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कैसे रुकेगा संक्रमण, अस्पतालों में नहीं है दो गज की दूरी और मास्क जरूरी - दून के अस्पतालों में कोविड नियमों की उड़ रही धज्जियां

दून मेडिकल कॉलेज से लेकर कोरोनेशन और निजी अस्पतालों में मरीज और तीमारदार ही कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. कुछ लोग तो मास्क को केवल प्रशासन की कार्रवाई से बचने का जरिया और औपचारिकता मान रहे हैं.

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ऐसे कैसे रुके संक्रमण?
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Published : Apr 24, 2021, 7:13 PM IST

देहरादून: एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ आम लोग वायरस को निमंत्रण देकर खुद इस खतरे का हिस्सा बन रहे हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि इलाज कराने अस्पताल जाने वाले मरीज भी कोरोना को खुद अपने घर ले जा रहे हैं. सड़कों से लेकर अस्पतालों तक लोग कोरोना के नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं. इस कारण दिनों-दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ईटीवी भारत ने देहरादून के अस्पतालों में टूटते कोविड के नियमों को लेकर पड़ताल की.

ऐसे कैसे रुकेगा संक्रमण?

अस्पतालों में इन दिनों कोरोना संक्रमण और सामान्य चेकअप कराने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. यहां पर संक्रमित मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं तो कोरोना जांच कराने और रिपोर्ट लेने वाले भी लगातार आ रहे हैं. खास बात यह है कि लोग कोरोना महामारी में मृत्यु दर बढ़ने से खौफजदा हैं. इसके साथ ही मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी से भी लोगों के माथे पर शिकन है. मगर इन सबके बाद भी लोग सड़कों, अस्पतालों में कोविड-19 के नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं.

औपचारिकता के लिए पहन रहे मास्क

खुद की जान से खिलवाड़ करने वाले लोग केवल सड़कों पर ही नहीं हैं, बल्कि अस्पतालों में भी बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के दिखाई दे रहे हैं. दून मेडिकल कॉलेज से लेकर कोरोनेशन अस्पताल और निजी अस्पतालों में ये सब आम बात हो गयी है. यही नहीं कुछ लोग मास्क को केवल प्रशासन की कार्रवाई से बचने का जरिया और औपचारिकता मान रहे हैं. जबकि विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि अस्पतालों में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा डर है, यहां किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जा सकती.

पढे़ं- उत्तराखंड में बढ़ता जा रहा कोरोना का ग्राफ, हालात हो रहे बेकाबू

अस्पतालों में दोगुनी हुई मरीजों की संख्या
मौजूदा समय में अस्पतालों में मरीजों के आने की संख्या सामान्य दिनों के लिहाज से दोगुनी से ज्यादा हो गई है. निजी अस्पतालों में भी खांसी जुकाम और बुखार की शिकायत के साथ ज्यादा संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो दून मेडिकल कॉलेज में करीब 350 बेड हैं, जो सभी के सभी फुल चल रहे हैं. कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित होने के बाद दून मेडिकल कॉलेज में केवल संक्रमित मरीजों का ही इलाज चल रहा है. इसके अलावा कोरोनेशन अस्पताल जिसमें सामान्य मरीजों का इलाज चल रहा है, यहां भी सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या है. ओपीडी में भी मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं. यहां पर कोविड- टेस्ट के लिए 100 से ज्यादा लोग हर दिन पहुंच रहे हैं.

पढे़ं- हल्द्वानी में पकड़ा गया स्मैक तस्कर, 10 लाख का माल बरामद

नजरअंदाज कोविड के नियम !

इससे हटकर यदि कोविड-19 के नियमों को देखें तो इन अस्पतालों में कोविड-19 जांच के लिए आने वाले मरीज सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजें शायद भूल गए हैं. इसी के मद्देनजर अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम चलाने के साथ ही अस्पताल का प्रशासन भी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने की अपील कर रहा है. मगर फिर भी लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं. इस कारण संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हो रहा है.

ढिलाई हो सकती है खतरनाक

राजधानी देहरादून के अस्पतालों में मरीज और तीमारदारों के सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन नहीं करने के सबसे ज्यादा मामले दिखाई दे रहे हैं. ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि अस्पतालों में बाकी जिलों के मुकाबले ज्यादा भीड़ है. यही नहीं देहरादून और पहाड़ी जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक के मरीज भी इन अस्पतालों में इलाज के लिए आ रहे हैं. मगर इलाज के साथ सभी को ये जानने और समझने की जरूरत है कि इस नाजुक दौर में अगर थोड़ी सी भी ढिलाई बरती गई तो कोरोना संक्रमण के आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं.

देहरादून: एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ आम लोग वायरस को निमंत्रण देकर खुद इस खतरे का हिस्सा बन रहे हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि इलाज कराने अस्पताल जाने वाले मरीज भी कोरोना को खुद अपने घर ले जा रहे हैं. सड़कों से लेकर अस्पतालों तक लोग कोरोना के नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं. इस कारण दिनों-दिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ईटीवी भारत ने देहरादून के अस्पतालों में टूटते कोविड के नियमों को लेकर पड़ताल की.

ऐसे कैसे रुकेगा संक्रमण?

अस्पतालों में इन दिनों कोरोना संक्रमण और सामान्य चेकअप कराने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. यहां पर संक्रमित मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं तो कोरोना जांच कराने और रिपोर्ट लेने वाले भी लगातार आ रहे हैं. खास बात यह है कि लोग कोरोना महामारी में मृत्यु दर बढ़ने से खौफजदा हैं. इसके साथ ही मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी से भी लोगों के माथे पर शिकन है. मगर इन सबके बाद भी लोग सड़कों, अस्पतालों में कोविड-19 के नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं.

औपचारिकता के लिए पहन रहे मास्क

खुद की जान से खिलवाड़ करने वाले लोग केवल सड़कों पर ही नहीं हैं, बल्कि अस्पतालों में भी बिना मास्क, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के दिखाई दे रहे हैं. दून मेडिकल कॉलेज से लेकर कोरोनेशन अस्पताल और निजी अस्पतालों में ये सब आम बात हो गयी है. यही नहीं कुछ लोग मास्क को केवल प्रशासन की कार्रवाई से बचने का जरिया और औपचारिकता मान रहे हैं. जबकि विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि अस्पतालों में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा डर है, यहां किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जा सकती.

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अस्पतालों में दोगुनी हुई मरीजों की संख्या
मौजूदा समय में अस्पतालों में मरीजों के आने की संख्या सामान्य दिनों के लिहाज से दोगुनी से ज्यादा हो गई है. निजी अस्पतालों में भी खांसी जुकाम और बुखार की शिकायत के साथ ज्यादा संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो दून मेडिकल कॉलेज में करीब 350 बेड हैं, जो सभी के सभी फुल चल रहे हैं. कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित होने के बाद दून मेडिकल कॉलेज में केवल संक्रमित मरीजों का ही इलाज चल रहा है. इसके अलावा कोरोनेशन अस्पताल जिसमें सामान्य मरीजों का इलाज चल रहा है, यहां भी सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या है. ओपीडी में भी मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं. यहां पर कोविड- टेस्ट के लिए 100 से ज्यादा लोग हर दिन पहुंच रहे हैं.

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नजरअंदाज कोविड के नियम !

इससे हटकर यदि कोविड-19 के नियमों को देखें तो इन अस्पतालों में कोविड-19 जांच के लिए आने वाले मरीज सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजें शायद भूल गए हैं. इसी के मद्देनजर अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम चलाने के साथ ही अस्पताल का प्रशासन भी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने की अपील कर रहा है. मगर फिर भी लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं. इस कारण संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा हो रहा है.

ढिलाई हो सकती है खतरनाक

राजधानी देहरादून के अस्पतालों में मरीज और तीमारदारों के सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन नहीं करने के सबसे ज्यादा मामले दिखाई दे रहे हैं. ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि अस्पतालों में बाकी जिलों के मुकाबले ज्यादा भीड़ है. यही नहीं देहरादून और पहाड़ी जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक के मरीज भी इन अस्पतालों में इलाज के लिए आ रहे हैं. मगर इलाज के साथ सभी को ये जानने और समझने की जरूरत है कि इस नाजुक दौर में अगर थोड़ी सी भी ढिलाई बरती गई तो कोरोना संक्रमण के आंकड़े और भी भयावह हो सकते हैं.

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