देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में संकटमोचक बनकर तीर्थ यात्रियों की जान बचाने वाले एसडीआरएफ दल द्वारा समर्पण भाव से लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है. आपातकालीन परिस्थितियों में मानव सेवा करने वाले उत्तराखंड एसडीआरएफ के विशेष दल का नाम देश-दुनिया में सर्वश्रेष्ठ राहत बचाव फोर्स में शुमार होता जा रहा है.
पढ़ें- बाजपुर के बरहनी पहुंची एयरपोर्ट सर्वेक्षण की टीम, जमीन की जानी स्थिति
इस वर्ष 7 मई 2019 से शुरू हुई चारधाम यात्रा के प्रारंभ से 1 जून शनिवार तक एसडीआरएफ जवानों द्वारा 62 रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से लगभग 95 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पहुंचाकर यात्रियों की जिंदगी बचाई गई है. खराब मौसम, बर्फीले मार्ग और 350 मीटर की ऊंचाई में ऑक्सीजन की कमी में श्रद्धालुओं की हौसला अफजाई और सहायता करते एसडीआरएफ जवान उत्तराखंड में देवदूत नाम से पहचाने जाते हैं. एसडीआरएफ जवानों द्वारा पिछले दिनों हैदराबाद से केदारनाथ धाम आए दंपति ने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट कर एसडीआरएफ जवानों का धन्यवाद अदा किया है.
बता दें, हैदराबाद के श्रद्धालुओं का दल 23 मई को खराब मौसम में केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहा था. तभी केदारघाटी में बर्फीली इलाके में भारी बारिश से भीगने के कारण अत्यधिक ठंड से सभी लोग हाइपोथर्मिया की चपेट में आ गए. सभी लोग किसी तरह खच्चरों के सहारे भीमबली तक पहुंचे, लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते सभी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य और बिगड़ गया.
इसी बीच सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ जवानों ने स्वातिक नाथ परिवार के लोगों को तत्काल अंधेरी रात में गर्म कपड़ों के सहारे व प्राथमिक उपचार के साथ रेस्क्यू कर भीम बली से गौरीकुंड और फिर सकुशल सोनप्रयाग तक पहुंचाया.
स्वातिक नाथ ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि-
"शरीर बर्फ की तरह ठंडा होते समय सूखे गर्म कपड़े और प्राथमिक उपचार मिलना किसी भी जीवनदायिनी कल्पना से कम नहीं था. उनके परिवार को उस भयानक अंधेरी रात में अपनी देखरेख में भीमबली से गौरीकुंड और फिर सोनप्रयाग ले आना, यह वक्त उनके जीवन को बचाने के लिए सबसे अहम था, जिसको वह ताउम्र नहीं भूल सकेंगे."