देहरादून: कोरोना काल में समाज के हर वर्ग को वायरस का दंश झेलना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण काल में कई युवा रोजगार की आस लगाए बैठे हुए हैं. चिंता की बात यह है कि संक्रमण की वजह से लागू लॉकडाउन में कई नौकरी पेशा लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. जिसके बाद आज भी कई लोग बेरोजगार हैं. नौकरी की आस और सरकार के नियम और शर्तें ऐसे ही बेरोजगार युवाओं की परेशानी को और बढ़ा रहे हैं.
ऐसे में उत्तराखंड सरकार की ओर से नर्सेज की भर्ती प्रक्रिया में नोटिफिकेशन से बेरोजगारों के चेहरे पर एक उम्मीद की किरण दिखाई दी थी. मगर राज्य में स्टाफ नर्स के पदों की भर्ती में सरकार की कड़ी शर्तों और नियमों ने युवाओं के नौकरी पाने के सपने को चकनाचूर कर के रख दिया है. पर्वतीय जिलों के युवाओं को भर्ती के लिए फॉर्म 16 और 30 बेड से ज्यादा के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त चिंता का विषय बन रही है.
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ऐसे में शर्त पूरी न करने वाले युवा भर्ती की रेस से बाहर हो गए हैं. युवाओं की मांग है कि सरकार पहले भर्ती करें, उसके बाद उन्हें प्रशिक्षित किए जाने की व्यवस्था करे.
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बता दें कि प्रदेश सरकार ने राज्य में नर्सों की कमी को पूरा करने के लिए 1,238 पदों की भर्तियां निकाली हैं. इसके लिए आवेदनकर्ता को 1 साल के अनुभव के साथ ही फॉर्म 16 की शर्ते रखी गई हैं. इसके अलावा अनुभव प्रमाण पत्र 30 बेड से अधिक के अस्पताल का मांगा गया है. जबकि देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जैसे जिलों को छोड़ दिया जाए, तो कहीं भी 30 बेड का कोई अस्पताल नहीं है.
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स्टाफ नर्स की भर्ती में इन शर्तों की वजह से एनएचएम कार्यक्रम में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पद पर तैनात युवा भी स्टाफ नर्स भर्ती के लिए अयोग्य साबित हो रहे हैं. इस संबंध में नर्सेज एसोसिएशन के संरक्षक लक्ष्मी पुनेठा का कहना है कि स्टाफ नर्स के पदों की भर्ती के लिए लगाए गए नियम और शर्तों का नर्सेज एसोसिएशन विरोध करती है. उन्होंने कहा कि नर्सेज कोरोना संक्रमण को देखते हुए एक दूसरे से मुलाकात न करके ऑनलाइन जुड़ रही हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले हुई बैठक में नर्सेज एसोसिएशन ने नियम और शर्तों को लेकर विरोध जताया है.