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Dehradun Lathicharge: पुलिस प्रशासन से नाराज में आंदोलित युवा, दलों की राजनीति जारी - देहरादून में आंदोलन

देहरादून में आंदोलन कर रहे युवाओं को राजनीतिक दलों के नेता अपना समर्थन दे रहे हैं. वहीं पुलिस से रवैये से युवा काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं. आरोप है कि पुलिस-प्रशासन युवाओं का धरना समाप्त करने के लिए डरा धमका रहा है. जिससे युवाओं में पुलिस-प्रशासन के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है.

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Published : Feb 14, 2023, 8:47 AM IST

Updated : Feb 15, 2023, 9:57 AM IST

पुलिस प्रशासन के रवैये से नाराज युवा

देहरादून: प्रदेश में युवाओं पर लाठीचार्ज को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. वहीं आंदोलन कर रहे युवाओं का अपनी मांगों को लेकर विरोध जारी है. उधर राजनीतिक दलों के नेताओं का भी आंदोलित युवाओं को समर्थन देने का सिलसिला जारी है. हालांकि युवाओं ने साफ कर दिया है कि उनका विश्वास प्रशासन और पुलिस पर तो बिल्कुल भी नहीं है. लिहाजा युवा प्रशासन और पुलिस से दूरी बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए जांच करवाने की मांग कर रहे युवाओं का गुस्सा सबसे ज्यादा प्रशासन और पुलिस पर दिखाई दे रहा है. दरअसल, अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं का सीधा टकराव पुलिस से दिखाई दिया था. इस पूरे आंदोलन की शुरुआत पुलिस के दुर्व्यवहार को लेकर युवाओं ने की थी. लिहाजा प्रशासन और पुलिस की भूमिका इस पूरे आंदोलन में युवाओं के दृष्टिकोण से बेहद नकारात्मक रही है.

सबसे बड़ी बात यह है कि इस आंदोलन को खत्म करवाने के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारी रणनीतिक रूप से बेहद कमजोर दिखाई दिए हैं. उधर युवाओं से बातचीत के तरीकों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. दरअसल युवाओं का आरोप है कि प्रशासन और पुलिस के अधिकारी आंदोलन को खत्म करने के लिए उनसे बात करने का जो रवैया अपना रहे हैं, वह डराने धमकाने वाला है. युवा अपने भविष्य को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और अधिकारी उनके भविष्य को खराब करने की धमकी दे रहे हैं.
पढ़ें-Dehradun Stone Pelting: महेंद्र भट्ट ने कहा राजनीति कर रही कांग्रेस, उपद्रवियों को मिलेगा दंड

आंदोलित युवाओं को समर्थन देने के लिए राजनीतिक दलों का भी पहुंचना जारी है. आम आदमी पार्टी से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता भी युवाओं के बीच पहुंचे और उन्हें अपना समर्थन देने की बात कही. लेकिन हकीकत यह है कि केवल युवा ही हैं जो इस आंदोलन में दिन-रात डटे हुए हैं, जबकि राजनीतिक दलों के नेता केवल अपनी सुविधा के अनुसार इनके समर्थन के लिए आंदोलन स्थल पर पहुंच रहे हैं. बहरहाल दलों के नेताओं का कहना है कि वह इस आंदोलन को राजनीतिक नहीं बनाना चाहते हैं और इसलिए वे धरना स्थल पर पूर्ण रूप से नहीं पहुंच रहे हैं. लेकिन डिजिटल और आम जनता तक संदेश पहुंचाने के रूप में वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सरकार पर दबाव बनाकर आंदोलित युवाओं की मांगों को पूरा कराया जाए.

पुलिस प्रशासन के रवैये से नाराज युवा

देहरादून: प्रदेश में युवाओं पर लाठीचार्ज को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. वहीं आंदोलन कर रहे युवाओं का अपनी मांगों को लेकर विरोध जारी है. उधर राजनीतिक दलों के नेताओं का भी आंदोलित युवाओं को समर्थन देने का सिलसिला जारी है. हालांकि युवाओं ने साफ कर दिया है कि उनका विश्वास प्रशासन और पुलिस पर तो बिल्कुल भी नहीं है. लिहाजा युवा प्रशासन और पुलिस से दूरी बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए जांच करवाने की मांग कर रहे युवाओं का गुस्सा सबसे ज्यादा प्रशासन और पुलिस पर दिखाई दे रहा है. दरअसल, अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं का सीधा टकराव पुलिस से दिखाई दिया था. इस पूरे आंदोलन की शुरुआत पुलिस के दुर्व्यवहार को लेकर युवाओं ने की थी. लिहाजा प्रशासन और पुलिस की भूमिका इस पूरे आंदोलन में युवाओं के दृष्टिकोण से बेहद नकारात्मक रही है.

सबसे बड़ी बात यह है कि इस आंदोलन को खत्म करवाने के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारी रणनीतिक रूप से बेहद कमजोर दिखाई दिए हैं. उधर युवाओं से बातचीत के तरीकों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. दरअसल युवाओं का आरोप है कि प्रशासन और पुलिस के अधिकारी आंदोलन को खत्म करने के लिए उनसे बात करने का जो रवैया अपना रहे हैं, वह डराने धमकाने वाला है. युवा अपने भविष्य को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और अधिकारी उनके भविष्य को खराब करने की धमकी दे रहे हैं.
पढ़ें-Dehradun Stone Pelting: महेंद्र भट्ट ने कहा राजनीति कर रही कांग्रेस, उपद्रवियों को मिलेगा दंड

आंदोलित युवाओं को समर्थन देने के लिए राजनीतिक दलों का भी पहुंचना जारी है. आम आदमी पार्टी से लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के नेता भी युवाओं के बीच पहुंचे और उन्हें अपना समर्थन देने की बात कही. लेकिन हकीकत यह है कि केवल युवा ही हैं जो इस आंदोलन में दिन-रात डटे हुए हैं, जबकि राजनीतिक दलों के नेता केवल अपनी सुविधा के अनुसार इनके समर्थन के लिए आंदोलन स्थल पर पहुंच रहे हैं. बहरहाल दलों के नेताओं का कहना है कि वह इस आंदोलन को राजनीतिक नहीं बनाना चाहते हैं और इसलिए वे धरना स्थल पर पूर्ण रूप से नहीं पहुंच रहे हैं. लेकिन डिजिटल और आम जनता तक संदेश पहुंचाने के रूप में वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सरकार पर दबाव बनाकर आंदोलित युवाओं की मांगों को पूरा कराया जाए.

Last Updated : Feb 15, 2023, 9:57 AM IST
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