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हैदराबाद के श्रद्धालुओं के लिए 'संकट मोचन' बने SDRF के जवान, 95 यात्री सुरक्षित - केदारनाथ यात्रा

चारधाम यात्रा के दौरान एसडीआरएफ के जवानों द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है. पिछले दिनों हैदराबाद से केदारनाथ यात्रा पर आए एक दंपति को मुश्किल समय में रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था. केदारनाथ से रेस्क्यू हुए हैदराबाद के श्रद्धालु ने SDRF जवानों का फेसबुक वॉल पर धन्यवाद अदा किया है.

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Published : Jun 2, 2019, 3:31 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में संकटमोचक बनकर तीर्थ यात्रियों की जान बचाने वाले एसडीआरएफ दल द्वारा समर्पण भाव से लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है. आपातकालीन परिस्थितियों में मानव सेवा करने वाले उत्तराखंड एसडीआरएफ के विशेष दल का नाम देश-दुनिया में सर्वश्रेष्ठ राहत बचाव फोर्स में शुमार होता जा रहा है.

पढ़ें- बाजपुर के बरहनी पहुंची एयरपोर्ट सर्वेक्षण की टीम, जमीन की जानी स्थिति

इस वर्ष 7 मई 2019 से शुरू हुई चारधाम यात्रा के प्रारंभ से 1 जून शनिवार तक एसडीआरएफ जवानों द्वारा 62 रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से लगभग 95 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पहुंचाकर यात्रियों की जिंदगी बचाई गई है. खराब मौसम, बर्फीले मार्ग और 350 मीटर की ऊंचाई में ऑक्सीजन की कमी में श्रद्धालुओं की हौसला अफजाई और सहायता करते एसडीआरएफ जवान उत्तराखंड में देवदूत नाम से पहचाने जाते हैं. एसडीआरएफ जवानों द्वारा पिछले दिनों हैदराबाद से केदारनाथ धाम आए दंपति ने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट कर एसडीआरएफ जवानों का धन्यवाद अदा किया है.

SDRF jawans rescued Hyderabad pilgrims
फेसबुक पोस्ट

बता दें, हैदराबाद के श्रद्धालुओं का दल 23 मई को खराब मौसम में केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहा था. तभी केदारघाटी में बर्फीली इलाके में भारी बारिश से भीगने के कारण अत्यधिक ठंड से सभी लोग हाइपोथर्मिया की चपेट में आ गए. सभी लोग किसी तरह खच्चरों के सहारे भीमबली तक पहुंचे, लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते सभी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य और बिगड़ गया.

इसी बीच सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ जवानों ने स्वातिक नाथ परिवार के लोगों को तत्काल अंधेरी रात में गर्म कपड़ों के सहारे व प्राथमिक उपचार के साथ रेस्क्यू कर भीम बली से गौरीकुंड और फिर सकुशल सोनप्रयाग तक पहुंचाया.

स्वातिक नाथ ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि-
"शरीर बर्फ की तरह ठंडा होते समय सूखे गर्म कपड़े और प्राथमिक उपचार मिलना किसी भी जीवनदायिनी कल्पना से कम नहीं था. उनके परिवार को उस भयानक अंधेरी रात में अपनी देखरेख में भीमबली से गौरीकुंड और फिर सोनप्रयाग ले आना, यह वक्त उनके जीवन को बचाने के लिए सबसे अहम था, जिसको वह ताउम्र नहीं भूल सकेंगे."

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में संकटमोचक बनकर तीर्थ यात्रियों की जान बचाने वाले एसडीआरएफ दल द्वारा समर्पण भाव से लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है. आपातकालीन परिस्थितियों में मानव सेवा करने वाले उत्तराखंड एसडीआरएफ के विशेष दल का नाम देश-दुनिया में सर्वश्रेष्ठ राहत बचाव फोर्स में शुमार होता जा रहा है.

पढ़ें- बाजपुर के बरहनी पहुंची एयरपोर्ट सर्वेक्षण की टीम, जमीन की जानी स्थिति

इस वर्ष 7 मई 2019 से शुरू हुई चारधाम यात्रा के प्रारंभ से 1 जून शनिवार तक एसडीआरएफ जवानों द्वारा 62 रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से लगभग 95 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पहुंचाकर यात्रियों की जिंदगी बचाई गई है. खराब मौसम, बर्फीले मार्ग और 350 मीटर की ऊंचाई में ऑक्सीजन की कमी में श्रद्धालुओं की हौसला अफजाई और सहायता करते एसडीआरएफ जवान उत्तराखंड में देवदूत नाम से पहचाने जाते हैं. एसडीआरएफ जवानों द्वारा पिछले दिनों हैदराबाद से केदारनाथ धाम आए दंपति ने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट कर एसडीआरएफ जवानों का धन्यवाद अदा किया है.

SDRF jawans rescued Hyderabad pilgrims
फेसबुक पोस्ट

बता दें, हैदराबाद के श्रद्धालुओं का दल 23 मई को खराब मौसम में केदारनाथ के दर्शन कर लौट रहा था. तभी केदारघाटी में बर्फीली इलाके में भारी बारिश से भीगने के कारण अत्यधिक ठंड से सभी लोग हाइपोथर्मिया की चपेट में आ गए. सभी लोग किसी तरह खच्चरों के सहारे भीमबली तक पहुंचे, लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते सभी श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य और बिगड़ गया.

इसी बीच सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ जवानों ने स्वातिक नाथ परिवार के लोगों को तत्काल अंधेरी रात में गर्म कपड़ों के सहारे व प्राथमिक उपचार के साथ रेस्क्यू कर भीम बली से गौरीकुंड और फिर सकुशल सोनप्रयाग तक पहुंचाया.

स्वातिक नाथ ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि-
"शरीर बर्फ की तरह ठंडा होते समय सूखे गर्म कपड़े और प्राथमिक उपचार मिलना किसी भी जीवनदायिनी कल्पना से कम नहीं था. उनके परिवार को उस भयानक अंधेरी रात में अपनी देखरेख में भीमबली से गौरीकुंड और फिर सोनप्रयाग ले आना, यह वक्त उनके जीवन को बचाने के लिए सबसे अहम था, जिसको वह ताउम्र नहीं भूल सकेंगे."

Intro:pls नोट डेस्क महोदय ,इस खबर से संबंधित हैदराबाद श्रद्धालु का फेसबुक संदेश SDRF द्वारा दिया गया हैं जिसे mail द्वारा भेजा गया हैं।


देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में संकटमोचक बनकर तीर्थ यात्रियों की जान बचाने वाले एसडीआरएफ दल द्वारा समर्पण भाव से लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है, आपातकालीन परिस्थितियों में मानव सेवा करने वाले उत्तराखंड एसडीआरएफ के विशेष दल का नाम देश दुनिया में सर्वश्रेष्ठ राहत बचाव फोर्स में शुमार होता जा रहा है।

इस वर्ष 7 मई 2019 से शुरू हुए चारधाम यात्रा के प्रारंभ से 1 जून शनिवार तक एसडीआरएफ द्वारा 62 रेस्क्यू ऑपरेशन के माध्यम से लगभग 95 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पहुंचाकर यात्रियों की जिंदगी बचाई गई है। खराब मौसम बर्फीले मार्ग 350 मीटर की ऊंचाई में ऑक्सीजन की कमी में श्रद्धालुओं की हौसला अफजाई और सहायता करते एसडीआरएफ जवान उत्तराखंड में देवदूत नाम से पहचाने जाते हैं। एसडीआरएफ जवानों द्वारा जीवनदायिनी का एक वाकया पिछले दिनों हैदराबाद से केदारनाथ धाम आए दंपति ने फेसबुक वॉल के माध्यम से देश दुनिया में शेयर किया है।
फेसबुक वॉल पर हैदराबाद निवासी स्वातिक नाथ परिवार श्रद्धालुओं ने एसडीआरएफ टीम द्वारा दिये गए नए जीवन दान के बारे बताया कि, 23 मई को मौसम अत्यधिक खराब था हम अपने परिवार सहित श्री केदारनाथ के दर्शन कर जब लौट रहे थे तभी केदारघाटी में बर्फीली इलाके में भारी बारिश से भीगने के कारण अत्यधिक ठंड से सभी लोग हाइपोथर्मिया की चपेट में आ गए। सभी लोग किसी तरह खच्चरों के सहारे भीमबली स्थान तक पहुंचे, किंतु यहां पहुंचते-पहुंचते जानलेवा खराब स्वास्थ्य व अत्यधिक थकान के कारण सभी का हौसला टूटने लगा। इतना ही नहीं सभी लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ होने लगी, इसी बीच सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ जवानों ने स्वातिक नाथ परिवार के लोगों को तत्काल अंधेरी रात में गर्म कपड़ों के सहारे व प्राथमिक उपचार के साथ रेस्क्यू कर भीम बली से गौरीकुंड और फिर सकुशल सोनप्रयाग तक ले आए। मिस्टर नाथ लिखते हैं कि शरीर बर्फ की तरह ठंडा होते समय सूखे गर्म कपड़े और उस समय प्राथमिक उपचार मिलना किसी भी जीवनदायिनी कल्पना से कम नहीं था।


Body:हैदराबाद के श्रद्धालु स्वातिक नाथ एसडीआरएफ द्वारा किए गए इन सराहनीय कार्य के बारे में फेसबुक पर आगे लिखते हुए बताते हैं कि उनके परिवार को उस भयानक अंधेरी रात में अपनी देखरेख में भीमबली से गौरीकुंड और फिर सोनप्रयाग ले आना, यह वक्त उनके जीवन को बचाने के लिए सबसे अहम था जिसको वह ताउम्र नहीं भूल सकेंगे..

मैसेंजर के माध्यम से मिस्टर स्वातिक नाथ कहते हैं कि काश मेरे पास उन बहादुर जवानों के नाम होते जिन्होंने हमें उस भयानक हादसे बचाकर नया जीवन देने का कार्य किया है,मेरे पास उनका आभार व्यक्त करने के लिए शब्दों का अभाव प्रतीत हो रहा है किंतु मैं चाहता हूं कि उन जवानों को उनके किए गए रस को कार्य की सराहना मिली और यह बात सभी उच्चाधिकारियों तक पहुंचे जिससे उन जवानों की हौसला अफजाई हो सके और वे भविष्य में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।


Conclusion:
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