देहरादून: उत्तराखंड एक ओर जहां कोरोना से बेहाल हैं. वहीं, दूसरी तरफ अब नर्सों ने भी अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है. कोरोना संक्रमण के दौर में नर्सों ने सामूहिक अवकाश पर जाने तक की चेतावनी सरकार को दे दी है.
उत्तराखंड में कोरोना काल के दौरान लोग वायरस के अटैक से परेशान हैं. अब दूसरी परेशानी नर्सों के सार्वजनिक अवकाश की चेतावनी से खड़ी हो सकती है. बता दें कि मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद डॉक्टरों ने आंदोलन को वापस ले लिया है. वहीं, दूसरी तरफ नर्सों ने सरकार और शासन के रवैए को लेकर अपना आंदोलन तेज करने की चेतावनी दे दी है.
नर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला की मानें तो 7 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार और विभाग को मांग पत्र दिया गया था. मगर अभी एक भी बार मुख्यमंत्री की तरफ से उनकी मांगों को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. विभाग की ओर से भी उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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जिससे साफ है कि सरकार और विभाग उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा सरकार और विभाग नर्सों को आंदोलन करने के लिए विवश कर रहे हैं. ऐसे में नर्सेज एसोसिएशन ने फैसला किया है कि 11 सितंबर से सभी नर्सें विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधेंगी. जिसके बाद 21 सितंबर को सभी नर्से सार्वजनिक अवकाश पर रहेंगी.
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नर्स एसोसिएशन की सात सूत्रीय मांगें
- एसोसिएशन की सात सूत्रीय मांगों में मुख्यता नर्सों का वेतनमान फॉर्मासिस्टों से ज्यादा करना यानी 5400 का प्रथम ग्रेड पे अनुमन्य करना है.
- केंद्र की तरह नर्सों का पदनाम बदलना.
- नर्सेज के 1 दिन के वेतन कटौती के निर्णय को तत्काल वापस लेना.
- नर्सेज को छठवें वेतनमान के रूप में निर्धारित वेतन में कोई कटौती नहीं करना.
- नर्सेज की पदोन्नतियों को जल्द से जल्द किया जाए. उनके उच्च पदों उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक, अपर निदेशक पद पर तत्काल पदोन्नति की जाए.
- नर्सेज की स्थाई नियुक्तियां की जाएं जैसी मांगें शामिल हैं