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63 साल की अथक खोज के बाद एक व्यक्ति अपने शिक्षक से मिला, पुनर्मिलन देख भावुक हुए लोग - 63 YEARS OF SEARCHING

चंद्रगिरी मंडल के कुचुवारीपल्ली गांव में शिक्षक और उसके छात्र के बीच हृदयस्पर्शी पुनर्मिलन देखने को मिला.

After 63 years of tireless search, a man met his teacher and took his blessings
63 साल की अथक खोज के बाद एक व्यक्ति अपने शिक्षक से मिलकर आशीर्वाद लिया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 3, 2025, 3:44 PM IST

तिरुपति: भारत में 'गुरु-शिष्य परम्परा' बहुत गहरी है और तिरुपति के गंगप्पा ने साबित किया कि शिक्षक बच्चे के दूसरे माता-पिता होते हैं तथा युवा मस्तिष्क को आकार देने में उनकी भूमिका अद्वितीय है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें गंगप्पा ने अपने गुरु जयराम वाडियार को 63 वर्षों तक खोजा, तब जाकर वे उनसे मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सके.

शिक्षक और उनके छात्र के बीच यह दिल को छू लेने वाला पुनर्मिलन चंद्रगिरी मंडल के कुचुवारीपल्ली गांव में देखने को मिला. वाडियार ने 1960 से 1962 तक चित्तूर जिले के रामकुप्पम मंडल के एस गोलापल्ली में शिक्षक के रूप में काम किया था. उन्होंने स्कूल में अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान कई अन्य छात्रों के साथ गंगप्पा को भी पढ़ाया था. गंगप्पा ने अपने जीवन को आकार देने में वाडियार की महत्वपूर्ण भूमिका को कभी नहीं भुलाया और उनसे मिलने और उन्हें अपना सम्मान देने का फैसला किया.

इसी क्रम में उन्होंने अपने गुरु से मिलने के लिए उनका पता लगाने को लेकर काफी खोजबीन की. गंगप्पा ने वाडियार की खोज में छह दशक से अधिक समय बिताया और रविवार को कुचुवारीपल्ली में उन्हें ढूंढ़ने के बाद अंततः उनकी मेहनत रंग लाई. इतना ही नहीं गंगप्पा अपने पोते यतीश के साथ वाडियार के गांव गए थे. वाडियार को देखकर वे भावुक हो गए और उनके पैर छू लिए.

इस दौरान शिक्षक और छात्र ने स्कूल के दिनों की यादें ताजा कीं. गंगप्पा ने यतीश को परंपरा की याद दिलाई और उसे सलाह दी कि वह उन शिक्षकों को कभी न भूले जो मनुष्य के जीवन को आकार देते हैं. गांव के लोग भी इस दुर्लभ पुनर्मिलन को देखकर भावुक हो गए और गंगप्पा की प्रशंसा की कि उन्होंने अपने शिक्षक को खोजा और उन्हें वह सम्मान दिया जिसके वे हकदार थे. वर्तमान समय में इस तरह का सम्मान दुर्लभ हो गया है, जब लोग अपने जीवन में आगे बढ़ जाते हैं और उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद की.

ये भी पढ़ें- ओडिशा के 4 लोगों को मिलेगा पद्म पुरस्कार, सेवा, समाज कला और शिक्षा के क्षेत्र में लहराया अपना परचम

तिरुपति: भारत में 'गुरु-शिष्य परम्परा' बहुत गहरी है और तिरुपति के गंगप्पा ने साबित किया कि शिक्षक बच्चे के दूसरे माता-पिता होते हैं तथा युवा मस्तिष्क को आकार देने में उनकी भूमिका अद्वितीय है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें गंगप्पा ने अपने गुरु जयराम वाडियार को 63 वर्षों तक खोजा, तब जाकर वे उनसे मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सके.

शिक्षक और उनके छात्र के बीच यह दिल को छू लेने वाला पुनर्मिलन चंद्रगिरी मंडल के कुचुवारीपल्ली गांव में देखने को मिला. वाडियार ने 1960 से 1962 तक चित्तूर जिले के रामकुप्पम मंडल के एस गोलापल्ली में शिक्षक के रूप में काम किया था. उन्होंने स्कूल में अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान कई अन्य छात्रों के साथ गंगप्पा को भी पढ़ाया था. गंगप्पा ने अपने जीवन को आकार देने में वाडियार की महत्वपूर्ण भूमिका को कभी नहीं भुलाया और उनसे मिलने और उन्हें अपना सम्मान देने का फैसला किया.

इसी क्रम में उन्होंने अपने गुरु से मिलने के लिए उनका पता लगाने को लेकर काफी खोजबीन की. गंगप्पा ने वाडियार की खोज में छह दशक से अधिक समय बिताया और रविवार को कुचुवारीपल्ली में उन्हें ढूंढ़ने के बाद अंततः उनकी मेहनत रंग लाई. इतना ही नहीं गंगप्पा अपने पोते यतीश के साथ वाडियार के गांव गए थे. वाडियार को देखकर वे भावुक हो गए और उनके पैर छू लिए.

इस दौरान शिक्षक और छात्र ने स्कूल के दिनों की यादें ताजा कीं. गंगप्पा ने यतीश को परंपरा की याद दिलाई और उसे सलाह दी कि वह उन शिक्षकों को कभी न भूले जो मनुष्य के जीवन को आकार देते हैं. गांव के लोग भी इस दुर्लभ पुनर्मिलन को देखकर भावुक हो गए और गंगप्पा की प्रशंसा की कि उन्होंने अपने शिक्षक को खोजा और उन्हें वह सम्मान दिया जिसके वे हकदार थे. वर्तमान समय में इस तरह का सम्मान दुर्लभ हो गया है, जब लोग अपने जीवन में आगे बढ़ जाते हैं और उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद की.

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