देहरादून: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के लाल किले की प्राचीर (Red Fort in Delhi) से परिवारवाद का जिक्र करने के बाद राजनीतिक दलों के बीच इस पर बहस तेज हो गयी. हालांकि यह मुद्दा परिवारवाद से आगे बढ़कर सांप्रदायिकता, बेरोजगारी और महंगाई तक पहुंच गया है.
देश भर की तरह उत्तराखंड में भी परिवारवाद शब्द (familism in politics) बीते दिन राजनीतिक दलों की जुबान पर सुनाई दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद शब्द के साथ अपने भाषण का समापन किया. लेकिन इन सब में परिवारवाद शब्द राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहा. पीएम मोदी की जुबान से ये शब्द के निकलने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच इसी पर बहस तेज हो गई. यह मुद्दा परिवारवाद से आगे निकलकर सांप्रदायिकता बेरोजगारी और महंगाई तक पहुंच गया.
दरअसल, परिवारवाद शब्द सामने आते ही कांग्रेस ने इसे गांधी परिवार से जोड़ते हुए भाजपा पर इसका पलटवार किया. पार्टी के नेताओं ने परिवारवाद पर बोलते हुए भाजपा के नेताओं का नाम लेकर भाजपा में भी परिवारवाद होने की बात कही. हालांकि गांधी परिवार का बचाव करते हुए पार्टी के नेताओं ने उनकी शहादत को याद दिलाया और इस मुद्दे को परिवारवाद से आगे ले जाते हुए सांप्रदायिकता, बेरोजगारी और महंगाई की बात रखी. कांग्रेस नेता शीशपाल बिष्ट कहते हैं कि देश का आज माहौल खराब किया जा रहा है. बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भी भटकाया जा रहा है.
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कांग्रेस इस मामले पर हमलावर रुख में दिखी तो भाजपा ने भी न केवल प्रधानमंत्री के इस बयान का बचाव किया. बल्कि कांग्रेस पर भी हमलावर रुख जारी रखा. भाजपा नेता सुरेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस में परिवारवाद एक पुरानी परंपरा रही है. एक परिवार के आधार पर ही देश को चलाने की कोशिश की जाती रही है.
पीएम मोदी का संबोधन: पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली चुनौती भ्रष्टाचार, दूसरी चुनौती भाई भतीजावाद और परिवारवाद है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है. इससे देश को लड़ना ही होगा. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े. हम इसकी कोशिश कर रहे हैं. पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं. जी नहीं, दुर्भाग्य से इस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है.