देहरादूनः आखिरकार यूकेएसएसएससी पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) और विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला (Assembly Recruitment Scam) को लेकर बेरोजगार युवाओं का सब्र का बांध टूट गया. आज देहरादून में हजारों की संख्या में युवा जुटे और तमाम भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधली को लेकर सचिवालय तक रैली निकाली. इस दौरान युवाओं ने धांधली की सीबीआई जांच कराने की मांग (CBI investigation on recruitment exam scam) की. वहीं, इस प्रदर्शन में बेरोजगार महिलाएं भी पहुंचीं. उन्होंने भी महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की मांग उठाई.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) में उत्तराखंड की महिलाओं को मिलने वाले 30% क्षैतिज आरक्षण (Horizontal reservation for Uttarakhand women) को नैनीताल हाईकोर्ट ने हाल ही में रद्द कर दिया था. जिसे लेकर बेरोजगार महिलाएं भी रैली में पहुंचीं. प्रदर्शनकारी महिलाओं ने मांग उठाई कि उत्तराखंड की भर्तियों में यहां की महिलाओं को आरक्षण देने के लिए सरकार कानून लाकर उसे विधानसभा से पारित कराएं. अपनी मांग को लेकर महिलाओं ने जमकर नारेबाजी भी की.
इस दौरान युवतियों के हाथों में 'मेरी बेटुलि मेरी लाडी लठ्यालि, अब कनकै बणैलि तू अधिकारी!' तख्ती व पोस्टर नजर आया. उन्होंने उत्तराखंड की महिलाओं को आरक्षण देने के लिए कानून बनाने की अपील की. जिससे उत्तराखंड की महिलाओं को इसका लाभ मिल सके. बता दें कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर हाईकोर्ट से लगी रोक हटाने को लेकर सीएम धामी सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह चुके हैं. साथ ही उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात भी कही है.
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उत्तराखंड मूल की महिलाओं के आरक्षण पर रोक जारीः बीती 24 अगस्त को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा (UKPSC Exam) में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण (30 Percent Reservation For Women) दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले साल 2006 के शासनादेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी. बता दें कि सरकार जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही थी, जिस पर रोक लगाई गई गई.
मामले के मुताबिक, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गई हैं. उन्होंने सरकार के 2001 एवं 2006 के आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया कि यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 विपरीत है.
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कोई भी राज्य सरकार जन्म एवं स्थायी निवास के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकती. याचिका में इस आरक्षण को निरस्त करने की मांग की गई थी. उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुई उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को अनारक्षित श्रेणी में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.