मसूरीः टैंकरों के जरिए मसूरी झील से होटलों को पानी सप्लाई किए जाने पर एनजीटी ने रोक लगाई है. जिससे होटल और ट्रेडर्स एसोसिएशन, सामाजिक संस्थाओं समेत अन्य कारोबारियों में चिंता की लकीरें पड़ गई हैं. इसी कड़ी में एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी ने स्टेक होल्डरों और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों के साथ पालिका सभागार में बैठक आयोजित की. बैठक में एसडीएम ने बताया कि मसूरी झील के प्राकृतिक स्रोत से निकलने वाले पानी को अब टैंकरों के माध्यम से होटलों में सप्लाई नहीं किया जाएगा. अगर कोई भी सप्लाई करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि मसूरी एक पर्यटक स्थल है. अगर यहां पर पेयजल की कमी होगी तो उसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ेगा. एनजीटी के निर्देशों पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए और एनजीटी के निर्देश के खिलाफ अपील या रिवीजन दाखिल करनी चाहिए. जिससे मसूरी में पेयजल की आपूर्ति की जा सके. उन्होंने बताया कि 144 करोड़ की मसूरी यमुना पेयजल योजना के तहत डाली जा रही पेयजल पाइप लाइन के काम में भी तेजी लाई जाए. जिससे मसूरी में पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले यमुना का पानी उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन को मसूरी में पेयजल की कमी को देखते हुए इसकी आपूर्ति पर काम करना चाहिए.
पानी के रीसाइकिल प्रबंधन पर लगेगा समयः होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी ने कहा कि सरकार की ओर से पानी को रीसाइकिल किए जाने की बात की जा रही है. बड़े-बड़े होटलों में एसटीपी प्लांट लगे हुए हैं, लेकिन रीसाइकिल पानी को दोबारा से इस्तेमाल करने के लिए होटल में दोबारा से पाइप लाइन बिछाने की व्यवस्था करनी होगी. जिसमें काफी समय लगेगा. उन्होंने कहा कि मसूरी के स्थानीय लोग, होटल और रेस्टोरेंट स्वामी वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर पहले से ही काम कर रहे हैं. वहीं, पानी के कम इस्तेमाल को लेकर भी लोगों को विभिन्न माध्यम से जागरूक किया जा रहा है, लेकिन मसूरी में लगातार पानी की किल्लत है. जिस पर सरकार को काम करना चाहिए.
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रेन वाटर हार्वेस्टिंग और पानी की बचत पर देना होगा ध्यानः मसूरी एसडीएम मसूरी शैलेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि सितंबर में एनजीटी ने मसूरी झील से पानी को टैंकरों के माध्यम से होटलों में सप्लाई करने पर रोक लगाई थी. 12 जनवरी को दोबारा से यह निर्देश पारित किया गया है. ऐसे में उन्हें 2 महीने के भीतर इस निर्देशों का अनुपालन कर एनजीटी को रिपोर्ट देनी है. उन्होंने कहा कि मसूरी में पानी की कमी को देखते हुए लोगों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पानी की बचत पर ध्यान देना होगा. मसूरी में कई और प्राकृतिक स्रोत हैं. ऐसे में गढ़वाल जल संस्थान को उन पर मंथन कर होटलों को नियमानुसार पेयजल उपलब्ध कराने की बात कही गई है.
डी ग्रेड का है मसूरी धोबी घाट का पानीः वहीं, देहरादून प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि कार्तिक शर्मा की ओर से एनजीटी में डाली गई याचिका पर सुनवाई की गई थी. जिसमें मसूरी धोबी घाट प्राकृतिक स्रोत के पानी की जांच कराई गई थी. जो डी ग्रेड का पाया गया था. ऐसे में एनजीटी ने पानी की प्राकृतिक स्रोत को टैंकरों से होटलों में सप्लाई पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने होटलों से उनके यहां उपलब्ध पानी की खपत के संबंध में भी जानकारी मांगी है.
मसूरी में 14 एमएलडी पानी की जरुरत, सिर्फ 4 एमएलडी पानी ही उपलब्धः मसूरी गढ़वाल जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एलसी रमोला ने बताया कि मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता है. वर्तमान में उनके पास सिर्फ 4 एमएलडी पानी ही उपलब्ध है. ऐसे में लोग प्राकृतिक स्रोतों से पेयजल की आपूर्ति करते हैं. उन्होंने कहा कि एनजीटी के निर्देशों के बाद मसूरी धोबीघाट झील से होटलों में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है.
मसूरी यमुना पेयजल योजना पर सभी की निगाहेंः जल संस्थान के ईई एलसी रमोला ने कहा कि अब मसूरी के अन्य प्राकृतिक स्रोतों का सर्वेक्षण कर नियमानुसार होटलों को पेयजल की आपूर्ति कराई जाएगी. सबकी निगाहें मसूरी यमुना पेयजल योजना पर हैं. उन्होंने भी जल निगम के अधिकारियों से तय समय पर योजनाओं को पूरा करने का आग्रह किया है. जिससे मसूरी में पेयजल की कमी न हो.
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