देहरादूनः कोरोनाकाल में स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं देने वाले पीआरडी और उपनल के आउटसोर्सिंग कर्मियों का प्रदर्शन तेज हो गया है. सरकार से समायोजन की मांग को लेकर आज सैकड़ों कर्मियों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इससे नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. इस दौरान कई प्रदर्शनकारी बेहोश भी हो गए.
हाथीबड़कला में रोके जाने पर गुस्साए प्रदर्शनकारी सड़क पर ही अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करने लगे. पुलिस ने जब प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की कोशिश की तो उनके बीच तीखी नोकझोंक होने लगी. इतना ही नहीं पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई. वहीं, पुलिस ने जबरन सड़क पर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हिरासत लिया.
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वहीं, चिलचिलाती धूप में नारेबाजी कर रहे कई प्रदर्शनकारी बेहोश होकर गिर गए. जिन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया. आउटसोर्स कर्मियों का कहना है कि 31 मार्च को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है. उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने कोरोनाकाल में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से सेवा में लिया था, लेकिन अब उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई. जिसके बाद से सभी कर्मचारी अपनी समायोजन की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं.
पहले फूल बरसाए अब लाठी बरसाने को आतुरः आउटसोर्सिंग कर्मचारियों (Outsourced employees of PRD and UPNL) ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नौकरी पर वापस रखने की मांग उठाई. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कोरोनाकाल में उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दी. इतना ही नहीं उन्हें कोरोना योद्धा बताकर उन पर फूल भी बरसाए, लेकिन अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखा कर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है.
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बता दें कि कोरोनाकाल में आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से विभिन्न अस्पतालों में तैनात किए गए कर्मचारियों को कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद हटा दिया गया है. तब से ही ये कर्मचारी बीते 30 दिनों से आंदोलनरत हैं. स्वास्थ्य कर्मियों ने सरकार से उनकी सेवाएं समाप्त न कर उन्हें उत्तराखंड के अन्य अस्पतालों में समायोजित करने की मांग उठाई है.
वहीं, कोरोनाकाल में आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मियों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने आश्वस्त किया था कि उन्हें विभाग और मेडिकल कॉलेजों में खाली पदों पर समायोजित किया जाएगा. इसके लिए जल्द प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में रखा जाएगा, लेकिन आंदोलनरत कर्मियों का कहना है कि इतने दिन बीतने के बाद भी सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में उन्हें मजबूरन आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है.
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