देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा में इस बार रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. आलम यह है कि सरकार और प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं धरी की धरी रह गई हैं. ऐसा नहीं है कि भीड़ सिर्फ केदारनाथ मंदिर में है. बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम का भी यही हाल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक हफ्ते में चारधाम यात्रा पर इस बार इतनी भीड़ कैसे आ गई ? इसका जवाब अगर आप किसी से मांगेंगे तो शायद वो यही कहेगा कि कोरोना काल में लोग घरों से नहीं निकले थे. इस बार बिना पाबंदी के यात्रा हो रही है. ऐसे में लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. लेकिन इसका सिर्फ यही पहलू है ऐसा नहीं है. आखिरकार क्यों चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, चलिए हम आपको बताते हैं.
उत्तराखंड के हिल स्टेशनों की बात करें, तो मसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा या फिर फूलों की घाटी ये हमेशा से ही पर्यटकों और श्रद्धालुओं की पहली पसंद रहे हैं. चारधाम यात्रा लगभग 10 दिनों की यात्रा होने के कारण लगभग 12 साल पहले यानी 2010 तक बेहद कम लोग ही आते थे. लेकिन बीते 8 से 10 सालों में यात्रा का स्वरूप बदल गया है. अब चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 30 से 40 लाख तक पहुंचने लगी है, जो किसी भी हिमालय क्षेत्र के मंदिरों में सबसे अधिक पहुंचने वाली भीड़ है. बड़ा कारण है चारधाम यात्रा पर आने वाले लोगों को मिलने वाली सुविधाओं ने यात्रियों की संख्या को बढ़ाया है. इस बार शुरू हुई चारधाम यात्रा में आलम ये है कि लोग सड़कों पर सो रहे हैं, होटलों में जगह नहीं है. धर्मशालाएं महीनों पहले से बुक हैं और हेलीकॉप्टर के टिकट भी मिलने मुश्किल हो रहे हैं, इन सबके पीछे कई कारण हैं.
साल 2013 की आपदा भी है भीड़ की वजह: वरिष्ठ पत्रकार और सुंदरलाल बहुगुणा के बेटे राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि चारधाम यात्रा का चलन बीते 10 सालों में अचानक बढ़ा है. इसके पीछे की वजह यही है कि साल 2013 में आई आपदा के बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता थी कि आखिरकार हिमालय स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ के हालात क्या हैं? वहां पर एक ईंट भी पहुंचाई जाती है तो उसका लाइव प्रसारण होता है. हेलीकॉप्टरों से मशीनें पहुंचाई गई हैं. उसका प्रचार प्रसार सरकार द्वारा बड़े स्तर पर किया गया है.
ऐसे में देश विदेश सहित तमाम श्रद्धालु के मन में यही था कि इतनी बड़ी आपदा आने के बाद केदारनाथ मंदिर को कैसे दोबारा से बसाया जा रहा है ? कैसे इतने लोगों के मरने के बाद भी केदारनाथ मंदिर बच गया ? इसको लेकर भी लोगों की आस्था बढ़ी है. अब लोग केदारनाथ सबसे अधिक आना चाहते हैं. इसी वजह से वह बदरीनाथ धाम और गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा का भी प्लान करते हैं. राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि आपदा ने भले ही लोगों की जिंदगी छीन ली है लेकिन उसके बाद देखा कि केदारनाथ को किस व्यवस्थित तरीके से बसाया गया है. नहीं तो उससे पहले वहां की व्यवस्थाएं बेहद चरमरा रखीं थीं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ धाम आना भी बड़ी वजह: साल 2013 जून में आई आपदा के से पहले हर साल केदारनाध धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 से 12 लाख हुए करती थी. लेकिन जिस तरह से आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को अपने कार्यालय से मॉनिटर किया तो केदारनाथ धाम जाने के बारे में लोगों की उत्सुकता बढ़ी. पीएम मोदी अब तक कई बार केदारनाथ धाम आ चुके हैं. पीएम मोदी ने वहां जनता को भी संबोधित किया. केदारनाथ धाम की खूबसूरती को कई कैमरों की नजर से दुनिया के सामने रखा गया. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर केदारनाथ मंदिर का प्रचार प्रसार हुआ. केदारनाथ मंदिर पर फिल्में बनाई गई. इसका असर भी लोगों पर पड़ा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज नेताओं ने केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना की है. तब से भी श्रद्धालुओं के मन में केदारनाथ धाम जाने की इच्छा प्रबल हुई है. वहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा ध्यान करना, यह बताता है कि वह स्थान क्या है ? प्रधानमंत्री बनने से पहले और प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का केदारनाथ में पूजा अर्चना करना भी लोगों को खूब भाया. दो दिनों तक टीवी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ की कंदरा में ही दिखे. इससे भी लोगों में केदारनाथ को लेकर आस्था बढ़ी. यही कारण है कि अब जिस तरह से केदारनाथ का पुनर्निर्माण हुआ है और बदरीनाथ धाम में भी पुनर्निर्माण करवाया जा रहा है, उससे श्रद्धालुओं में उत्सुकता जगी है.
सुगम और सरल हुई चारधाम यात्रा: चारधाम यात्रा पर इतनी बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं के आने की बड़ी वजह यह भी है कि अब श्रद्धालु चारधाम यात्रा की पूरी जानकारी अपने मोबाइल पर तुरंत ले लेता है. चारधाम यात्रा का मौसम कैसा रहेगा ? कितने दिनों का यात्रा का समय मिलेगा? पैदल जाना और हेलीकॉप्टर से जाना कौन सा सही रहेगा ? हरिद्वार और ऋषिकेश से चलने वाली यात्रा बसों से अगर चारों धाम में श्रद्धालु जाते हैं, तो अभी भी लगभग 10 दिनों का समय लगता है. लेकिन अगर चारधाम यात्रा गाड़ी या हेलीकॉप्टर से कर ली जाए, तो यह समय 7 से 8 दिन का भी हो जाता है.
श्रद्धालुओं को अब पहले की तरह खतरनाक रास्तों से होकर नहीं गुजरना पड़ता. दिल्ली से ऋषिकेश आने में लगभग साढ़े 4 घंटे का समय लग रहा है. ऋषिकेश से बदरीनाथ पहुंचने में एक दिन का समय लग रहा है. ऐसा ही हाल ऋषिकेश से गौरीकुंड या गुप्तकाशी तक का है. अच्छी कनेक्टिविटी और यात्रा का प्रचार-प्रसार भी यात्रियों की भीड़ बढ़ाने में बेहद कारगर रहा है. यही कारण है कि एक हफ्ते या 10 दिन की छुट्टी मिलने के तुरंत बाद अब श्रद्धालु चारधाम यात्रा का प्लान कर रहे हैं.
क्या कहते हैं बदरी केदार मंदिर समिति के अधिकारी: उत्तराखंड के चारों धामों में बढ़ने वाली भीड़ को देख कर बदरी केदार मंदिर समिति के सदस्य भी बेहद खुश हैं. बीकेटीसी के सदस्य आशुतोष डिमरी कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीते कुछ सालों में चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या चौंकाने वाली रही है. इस बार यह आंकड़ा इतना ऊपर पहुंचने वाला है, जिसकी उम्मीद ना तो सरकार कर रही है और ना ही हम खुद. लेकिन शासन प्रशासन को इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि जिस तरह से यात्रा मार्गों पर यात्रियों के रुकने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था और शौचालय की व्यवस्था मुकम्मल होनी चाहिए लेकिन वह अभी नहीं है. अगर सरकार अभी भी यह प्रयास कर लेती हैं, तो यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को और सुविधा मिल पाएगी.
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आशुतोष कहते हैं कि मौजूदा समय में जो श्रद्धालु आ रहे हैं, उनके पास अपने संसाधन हैं. वह अपनी गाड़ी से भी आ रहे हैं. हर कोई यह चाहता है कि बदरी और केदार के दर्शन किए जाएं. लेकिन जैसे-जैसे महीने आगे निकलेंगे, वैसे-वैसे वह तबका भी चारधाम यात्रा पर पहुंचेगा, जो अच्छे होटलों में नहीं रुक सकता, उसके लिए धर्मशालाएं या सरकारी व्यवस्था ही बहुत कुछ होती है. इसलिए सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना होगा.
आशुतोष डिमरी इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि साल 2024 के बाद जब ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन पहुंच जाएगी. तब चारधाम यात्रा का स्वरूप क्या होगा ? इसको देख कर और सोच कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो व्यक्ति अभी चारधाम यात्रा पर नहीं आ सकता, वह ट्रेन में बैठ कर चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव तक पहुंच जाएगा. आने वाला समय चारधाम यात्रा और यहां के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
साल-दर-साल बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या: साल 2012 में लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा के दर्शन किए थे. 2013 में यह संख्या लगभग आठ लाख हो गया था. आपदा के बाद साल 2014 में चारधाम यात्रा आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2 लाख ही रह गई. 2015 में यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ा और लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम के दर्शन किए. साल 2016 में 11 लाख श्रद्धालु, साल 2017 में 15 लाख, सास 2018 में लगभग 27 लाख लोगों ने भगवान बदरी विशाल सहित तीनों धामों के दर्शन किए. साल 2019 में श्रद्धालुओं ने सभी रिकॉर्ड तोड़े और लगभग 42 लाख 56 हजार श्रद्धालुओं ने चारधाम के दर्शन किए. साल 2020 और 21 चारधाम यात्रा कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गई. इस बार यात्रा अभी शुरू हुई है ऐसे में और 8 दिनों में पौने दो लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंच गए हैं.