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किसानों को ग्रीष्मकालीन धान लगाने की मिली सशर्त अनुमति, इन नियमों का करना होगा सख्ती से पालन - SUMMER PADDY FARMING UTTARAKHAND

सीएम धामी ने उधम सिंह नगर के किसानों को दी 31 मार्च तक ग्रीष्मकालीन धान लगाने की सशर्त अनुमति,किसानों को देना होगा स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र

Farmer Met CM Pushkar Dhami
सीएम धामी से मुलाकात करते किसान (फोटो सोर्स- Information Department)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 26, 2025, 5:24 PM IST

रुद्रपुर: बेमौसमी धान की खेती को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किसानों को बड़ी राहत दी है. अब किसान 31 मार्च तक सशर्त ग्रीष्मकालीन धान लगा सकते हैं. इसके लिए किसानों को स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र सक्षम अधिकारी को देना होगा. जबकि, 1 अप्रैल से 1 जून 2025 तक धान की रोपाई पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी.

ग्रीष्मकालीन धान की खेती को माना जा रहा भूजल स्तर में गिरावट का कारण: बता दें कि उधम सिंह नगर में प्रशासन ने भूजल स्तर की गिरावट आने पर बेमौसमी धान की खेती पर पूरी तरह से रोक लगाई है. ऐसे में उधम सिंह नगर जिले में ग्रीष्मकालीन धान की पैदावार पर रोक लगने के बाद आज किसान संगठनों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की थी और अपनी व्यथा बताई थी. जिस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 31 मार्च तक ग्रीष्मकालीन धान लगाने की सशर्त अनुमति दी.

किसानों ने सीएम धामी से की ये अपील: दरअसल, किसान संगठनों का कहना था कि साल 2024-25 में खेती के लिए फसल चक्र न अपना पाने के कारण वो मार्च 2025 तक अपने खेत में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लेने की स्थिति में नहीं हैं. जिस पर सीएम पुष्कर धामी ने किसान हित में इस प्रतिबंध के साथ अनुमति प्रदान करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया.

ग्रीष्मकालीन धान लगाने के लिए देना होगा स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र: सीएम धामी ने कहा कि जो किसान 31 मार्च 2025 तक वैकल्पिक फसल लगाने में असमर्थ हैं, वे अपने नजदीकी कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय, खंड विकास अधिकारी कार्यालय आदि के माध्यम से स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र देंगे. जिसमें ये स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि उन्होंने अगर धान की नर्सरी डाली है तो उसका क्षेत्रफल क्या है?

साल 2025-26 से ग्रीष्मकालीन धान न उगाने का लेना होगा संकल्प: यदि ग्रीष्मकालीन धान की खेती की जा रही है तो कुल कितने क्षेत्रफल में खेती की जाएगी? साथ ही घोषणा पत्र में ये भी लिखना होगा कि वो साल 2025-26 से ग्रीष्मकालीन धान नहीं बोएंगे. ग्रीष्मकालीन धान पर प्रतिबंध का पूरा पालन करते हुए प्रशासन का सहयोग भी किया जाएगा. इसका भी जिक्र करना होगा.

31 मार्च तक ही लगा सकेंगे धान: ये व्यवस्था सिर्फ 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी. जिससे 31 मार्च 2025 तक मटर, लाई, सरसों की फसल के बाद खाली होने वाले खेतों में किसान ग्रीष्मकालीन धान लगा सकेंगे. गेहूं की कटाई के बाद खाली होने वाले खेतों में किसी भी दशा में ग्रीष्मकालीन धान लगाने की अनुमति नहीं होगी.

1 अप्रैल से 1 जून तक धान की रोपाई पर पूरी तरह से रोक: इस तरह से 1 अप्रैल 2025 से लेकर 1 जून 2025 तक धान की रोपाई का काम पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. जिसका पालन करना जिले के समस्त किसानों के लिए अनिवार्य होगा. वहीं, 1 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी लगाना या होना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा.

धान की नर्सरी मिलने पर की जाएगी नष्ट: यदि जिले के किसी भी क्षेत्र में 1 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी होने या लगाए जाने की सूचना मिलती है तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा. सीएम धामी ने सभी किसानों से अपनी खेती एवं पर्यावरण को बचाने संबंधी महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग करने का आग्रह किया है.

ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर किसान उगा सकते हैं ये फसल: जो किसान मार्च महीने में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाना चाहते हैं, वो साइलेज के लिए मक्का की फसल लगा सकते हैं, जो 60-65 दिन में बिक्री के लिए तैयार हो जाएगी. इसके अलावा अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे गन्ना, उड़द, मृग, सूरजमुखी आदि भी किसान लगा सकते हैं.

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ग्रीष्मकालीन धान की खेती को माना जा रहा भूजल स्तर में गिरावट का कारण: बता दें कि उधम सिंह नगर में प्रशासन ने भूजल स्तर की गिरावट आने पर बेमौसमी धान की खेती पर पूरी तरह से रोक लगाई है. ऐसे में उधम सिंह नगर जिले में ग्रीष्मकालीन धान की पैदावार पर रोक लगने के बाद आज किसान संगठनों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की थी और अपनी व्यथा बताई थी. जिस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 31 मार्च तक ग्रीष्मकालीन धान लगाने की सशर्त अनुमति दी.

किसानों ने सीएम धामी से की ये अपील: दरअसल, किसान संगठनों का कहना था कि साल 2024-25 में खेती के लिए फसल चक्र न अपना पाने के कारण वो मार्च 2025 तक अपने खेत में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लेने की स्थिति में नहीं हैं. जिस पर सीएम पुष्कर धामी ने किसान हित में इस प्रतिबंध के साथ अनुमति प्रदान करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया.

ग्रीष्मकालीन धान लगाने के लिए देना होगा स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र: सीएम धामी ने कहा कि जो किसान 31 मार्च 2025 तक वैकल्पिक फसल लगाने में असमर्थ हैं, वे अपने नजदीकी कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय, खंड विकास अधिकारी कार्यालय आदि के माध्यम से स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र देंगे. जिसमें ये स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि उन्होंने अगर धान की नर्सरी डाली है तो उसका क्षेत्रफल क्या है?

साल 2025-26 से ग्रीष्मकालीन धान न उगाने का लेना होगा संकल्प: यदि ग्रीष्मकालीन धान की खेती की जा रही है तो कुल कितने क्षेत्रफल में खेती की जाएगी? साथ ही घोषणा पत्र में ये भी लिखना होगा कि वो साल 2025-26 से ग्रीष्मकालीन धान नहीं बोएंगे. ग्रीष्मकालीन धान पर प्रतिबंध का पूरा पालन करते हुए प्रशासन का सहयोग भी किया जाएगा. इसका भी जिक्र करना होगा.

31 मार्च तक ही लगा सकेंगे धान: ये व्यवस्था सिर्फ 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी. जिससे 31 मार्च 2025 तक मटर, लाई, सरसों की फसल के बाद खाली होने वाले खेतों में किसान ग्रीष्मकालीन धान लगा सकेंगे. गेहूं की कटाई के बाद खाली होने वाले खेतों में किसी भी दशा में ग्रीष्मकालीन धान लगाने की अनुमति नहीं होगी.

1 अप्रैल से 1 जून तक धान की रोपाई पर पूरी तरह से रोक: इस तरह से 1 अप्रैल 2025 से लेकर 1 जून 2025 तक धान की रोपाई का काम पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. जिसका पालन करना जिले के समस्त किसानों के लिए अनिवार्य होगा. वहीं, 1 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी लगाना या होना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा.

धान की नर्सरी मिलने पर की जाएगी नष्ट: यदि जिले के किसी भी क्षेत्र में 1 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी होने या लगाए जाने की सूचना मिलती है तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा. सीएम धामी ने सभी किसानों से अपनी खेती एवं पर्यावरण को बचाने संबंधी महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग करने का आग्रह किया है.

ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर किसान उगा सकते हैं ये फसल: जो किसान मार्च महीने में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगाना चाहते हैं, वो साइलेज के लिए मक्का की फसल लगा सकते हैं, जो 60-65 दिन में बिक्री के लिए तैयार हो जाएगी. इसके अलावा अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे गन्ना, उड़द, मृग, सूरजमुखी आदि भी किसान लगा सकते हैं.

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