देहरादून: उत्तराखंड राज्य आज 20 साल का हो गया है. राज्य का गठन आज से 20 साल पहले 9 नवंबर, 2000 को हुआ था. उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. सीमित संसाधनों में प्रदेश का पर्यटन भी शामिल है, क्योंकि उत्तराखंड का पर्यटन राज्य का रीढ़ की हड्डी कहा जाता है. क्योंकि राज्य की एक बड़ी आर्थिकी पर्यटन पर ही टिकी है. यूं तो, उत्तराखंड राज्य में कई खूबसूरत जगहें ऐसी हैं, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर, वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही है. ऐसे में कैसे राज्य सरकार का प्रदेश को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना सकार होगा ये एक बड़ा सवाल है?
उत्तराखंड राज्य बने 20 साल का समय हो गया है, लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल विकसित नहीं हो पाया है. साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी, जिसके लिए तमाम योजनाएं भी शुरू की गईं, जिसमें मुख्य रूप से 13 जिले 3 न्यू डेस्टिनेशन की कवायद शुरू की गई. इस बात को करीब साढ़े 3 साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन अभी तक एक भी डेस्टिनेशन पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया. तो वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के तमाम ऐसे पर्यटन स्थल भी हैं जिन्हें और विकसित किया जाना था, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात है.
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद, इन 20 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे. वहीं यह आंकड़ा 3 करोड़ 94 लाख के पार पहुंच गया है. जो कि राज्य गठन के बाद से करीब चार गुना है. यहां सैलानी सिर्फ कांवड़ और कुम्भ मेले के लिए नहीं आते, बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं. उत्तराखंड में पर्यटक भारी से भारी संख्या में आएं और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके, कहीं ना कहीं राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती भी है.
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सीजन के समय पैक हो जाते है टूरिस्ट प्लेस
अमूमन देखने को मिलता है कि जब टूरिस्टों के घूमने पीक सीजन चलता है. प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थल फुल हो जाते हैं, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को फुल का बोर्ड भी लगाना पड़ता है. बता दें, प्रदेश के मुख्य पर्यटक हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी हैं. सीजन में यहां सैलानियों को जाम से जूझना पड़ता है. हालांकि राज्य सरकार दावे तो जरूर कर रही है कि नए पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है. बावजूद इसके अभी तक प्रदेश में अन्य पर्यटक स्थल विकसित नही कर पाए है.
स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का जरिया है पर्यटन
उत्तराखंड राज्य में पर्यटकों के आने से जितना फायदा उत्तराखंड राज्य को मिल रहा है, उतने ही चैलेंजेस पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड राज्य के लिए बढ़ते जा रहे हैं. क्योंकि, पर्यटन राज्य के लिए एक आय का भी साधन है. इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया भी है. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है. हालांकि, राज्य सरकार और पर्यटन विभाग पर्यटन को सेक्टर से रूप में विकसित करने पर फोकस जरूर कर रही है. यही नहीं, पर्यटन स्थलों के तमाम व्यवस्थाओं को भी मुकम्मल कर रही है, जिसका नतीजा ये है कि साल-दर-साल उत्तराखंड में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता रहा है, लेकिन ये नाकाफी है.
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नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर
उत्तराखंड राज्य में पहले से चले आ रहे पर्यटन स्थलों में सेचुरेशन की स्थिति है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम बड़े पर्यटन स्थलों में जाम लगा रहता है, जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था. उसी के तहत बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है, जिससे नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सके. यही नहीं, प्रदेश में सीता सर्किट हाउस, सैन्य धाम इसके साथ ही प्रदेश के तमाम जगहों पर अन्य छोटे छोटे स्थलों को विकसित करने पर शासन जोर दे रहा है, ताकि प्रदेश में भारी मात्रा में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाओं के साथ ही नये पर्यटन स्थलों से भी रूबरू कराया जा सके.
महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस योजना
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी है. क्योंकि साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था, ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले, लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वाकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया, जिसके बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटक गई. हालांकि, इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से कई बड़े पहल किए गए, लेकिन अभी तक महाभारत सर्किट हाउस बनाने की वास्तविक तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है.
आपदा के बाद पटरी पर लौटी पर्यटन, कोरोना ने फिर से पिछड़ा
साल 2013 में केदार घाटी में आयी भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों के आने की संख्या बेहद कम हो गई थी, जिसका असर साल 2014 में भी देखा गया. साल 2014 के बाद धीरे-धीरे, पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे और उत्तराखंड का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा. लिहाजा पिछले साल तक करीब 4 करोड़ से ज्यादा पर्यटक हर साल उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे थे, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से एक बार फिर उत्तराखंड का पर्यटन पटरी से उतर गया. इस साल न के बराबर ही सैलानी उत्तराखंड पहुंचे हैं. लिहाजा, अब पर्यटन विभाग एक बार फिर पर्यटन को पटरी पर लाने की कवायद में जुटा हुआ है, जिससे प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा किया जा सके.
प्रदेश की जनसंख्या का करीब 4 गुना सैलानी हर साल आते हैं उत्तराखंड.....
वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इन दो दशकों में राज्य के भीतर पर्यटन के क्षेत्र में काफी विकास कार्य हुए हैं. लिहाजा, अगर प्रदेश में आने वाले सैलानियों के संख्या पर गौर करें, तो साल 2000 के दौरान प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या एक करोड़ थी जो अब बढ़कर चार करोड़ तक हो गयी है. जो राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. साथ ही बताया कि पर्यटन के क्षेत्र में राज्य के भीतर सभी विभागों और अलग-अलग लीडरशिप के दौरान कई महत्वपूर्ण काम किए गए हैं. हालांकि, मौजूदा राज सरकार का मुख्य रूप से पर्यटन को बढ़ाने पर फोकस रहा है. यही वजह है कि इन्वेस्टर समिट के जरिए निजी क्षेत्रों से इन्वेस्ट को बढ़ावा दिया है. साथ ही एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे को भी बढ़ावा दिया गया है.
पर्यटन क्षेत्र के नुकसान की जल्द होगी भरपाई
साथ ही पर्यटन सचिव ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दस्तक के बाद पर्यटन गतिविधियों में रोक लगानी पड़ी थी, लेकिन अब कोरोना कॉल के बाद पर्यटन गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं. प्रदेश में सैलानियों के आने का सिलसिला भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अब पर्यटन महकमें को उम्मीद है कि जिस तरह से सैलानियों की संख्या प्रदेश में बढ़ रही है, ऐसे में जल्द ही पर्यटन क्षेत्र संभल जाएगा. यही नहीं, उत्तराखंड राज्य की खूबसूरत वादियां, पॉल्युशन फ्री स्थल के साथ ही योगा की ब्रांडिंग की वजह से आने वाले समय में जो पर्यटन क्षेत्र को नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कर ली जाएगी.
उत्तराखंड पहुंचने वाले पर्यटकों की आंकड़ा
साल | कुल पर्यटक | भारतीय | विदेशी |
2014 | 2,26,30,045 | 2,25,20,097 | 1,09,948 |
2015 | 2,94,06,246 | 2,92,95,152 | 1,11,094 |
2016 | 3,17,76,581 | 3,16,63,782 | 1,12,799 |
2017 | 3,47,23,199 | 3,45,81,097 | 1,42,102 |
2018 | 3,68,52,204 | 3,66,97,678 | 1,54,526 |
2019 | 3,36,27,635 | 3,35,02,356 | 1,25,279 |