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निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का फूटा आक्रोश, किया विरोध प्रदर्शन

अभिभावक संघ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि शासन ने 8 फरवरी से छोटी कक्षाएं शुरू करने को लेकर अभिभावकों से मशवरा तक नहीं किया.

dehradun protest news
विरोध प्रदर्शन करते अभिभावक.
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Published : Feb 6, 2021, 4:19 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड अभिभावक संघ के बैनर तले अभिभावकों ने कोरोना काल में तीन माह की फीस माफ किए जाने को लेकर शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया. शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभिभावक गांधी पार्क के बाहर एकत्रित हुए. वहां से अभिभावकों ने जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकालकर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को 13 बिंदुओं पर आधारित एक ज्ञापन प्रेषित किया.

उत्तराखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष रामकुमार सिंघल का कहना है कि कोरोना काल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से प्रभावित हुई है. ऐसे में अप्रैल माह से लेकर जून तक की फीस माफ होनी चाहिए. इसके अलावा अभिभावक संघ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि शासन ने 8 फरवरी से छोटी कक्षाएं शुरू करने को लेकर अभिभावकों से मशविरा तक नहीं किया. अभिभावकों ने इसे एक तरफा फैसला बताते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का फूटा आक्रोश.

पढ़ें- इंदिरा का वादा, सत्ता में आए तो देंगे मुफ्त में पानी और सस्ती बिजली, MSP कानून बनाएंगे

अभिभावक संघ की मुख्य मांगे-

  • शिक्षा सचिव के अस्पष्ट एवं विसंगत आदेश दिनांक 15 जनवरी 2021 की पैरा एक की आड़ में कक्षा 10 व 12 के अतिरिक्त कक्षाओं के बच्चों से भी अधिकांश स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क वसूला जा रहा है. इस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  • सभी स्कूलों में सभी कक्षाओं में शिक्षण कोर्स पूर्ण हो चुके हैं और सत्र में मात्र डेढ़ माह का समय शेष है. इन घरेलू कक्षाओं की ऑनलाइन कक्षाएं यथावत रखते हुए सत्र पूर्ण किया जाए और कक्षा 6 से लेकर 11 तक के बच्चों को भी केवल ऑफलाइन परीक्षा हेतु स्कूल में जाने की व्यवस्था की जाए.
  • सरकार द्वारा बच्चों के परिपेक्ष में किसी भी निर्णय को लेने से पूर्व अभिभावकों से विचार-विमर्श किया जाए.
  • शिक्षा सचिव के आदेश के बाद से स्कूलों द्वारा फीस ना देने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को उनके शिक्षण से वंचित कर कक्षाओं से हटा दिया गया. ऐसे बच्चों के शिक्षण कार्य को सुरक्षित करने के लिए स्कूलों की ऐसी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  • वैश्विक महामारी के दौर में आर्थिक मंदी झेल रहे अभिभावकों को कम से कम 3 माह की शुल्क मुक्ति व्यवस्था की जाए.
  • राज्य सरकार के स्कूलों के लिए जारी होने वाले विभिन्न शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए.
  • राज्य में तत्काल फीस रेगुलेटरी एक्ट बना कर बार-बार अभिभावकों को होने वाली समस्या से मुक्ति दिलाई जाए.

देहरादून: उत्तराखंड अभिभावक संघ के बैनर तले अभिभावकों ने कोरोना काल में तीन माह की फीस माफ किए जाने को लेकर शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया. शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभिभावक गांधी पार्क के बाहर एकत्रित हुए. वहां से अभिभावकों ने जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकालकर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को 13 बिंदुओं पर आधारित एक ज्ञापन प्रेषित किया.

उत्तराखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष रामकुमार सिंघल का कहना है कि कोरोना काल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से प्रभावित हुई है. ऐसे में अप्रैल माह से लेकर जून तक की फीस माफ होनी चाहिए. इसके अलावा अभिभावक संघ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि शासन ने 8 फरवरी से छोटी कक्षाएं शुरू करने को लेकर अभिभावकों से मशविरा तक नहीं किया. अभिभावकों ने इसे एक तरफा फैसला बताते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का फूटा आक्रोश.

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अभिभावक संघ की मुख्य मांगे-

  • शिक्षा सचिव के अस्पष्ट एवं विसंगत आदेश दिनांक 15 जनवरी 2021 की पैरा एक की आड़ में कक्षा 10 व 12 के अतिरिक्त कक्षाओं के बच्चों से भी अधिकांश स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क वसूला जा रहा है. इस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  • सभी स्कूलों में सभी कक्षाओं में शिक्षण कोर्स पूर्ण हो चुके हैं और सत्र में मात्र डेढ़ माह का समय शेष है. इन घरेलू कक्षाओं की ऑनलाइन कक्षाएं यथावत रखते हुए सत्र पूर्ण किया जाए और कक्षा 6 से लेकर 11 तक के बच्चों को भी केवल ऑफलाइन परीक्षा हेतु स्कूल में जाने की व्यवस्था की जाए.
  • सरकार द्वारा बच्चों के परिपेक्ष में किसी भी निर्णय को लेने से पूर्व अभिभावकों से विचार-विमर्श किया जाए.
  • शिक्षा सचिव के आदेश के बाद से स्कूलों द्वारा फीस ना देने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को उनके शिक्षण से वंचित कर कक्षाओं से हटा दिया गया. ऐसे बच्चों के शिक्षण कार्य को सुरक्षित करने के लिए स्कूलों की ऐसी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  • वैश्विक महामारी के दौर में आर्थिक मंदी झेल रहे अभिभावकों को कम से कम 3 माह की शुल्क मुक्ति व्यवस्था की जाए.
  • राज्य सरकार के स्कूलों के लिए जारी होने वाले विभिन्न शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए.
  • राज्य में तत्काल फीस रेगुलेटरी एक्ट बना कर बार-बार अभिभावकों को होने वाली समस्या से मुक्ति दिलाई जाए.
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