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आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नहीं मिल रहा लाभ, विभागीय प्रमोशन में आ रही दिक्कतें - महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय विभाग में आंगनबाड़ी की पदोन्नति को लेकर विभाग ने सर्कुलर जारी किया है. लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इस प्रक्रिया में कई आंगनबाड़ी पदोन्नति के मानकों से बाहर हो जाएंगे. क्योंकि इसमें आयुसीमा 45 वर्ष रखी गई है.

Rekha arya
रेखा आर्य
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Published : Jul 21, 2020, 5:56 PM IST

देहरादून: महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी की पदोन्नति को लेकर विभाग ने सर्कुलर जारी किया है. लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इस प्रक्रिया में कई आंगनबाड़ी पदोन्नति के मानकों से बाहर हो जाएंगे. क्योंकि इसमें आयुसीमा 45 वर्ष रखी गई है. इससे पहले अंतिम पदोन्नति वर्ष 2012 में विभाग द्वारा निकाली गई थी. इस दौरान वर्ष 2012 से 2020 तक कई ऐसी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों हैं, जो कि 45 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है.

विभाग ने जारी किया सर्कुलर.

विभागीय उदासीनता के चलते वर्ष 2012 से अब तक कोई भी पदोन्नति नहीं निकाली गई. ऐसे में विभागीय द्वारा पदोन्नति न निकालने के कारण कई महिलाओं के बिना पदोन्नति मिले ही रिटायर होना पड़ेगा. वहीं, सवाल यह है कि यह आंगनबाड़ी कार्यकत्री अपनी वजह से नहीं बल्कि विभाग की वजह से पदोन्नति से बाहर हुई है. जिसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कोर्ट की शरण की ले सकती हैं. जिसके बाद अब एक बार फिर से पदोन्नतियों का मामला लटक सकता है.

पढ़ें: मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख

वहीं, इस पदोन्नति की प्रक्रिया में विभागीय एक्सरसाइज नहीं हुई है. क्योंकि अगर पदोन्नति जारी करने वाले अधिकारी पहले ही इस बात को लेकर विचार करते तो इस कोई उपाय निकाला जा सकता है. जिससे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रमोशन का लाभ मिल सके.

देहरादून: महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी की पदोन्नति को लेकर विभाग ने सर्कुलर जारी किया है. लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इस प्रक्रिया में कई आंगनबाड़ी पदोन्नति के मानकों से बाहर हो जाएंगे. क्योंकि इसमें आयुसीमा 45 वर्ष रखी गई है. इससे पहले अंतिम पदोन्नति वर्ष 2012 में विभाग द्वारा निकाली गई थी. इस दौरान वर्ष 2012 से 2020 तक कई ऐसी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों हैं, जो कि 45 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है.

विभाग ने जारी किया सर्कुलर.

विभागीय उदासीनता के चलते वर्ष 2012 से अब तक कोई भी पदोन्नति नहीं निकाली गई. ऐसे में विभागीय द्वारा पदोन्नति न निकालने के कारण कई महिलाओं के बिना पदोन्नति मिले ही रिटायर होना पड़ेगा. वहीं, सवाल यह है कि यह आंगनबाड़ी कार्यकत्री अपनी वजह से नहीं बल्कि विभाग की वजह से पदोन्नति से बाहर हुई है. जिसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कोर्ट की शरण की ले सकती हैं. जिसके बाद अब एक बार फिर से पदोन्नतियों का मामला लटक सकता है.

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वहीं, इस पदोन्नति की प्रक्रिया में विभागीय एक्सरसाइज नहीं हुई है. क्योंकि अगर पदोन्नति जारी करने वाले अधिकारी पहले ही इस बात को लेकर विचार करते तो इस कोई उपाय निकाला जा सकता है. जिससे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रमोशन का लाभ मिल सके.

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