देहरादून: आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है. शिक्षक दिवस का मौका हम सबके लिए खास होता है. 5 सितंबर का दिन एक ऐसा दिन होता है, जब हम अपने गुरुओं के मार्गदर्शन और ज्ञान के बदले उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं. शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत साल 1962 में हुई थी. खास बात यह है कि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. वो एक महान शिक्षक के साथ-साथ वह स्वतंत्र भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी थे.
जब शिक्षक दिवस की बात करते हैं तो हमेशा आपके और हमारे जेहन में वो शिक्षक आ जाते हैं, जिन्होंने कान पकड़ कर उठक-बैठक कराई हो या फिर छड़ी से पिटाई कर ज्ञान दिया हो. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे शिक्षकों की कहानी बताने जा रहे हैं, जो न केवल छात्रों को पढ़ाते थे, बल्कि आज वह अपना पेशा छोड़कर राजनीति में बड़े मुकाम पर काबिज है.
जी हां, उत्तराखंड की राजनीति में अपना नाम बना चुके विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री भी आज से पहले शिक्षक थे. यह संख्या एक-दो से कहीं ज्यादा है. चलिए हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड में विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए कौन-कौन से ऐसे नेता हैं जो राजनीति की पारी शुरू करने से पहले एक शिक्षक हुआ करते थे.
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रमेश पोखरियाल 'निशंक'
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए रमेश पोखरियाल 'निशंक' पहले एक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. निशंक ने साल 1982 में देहरादून स्थित जगमोहन सरस्वती शिशु मंदिर, मोती बाजार में बतौर सहायक अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी, जिसके बाद जोशीमठ और श्रीनगर में बच्चों को भी पढ़ाया. इसके बाद ही राजनीति की राह पकड़ ली. निशंक अपनी काबिलियत के बल पर न सिर्फ विधायक और सांसद बने बल्कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके है.
हरक सिंह रावत
साल 2016 से पहले कांग्रेस शासनकाल में कैबिनेट मंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हरक सिंह रावत पहले शिक्षक थे. हरक सिंह रावत ने उत्तराखंड के श्रीनगर स्थित एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय से बतौर शिक्षक अपने करियर की शुरुआत की थी. हालांकि, वर्तमान में बीजेपी शासनकाल में मंत्रिमंडल में शामिल हैं.
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इंदिरा हृदयेश
उत्तराखंड की राजनीति में इंदिरा हृदयेश का नाम कद्दावर नेताओं में लिया जाता है. राजनीति में आने से पहले इंदिरा हृदयेश राजकीय इंटर कॉलेज में हल्द्वानी प्रिंसिपल का पदभार लंभाल चुकी हैं. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2002 में उत्तराखंड की राजनीति में सर्वाधिक पावरफुल मंत्री भी थीं. कांग्रेस शासनकाल के दौरान इंदिरा हृदयेश मंत्रिमंडल में शामिल होकर वित्त विभाग जैसे कई महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाल चुकीं हैं. इसके साथ ही उत्तरप्रदेश के समय में शिक्षकों के कोटे से एमएलसी भी रह चुकी हैं .
ममता राकेश
ममता राकेश एक ऐसा नाम है, जिन्होंने साल 2015 में अपने पति सुरेंद्र राकेश के निधन के बाद राजनीति में अपना सफर शुरू किया. हालांकि, साल 2015 से पहले ममता राकेश, भगवानपुर के शाहपुर विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत थीं. पति सुरेंद्र राकेश के निधन के बाद ममता भगवानपुर सीट पर हुए उपचुनाव को जीतकर पहली बार विधायक बनीं. वर्तमान में ममता राकेश कांग्रेस पार्टी से भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.
उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने शिक्षक की लाइन से अलग सक्रिय राजनीति की राह पकड़ी. इनमें जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं मधु चौहान, चकराता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकीं है. हालांकि इन्हें जीत नसीब नहीं हुई. इसके साथ ही साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने के लिए शूरवीर लाल ने वीआरएस ले लिया. घनसाली से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे. यही नहीं, प्रोफेसर जीतराम, यशपाल बेनाम, गंगा पंचोली, शैलारानी रावत समेत कई शिक्षक भी टीचर से सक्रिय राजनीति में पहुंचे हैं.