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चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत का सिलसिला जारी, अब तक दर्ज नहीं हुई एक भी शिकायत - Videos of horse mules in Chardham Yatra viral on social media

घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद भी अब तक पशु क्रूरता मामले में एक भी शिकायत नहीं आई है. जबकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इसकी तस्दीक कर रहे हैं. मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा अगर इस तरह की कोई शिकायत आती है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Not a single animal cruelty complaint was registered even after the death of horses and mules in Chardham Yatra
चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत का सिलसिला जारी
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Published : May 30, 2022, 10:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 100 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. खास बात यह है कि यात्रा में आने वाले यात्रियों के साथ ही बेजुबानों की भी मौत हो रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से यह भी जाहिर हो रहा है कि यात्रा में घोड़े और खच्चरों से बेहद ज्यादा काम भी लिया जा रहा है. जिसे इन बेजुबानों की मौत की बड़ी वजह माना जा रहा है, हालांकि इसके बावजूद अब तक पशु क्रूरता मामले में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.

केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा में बड़ी संख्या में बेजुबान मारे जा रहे हैं. मिले रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 70 से ज्यादा घोड़े और खच्चर अपनी जान गवां चुके हैं. यूं तो इसके पीछे कई वजह कही जा रही है, लेकिन जरूरत से ज्यादा काम लिया जाना इसकी सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है.

चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत का सिलसिला जारी

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि कई बेजुबान श्रद्धालुओं को अपने पर सवार करने के बाद चलने की हालत में भी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद इन्हें खींचकर या पीटकर चढ़ाई पूरा कराने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है कि कुछ बेजुबान को तो घायल होने के बावजूद भी काम पर लगाया गया.

पढ़े- चारधाम यात्रा में बदइंतजामी, उम्मीद छोड़ बिना दर्शन के ही वापस लौट रहे श्रद्धालु

इन स्थितियों के बीच हैरत की बात यह है कि अब तक पशु क्रूरता के मामले में एक भी शिकायत नहीं आई है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तक पशुओं की हो रही मौत को लेकर राज्य सरकार को चिट्ठी लिख चुकी हैं. जिसके बाद राज्य सरकार की आंखें खुली. कैबिनेट मंत्री से लेकर अधिकारियों को भी पशुओं की मौत के मामले में जानकारी जुटाने के लिए धाम पहुंचते हुए देखा गया.

इस मामले पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने केदारनाथ से निरीक्षण करने के बाद ईटीवी भारत के सवाल पर कहा ऐसी कोई शिकायत अभी नहीं मिली है. पशु क्रूरता से जुड़े मामले में कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. उन्होंने कहा लगातार प्रशासन की तरफ से यह कोशिश की जा रही है कि पशुओं की मौत की संख्या को रोका जा सके.

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 100 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. खास बात यह है कि यात्रा में आने वाले यात्रियों के साथ ही बेजुबानों की भी मौत हो रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से यह भी जाहिर हो रहा है कि यात्रा में घोड़े और खच्चरों से बेहद ज्यादा काम भी लिया जा रहा है. जिसे इन बेजुबानों की मौत की बड़ी वजह माना जा रहा है, हालांकि इसके बावजूद अब तक पशु क्रूरता मामले में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.

केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा में बड़ी संख्या में बेजुबान मारे जा रहे हैं. मिले रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 70 से ज्यादा घोड़े और खच्चर अपनी जान गवां चुके हैं. यूं तो इसके पीछे कई वजह कही जा रही है, लेकिन जरूरत से ज्यादा काम लिया जाना इसकी सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है.

चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत का सिलसिला जारी

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि कई बेजुबान श्रद्धालुओं को अपने पर सवार करने के बाद चलने की हालत में भी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद इन्हें खींचकर या पीटकर चढ़ाई पूरा कराने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है कि कुछ बेजुबान को तो घायल होने के बावजूद भी काम पर लगाया गया.

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इन स्थितियों के बीच हैरत की बात यह है कि अब तक पशु क्रूरता के मामले में एक भी शिकायत नहीं आई है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तक पशुओं की हो रही मौत को लेकर राज्य सरकार को चिट्ठी लिख चुकी हैं. जिसके बाद राज्य सरकार की आंखें खुली. कैबिनेट मंत्री से लेकर अधिकारियों को भी पशुओं की मौत के मामले में जानकारी जुटाने के लिए धाम पहुंचते हुए देखा गया.

इस मामले पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने केदारनाथ से निरीक्षण करने के बाद ईटीवी भारत के सवाल पर कहा ऐसी कोई शिकायत अभी नहीं मिली है. पशु क्रूरता से जुड़े मामले में कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. उन्होंने कहा लगातार प्रशासन की तरफ से यह कोशिश की जा रही है कि पशुओं की मौत की संख्या को रोका जा सके.

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