देहरादूनः उत्तराखंड में भर्ती घोटाले और पेपर लीक के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. हाल ही में सामने आए पटवारी और जेई पेपर लीक हो या पुलिस और वन दारोगा भर्ती घोटाला हो, तमाम घोटालों की जांच सीएम धामी ने तत्काल एसआईटी या एसटीएफ से करवाई है. सरकार की इस कार्रवाई को बीजेपी खूब भुनाने का काम कर रही है. इन सब के बीच अब विपक्ष ने इस मुद्दे को पकड़ लिया है. विपक्ष का कहना है कि घोटाले को खोलना तो ठीक है, लेकिन जिन बड़े अधिकारियों की नाक के नीचे ये घोटाले हो रहे हैं, उन पर अभी तक क्यों कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जबकि, छोटे प्यादे लगातार जांच के बाद पकड़े जा रहे हैं.
छोटे पर सितम रसूख पर रहम? उत्तराखंड में धामी सरकार बनने के बाद सबसे पहला घोटाला जो सामने आया वो था यूकेएसएसएससी पेपर लीक का मामला. इस मामले में धामी ने जांच के आदेश दिए तो कुछ सत्ता दल के नेताओं के नाम सामने आए. एसआईटी ने जांच के बाद कुछ विभागीय कर्मचारियों की गिरफ्तारी की तो कुछ को उनके पदों से हटाया. यह घोटाला सुर्खियों में आया तो धीरे-धीरे कई भर्ती जांच के दायरे में आती चली गईं. जिसमें सचिवालय सुरक्षा कर्मी भर्ती से लेकर दारोगा भर्ती, विधानसभा भर्ती समेत छोटी-बड़ी भर्तियों में घोटालों का खुलासा होता गया.
देशभर में चर्चा होने लगी कि क्या उत्तराखंड में तमाम भर्तियों में ऐसा ही हो रहा है? काम का अच्छा संदेश जाए, इसके लिए जांच तेज हुई और गिरफ्तारी के नाम पर फोर्थ क्लास के कर्मचारियों को जेल में डाल दिया गया. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारी को हटाया गया, लेकिन गिरफ्तारी छोटे मोटे आरोपियों की ही होती रही, लेकिन रसूखदार कोई हाथ नहीं चढ़ पाया.
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अब हो रही धड़ाधड़ संपत्ति जब्तः उधर, सरकार के मुखिया अब भर्तियों में हो रहे झोलझाल को देखकर एक्शन मोड में हैं. इस तरह के घोटाले आगे न हों, इसके लिए ठोस कार्रवाई के जरिए इसे जड़ से खत्म करने की प्लानिंग की जा रही है. इसके तहत अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई अमल में लाई जा रही है. भर्ती घोटाले में इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है. अभी तक यूकेएसएसएससी में 54 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. जिनमें से 24 के खिलाफ गैंगस्टर लगाया गया है.
वहीं, 3 लोगों की संपत्ति जब्ती के फिलहाल आदेश दिए गए हैं. इनमें हाकम सिंह रावत, चंदन सिंह मनराल के साथ अंकित रमोला शामिल है. पटवारी पेपर लीक मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जिसमें संपत्ति जब्त करने की प्लानिंग चल रही है. इसके अलावा फर्जी डॉक्टर की डिग्री मामले में गिरफ्तार इमलाख की 3 करोड़ की संपत्ति को भी जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है. उधर, अंकिता भंडारी हत्याकांड के आरोपी की 3 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा रही है.
इसके साथ ही अब सरकार नकल करने और करवाने वालों के खिलाफ भी नया कानून कैबिनेट में ला रही है. जिसमें उम्र कैद के साथ संपत्ति जब्त की कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, ये बात भी सही है कि राज्य में जो भर्ती घोटाले हो रहे हैं, उनमें से अभी तक किसी बड़े अधिकारी तक जांच नहीं पहुंची है. जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है.
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कांग्रेस पूछ रही, क्या अधिकारियों की संपत्ति भी होगी जब्त? यह कार्रवाई विपक्षी दल को रास नहीं आ रहा है. कांग्रेस हो या यूकेडी पूछ रही हैं कि ये सब कार्रवाई तो ठीक है, लेकिन बड़े अधिकारी कब अंदर जाएंगे? जिनके ऊपर इन भर्तियों को करवाने की जिम्मेदारी थी. उनके बारे में तो कोई बात ही नहीं कर रहा है.
कांग्रेस नेता और प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि बीजेपी से पूछा जा रहा है कि लगातार राज्य में भर्ती घोटाले सामने आ रहे हैं, लेकिन जिन अधिकारियों के अधीन ये सब घोटाले हुए, उनके ऊपर कार्रवाई और नाम लेने से सरकार व जांच एजेंसी क्यों बच रही हैं? इस बात से ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार इन सब के पीछे मंत्रियों और कुछ बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है.
यूकेडी बोली- प्यादे पकड़े जा रहे राजा नहीं: वहीं, यूकेडी भी इस मामले पर सरकार को घेर रही है. यूकेडी के नेता शिव प्रसाद सेमवाल का कहना है कि सभी मामलों में ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी पकड़े गए कर्मचारी अनुभाग स्तर के ही हों? जिन्होंने ये सब किया हो. क्या कोई बड़ा अधिकारी इसमें शामिल नहीं है. निचले स्तर के लोगों के लिए एसटीएफ है और बड़े लोगों की जांच एसआईटी कर रही है. भला जांच में ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है?
चेहरा देखकर नहीं की जा रही कार्रवाईः इन सब आरोपों से परे बीजेपी सीएम धामी के आदेशों की तारीफ करते नहीं थक रही है. बीजेपी मीडिया प्रभारी मनवीर कहते हैं कि विपक्ष सिर्फ हल्ला कर रहा है. क्योंकि राज्य में जो पाप कांग्रेस ने किया है. उसको खत्म करने का काम मौजूदा सरकार रही है. लेकिन ये सब विपक्षी नेताओं को रास नहीं आ रहा है. इसलिए ये सब बयानबाजी हो रही है. मनवीर सिंह चौहान का कहना है कि सरकार और जांच एजेंसी किसी का चेहरा या पद देख कर कार्रवाई नहीं कर रही हैं.
अंदर खाने क्या होंगे हालत? अंदाजा लगाना मुश्किलः उत्तराखंड में बीते एक साल में जितने भी घोटाले के मामले सामने आए हैं, भले ही सरकार इन घोटालों को पकड़ कर जांच करवा रही हो, लेकिन ये उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए किसी भी सूरत में सही नहीं हैं. यहां हालात ये हो गए हैं कि जिस जगह से भी पत्थर हटाओ, उस जगह से एक नया घोटाला सामने आ रहा है. अभी तो ये सब सिर्फ नौकरी और पेपर लीक तक ही सीमित हैं, जबकि अंदाजा लगाना मुश्किल है कि राज्य में भ्रष्टाचार किस हद तक पहुंच गया है.
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