विकासनगरः भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आज विकासनगर के हरबर्टपुर पहुंचे. जहां उन्होंने किसान महापंचायत में शिरकत की और जनसभा को संबोधित की. इस दौरान कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही बीजेपी सरकार को तानाशाह सरकार भी बताया. वहीं, किसान आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए किसान नेताओं को जल्द रिहा करने की मांग भी की. इस किसान महापंचायत को कई राजनैतिक पार्टियों का समर्थन भी मिला.
विकासनगर के हरबर्टपुर में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा के किसान महापंचायत में सैकड़ों की संख्या में किसान पहुंचे. महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि यह कृषि कानून नहीं, बल्कि काले कानून हैं. जो किसानों के हित में नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि गुजरात और बैंगलोर में किसान आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए किसान नेताओं की शाम तक रिहाई नहीं हुई तो देशभर में बीजेपी नेताओं का बहिष्कार किया जाएगा. इतना ही नहीं उन्होंने ये तक कह दिया कि बीजेपी नेताओं को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा.
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वहीं, दूसरी ओर किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत कई संगठनों से जुड़े लोग भी किसान महापंचायत में पहुंचे. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जिस तरह से देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी, ठीक उसी तरह किसान दिल्ली में कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. जो मांगें पूरी न होने तक चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों में जल्द सुधार नहीं किया तो बड़े स्तर पर आंदोलन होगा और सारे राज्य की सीमाओं को सील कर दिया जाएगा.
क्या हैं तीन कृषि कानून
- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020: इसका उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं की ओर से गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है. सरकार का कहना है कि किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे. निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे, लेकिन सरकार ने इस कानून के जरिये एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया है. एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के स्वामित्व वाले अनाज बाजार (मंडियों) को उन बिलों में शामिल नहीं किया गया है. इसके जरिये बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है. बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं.
- किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक: इस कानून का उद्देश्य अनुबंध खेती यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देना है. आप की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा.
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक: यह कानून अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है. यानी इस तरह के खाद्य पदार्थ आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर करने का प्रावधान है. इसके बाद युद्ध व प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर भंडारण की कोई सीमा नहीं रह जाएगी.