में कुछ छूट देगी. जिससे उनका घर चल सके, मगर ऐसा नहीं हुआ. राज्य सरकार नये फरमान में और कड़े फैसले सुना दिए हैं, जिससे उनका धैर्य जवाब दे गया है.

पढ़ें- कोरोना की दूसरी लहर में आम लोगों का जीना मुहाल, जानिए अपने राज्य का हाल

दोबारा कभी इस काम को नहीं करेंगे

शमशाद के साथ उनका बेटा नौशाद भी पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहा है, लेकिन अब उन्होंने जीवन भर की जमा पूंजी बेचने का फैसला लिया है. शमशाद के बेटे नौशाद ने कहा पिताजी सालों से यह काम कर रहे थे. इसलिए उनके कहने पर मैं इस काम में शामिल हुआ. मगर मौजूदा समय में हालात बहुत कठिन है. हम लगभग 14 घंटे जानवरों के साथ चलकर अपने गांव पहुंच जाएंगे. उसके बाद हमने इस काम को दोबारा नहीं करने का फैसला लिया है.

पढ़ें- उत्तराखंड में बढ़ रहे कोरोना से मौत के आंकड़े, अब तक 116 मरीजों की मौत

कोरोना संक्रमण के चलते शमशाद और नौशाद जैसे ही न जाने कितने लोगों के सपने चूर हो गये हैं. संक्रमण के हालातों ने मौजूदा हालातों ने सरकार के दावों, वादों के साथ ही शमशाद जैसे न जाने कितने ही लोगों की उम्मीदें और सपने तोड़े हैं, जो कि अब शायद ही पूरे हो सकेंगे.

हरिद्वार: कोरोना की दूसरी लहर का कहर देशभर में बढ़ रहा है. कोरोना के कारण लोग काल के गाल में समा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जो कही अपने घरों से दूर हैं वे भी अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. कोरोना के कारण लगाई गई पाबंदियों ने भी कई घरों के चूल्हे की आग को ठंडा कर दिया है. जिससे अब लोग परेशान होने लगे हैं. ऐसी ही एक कहानी मंगलौर के एक सुदूर गांव में रहने वाले शमशाद की भी है.

घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन

दरअसल, शमशाद पिछले 40 सालों से ऋषिकेश में घोड़ा-बग्घी का काम करते आ रहे हैं. बीते एक साल से कोरोन के कारण उनके काम पर बहुत बुरा असर पड़ा है. अब तक नौबत ऐसी नहीं आई थी कि वे यहां से पलायन कर जाए. मगर इस बार प्रदेश में कोरोना इतना बेकाबू हो गया है कि इसे रोकने में प्रदेश सरकार भी नाकाम नजर आ रही है. बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार ने तमाम तरह की पाबंदियां, गाइडलाइन जारी की हैं. शादी-समारोह को लेकर भी राज्य सरकार ने विशेष आदेश जारी किये हैं. जिसमें 20 लोगों की मौजूदगी के साथ ही अन्य बातों को तामिल करने की बात कही गई है.

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घोड़ा-बग्घी के साथ शमशाद.

पढ़ें- कोरोना काल में अनाथ बच्चों को 2 हजार प्रति माह देगी उत्तराखंड सरकार

जानवरों से साथ किया पलायन

शादी-समारोहों पर लगी पाबंदियों का सीधा असर शमशाद जैसे छोटे-मोटे काम करने वालों पर पड़ा है. जो पहले बड़ी मुश्किल से इस हालात से उबरे थे, वे अब एक बार फिर उसी मुहाने पर खड़े हो गये हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि 40 साल से घोड़ा-बग्घी का काम करने वाले शमशाद अब अपने जानवरों के साथ ही पलायन कर रहे हैं.

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शमशाद और नौशाद.

शमशाद के पास हैं लाखों के जानवर

शमशाद के पास 6 जानवर हैं, जिसमें तीन घोड़ियां हैं. शमशाद बताते हैं कि उन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही ₹30000 का घोड़ा खरीदा था. घोड़ा बाजार में सस्ता मिल जाता है और घोड़ियां महंगी. लिहाजा एक घोड़ी ₹70000 की खरीदी थी. उनको उम्मीद थी कि इस बार का सीजन थोड़ा अच्छा जाएगा. लिहाजा घोड़ों को खिला पिला कर उन्होंने शादी ब्याह के लिए तैयार किया था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद खाने के लाले पड़ गए. ₹300 डेली का एक जानवर चारा खाता है. शमशाद कहते हैं कि अब वह अपने जानवरों को लेकर गांव वापस जा रहे हैं. ताकि इनको बेचकर कर कोई और काम वो कर सकें.

shamshad
घोड़ा-बग्घी का काम कर रहे शमशाद ने किया पलायन.

पढ़ें- ऑक्सीजन सिलेंडर वापस न करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई: DGP

कर्जा उतारने के लिए जानवरों को बेचना होगा- शमशाद

बेहद भावुक होते हुए शमशाद कहते हैं कि ये फैसला उनके लिए बहुत मुश्किल है, पिछले साल कोरोना के कारण बिगड़े हुए हालातों को सुधारने और खुद पर हुए कर्जे को उतारने के लिए उन्हें अपने जानवरों को बेचना होगा. हाईवे पर तेज कदमों से घर की ओर बढ़ते हुए शमशाद और नौशाद ने बातचीत में बताया कि गांव में जाकर वह ईट भट्टों में मजदूरी करेंगे. अगर जानवरों के दाम अच्छे मिले तो वह उन्हें बेच भी देंगे, ताकि जो कर्जा उनके ऊपर हुआ है उसे उतार सके.

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अपने घोड़े के साथ शमशाद.

पढ़ें- ईद पर कोविड कर्फ्यू में ढील, 12 बजे तक खुलेंगे बाजार

जैसे-तैसे काटा पिछला लॉकडाउन

श्मशाद कहते हैं पिछला लॉकडाउन तो जैसे तैसे निकाल लिया, मगर इस बार हालात बहुत खराब हैं. श्मशाद को राज्य सरकार से भी उम्मीदें थी कि वो उनके बारे में कुछ सोचेगी, शादी-समारोह में कुछ छूट देगी. जिससे उनका घर चल सके, मगर ऐसा नहीं हुआ. राज्य सरकार नये फरमान में और कड़े फैसले सुना दिए हैं, जिससे उनका धैर्य जवाब दे गया है.

पढ़ें- कोरोना की दूसरी लहर में आम लोगों का जीना मुहाल, जानिए अपने राज्य का हाल

दोबारा कभी इस काम को नहीं करेंगे

शमशाद के साथ उनका बेटा नौशाद भी पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहा है, लेकिन अब उन्होंने जीवन भर की जमा पूंजी बेचने का फैसला लिया है. शमशाद के बेटे नौशाद ने कहा पिताजी सालों से यह काम कर रहे थे. इसलिए उनके कहने पर मैं इस काम में शामिल हुआ. मगर मौजूदा समय में हालात बहुत कठिन है. हम लगभग 14 घंटे जानवरों के साथ चलकर अपने गांव पहुंच जाएंगे. उसके बाद हमने इस काम को दोबारा नहीं करने का फैसला लिया है.

पढ़ें- उत्तराखंड में बढ़ रहे कोरोना से मौत के आंकड़े, अब तक 116 मरीजों की मौत

कोरोना संक्रमण के चलते शमशाद और नौशाद जैसे ही न जाने कितने लोगों के सपने चूर हो गये हैं. संक्रमण के हालातों ने मौजूदा हालातों ने सरकार के दावों, वादों के साथ ही शमशाद जैसे न जाने कितने ही लोगों की उम्मीदें और सपने तोड़े हैं, जो कि अब शायद ही पूरे हो सकेंगे.

Last Updated : May 17, 2021, 10:31 PM IST
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