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रोजगार को लेकर फिर आए निराशाजनक आंकड़े, 5 साल में सिर्फ 3000 भर्तियां कर पाया चयन आयोग - Uttarakhand Subordinate Services Selection

उत्तराखंड में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ रही है. चयन आयोग 50 प्रतिशत के सिलेक्शन लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. हालत ये हैं कि प्रदेश में रिक्तियां बढ़ रही हैं और भर्तियां सालों साल तक भी पूरी नहीं हो पा रही हैं.

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प्रदेश में रोजगार को लेकर निराशाजनक आंकड़े.
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Published : Jan 6, 2020, 2:19 PM IST

Updated : Jan 6, 2020, 9:48 PM IST

देहरादून: प्रदेश में रोजगार को लेकर निराशाजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं. ऐसे हालात पैदा करने में सरकारी मशीनरी का बड़ा योगदान है. साल 2014 में 17 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था और तब से अब तक आयोग केवल 3000 ही सिलेक्शन करवा पाया है. आयोग से इन पांच सालों में मात्र 6500 पदों की भर्तियों के लिए विभागों द्वारा मांग की गई. जिसमें से भी करीब आयोग सिर्फ 5000 पदों पर ही एग्जाम करा पाया और एग्जाम के बाद इसमें भी मात्र 3000 सिलेक्शन ही हो पाए हैं.

पढ़ें- खुशखबरी: जमरानी बांध परियोजना का जल्द शुरू होगा कार्य, केंद्र सरकार ने जारी किया बजट

बता दें कि, प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ रही है. चयन आयोग 50 प्रतिशत के सिलेक्शन लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. हालत ये हैं कि प्रदेश में रिक्तियां बढ़ रही हैं और भर्तियां सालों साल तक भी पूरी नहीं हो पा रही हैं. आयोग का कहना है कि अभी पुरानी भर्तियों पर काम किए जा रहे हैं. हालांकि इस बीच आयोग को रिक्त पदों को लेकर करीब 5000 नए अधियाचन भेजे गए हैं. जिसमें से करीब 1100 पदों पर विज्ञापन जारी कर दिया गया है.

प्रदेश में रोजगार को लेकर निराशाजनक आंकड़े.

दरअसल, कई बार कोर्ट में जाने वाले मामले भी उत्तराखंड में भर्तियों में हो रही लेटलतीफी का कारण बनते हैं, लेकिन शासन और विभागों की अधियाचन भेजने में लापरवाही भी इसमें बराबर की जिम्मेदार है. आयोग की तरफ से भर्तियों में तेजी दिखाई जाए तो सरकार की तरफ से भी रिक्तियों को भरने में लापरवाही नहीं होगी और अधिक से अधिक भर्तियों का फायदा युवाओं को मिल सकेगा.

देहरादून: प्रदेश में रोजगार को लेकर निराशाजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं. ऐसे हालात पैदा करने में सरकारी मशीनरी का बड़ा योगदान है. साल 2014 में 17 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया था और तब से अब तक आयोग केवल 3000 ही सिलेक्शन करवा पाया है. आयोग से इन पांच सालों में मात्र 6500 पदों की भर्तियों के लिए विभागों द्वारा मांग की गई. जिसमें से भी करीब आयोग सिर्फ 5000 पदों पर ही एग्जाम करा पाया और एग्जाम के बाद इसमें भी मात्र 3000 सिलेक्शन ही हो पाए हैं.

पढ़ें- खुशखबरी: जमरानी बांध परियोजना का जल्द शुरू होगा कार्य, केंद्र सरकार ने जारी किया बजट

बता दें कि, प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ रही है. चयन आयोग 50 प्रतिशत के सिलेक्शन लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पा रहा है. हालत ये हैं कि प्रदेश में रिक्तियां बढ़ रही हैं और भर्तियां सालों साल तक भी पूरी नहीं हो पा रही हैं. आयोग का कहना है कि अभी पुरानी भर्तियों पर काम किए जा रहे हैं. हालांकि इस बीच आयोग को रिक्त पदों को लेकर करीब 5000 नए अधियाचन भेजे गए हैं. जिसमें से करीब 1100 पदों पर विज्ञापन जारी कर दिया गया है.

प्रदेश में रोजगार को लेकर निराशाजनक आंकड़े.

दरअसल, कई बार कोर्ट में जाने वाले मामले भी उत्तराखंड में भर्तियों में हो रही लेटलतीफी का कारण बनते हैं, लेकिन शासन और विभागों की अधियाचन भेजने में लापरवाही भी इसमें बराबर की जिम्मेदार है. आयोग की तरफ से भर्तियों में तेजी दिखाई जाए तो सरकार की तरफ से भी रिक्तियों को भरने में लापरवाही नहीं होगी और अधिक से अधिक भर्तियों का फायदा युवाओं को मिल सकेगा.

Intro:ready to air

एक्सक्लूसिव रिपोर्ट....

Summary- उत्तराखंड में बेरोजगारी की समस्या को कैसे खत्म किया जा सकेगा.. जब चयन आयोग 50 प्रतिशत के सिलेक्शन लक्ष्य को भी पूरा नही कर पा रहा है.. हालत यह है कि प्रदेश में रिक्तियां बढ़ रही हैं और भर्तियां सालों साल तक भी पूरी नहीं हो पा रही है.. देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..


Body:देशभर में रोजगार को लेकर निराशा जनक आंकड़े सामने आ रहे हैं.. यही हालात उत्तराखंड में भी है.. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसे हालात पैदा करने में सरकारी मशीनरी का भी बड़ा योगदान है.. इसका छोटा सा नमूना अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में आए अधियाचन के आधार पर की गई भर्तियों से समझिए... दरअसल साल 2014 में 17 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन किया गया... और तब से अब तक आयोग करीब 5 साल से भी ज्यादा के समय में 3000 सिलेक्शन करवा सका है.. आपको बता दें कि आयोग को इतने समय में मात्र 6500 पदों की भर्तियों के लिए विभागों द्वारा मांग की गई... जिसमें से भी करीब 5000 पदों पर ही अब तक एग्जाम कराए जा सके हैं.. यही दही एग्जाम के बाद इनमें भी मात्र 3000 सिलेक्शन हो सके हैं..


बाईट-संतोष बडोनी, सचिव, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग


बहरहाल पुरानी भर्तियों पर काम किए जा रहे की बात कही जा रही है हालांकि इस बीच रिक्त पदों को लेकर करीब 5000 नए अधियाचन आयोग को भेजे गए हैं... जिसमें से करीब 1100 पदों पर विज्ञापन जारी कर दिया गया है।।। हालांकि अभी पुराने अधियाचन में ही करीब 1500 पदों के लिए एग्जाम कराए जाने बाकी है..


बाईट-संतोष बडोनी, सचिव, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग




Conclusion:उत्तराखंड में भर्तियों में हो रही लेटलतीफी के लिए कई बार कोर्ट में जाने वाले मामले भी वजह बनते हैं लेकिन शासन और विभागों की अधियाचन भेजने में लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं है। जरूरत है कि आयोग की तरफ से भर्तियों में तेजी दिखाई जाए तो सरकार की तरफ से भी रिक्तियों को भरने के लिए ज्यादा से ज्यादा दिया चंद आयोग को भेजी जाए ताकि समय पर अधिक से अधिक भर्तियों का फायदा युवाओं को मिल सके।

नवीन उनियाल देहरादून
Last Updated : Jan 6, 2020, 9:48 PM IST
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