मसूरी: नगर पालिका मसूरी को पार्किंग के स्थान पर आवास निर्माण के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. ऐसे में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने पार्किंग के स्थान पर आवास बनाये के मामले में अपने अग्रिम आदेश तक पालिका को किसी भी प्रकार का आवास आवंटन या कोई कब्जा दिये जाने पर रोक लगा दी है. वहीं, इस मामले में न्यायालय ने आदेश दिया है कि पूर्व में किये गये निर्माण कार्य और चल रहे कार्य न्यायालय के अग्रिम आदेशों के अधीन निर्णय के अधीन रहेंगे. वहीं, पालिका द्वारा किये गये निर्माण कार्य के लिये न्यायालय से कोई याचना नहीं की जा सकेगी. लिहाजा, अब पार्किंग निर्माण के मुद्दे को पालिका द्वारा आवास में बदलने के प्रयासों पर नियमित सुनवाई 22 दिसंबर 2022 से होगी.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि नगर पालिका द्वारा पार्किंग का टेंडर निकाला गया और सारी औपचारिकतायें पार्किंग के नाम से की गई, संबंधित ठेकेदार का भुगतान भी पार्किंग कार्य के लिये किया गया है लेकिन कॉलम्स-विम्स का कार्य पूर्ण होने के बाद पालिका को ज्ञात हुआ है कि शुरु से ही यह निर्माण पार्किंग लायक नहीं है और पालिका अध्यक्ष सहित इंजीनियर्स सबका मानना है कि यहाँ पार्किन नहीं बन सकती है. इसलिए इस निर्माण को आवास में बदल दिया जाय और अब आवास निर्माण का कार्य किया जा रहा है.
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ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने मसूरी पालिका की कार्यप्रणाली व नीयत पर सवाल खड़े किये गये हैं. पालिका के ऑर्किटेक्ट, इंजीनियर्स , अधिकारी अभी तक पार्किंग निर्माण की बात करते आये हैं जबकि अंतिम चरण में पार्किंग बनाया जाना असंभव बता कर आवास बनाये जाने का प्रस्ताव 21 जून 2022 की पालिका बोर्ड बैठक में स्वीकृत किया गया है.वहीं, पार्किंग के नाम पर मसूरी नगर पालिका 3 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि व्यय कर चुकी है.
इस पूरे मामले में मसूरी की जनता में पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, अभियंता व अधिकारी तथा सभासद के प्रति आक्रोश है. उनका कहना है कि आवास बनाये जाने से कुछ लोगों को लाभ हो सकता है लेकिन जनहित की महत्वपूर्ण आवश्यकता पार्किंग को बदला जाना किसी बड़े घोटाले की ओर आशंका व्यक्त करता है. इस 5 मंजिले निर्माण के बगल में ही 5 मंजिला 50 वर्षों से पुराना मजदूर भवन बना है, जिसकी मजबूती पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय जोन 4 के अंतर्गत आता है और भविष्य की किसी भी आपदा में जन धन की हानि का कारण बन सकता है.
वहीं, मजदूर भवन व नये निर्माण के बीच ग्राउंड लेवल पर मात्र एक मीटर दूरी है, जो ऊपरी मंजिल की ओर जाते जाते क्रमशः घटती जाती है और टॉप लेवल पर मुश्किल से आधा फीट भी नहीं रह जाती है . नोएडा ट्विन टॉवर का प्रकरण सबके सामने है और उसी प्रकार का अवैध निर्माण मेसोनिक लॉज पर पालिका द्वारा किया गया है. जबकि, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2013 में बिना मानचित्र स्वीकृत कराये निर्माण के लिये चालान काटा गया है लेकिन 7 वर्षों से प्राधिकरण द्वारा इसका निस्तारण न किया जाना बड़े भ्रष्टाचार को जन्म देता है.
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ऐसे में यह नया निर्माण 5 मंजिल से भी अधिक हो चुका है जिसकी ऊंचाई 15 मीटर से भी अधिक हो जाती है जबकि प्राधिकरण मात्र 11 मीटर ऊंचे निर्माण की अनुमति देता है. वहीं, पालिका अध्यक्ष प्राधिकरण के सदस्य होता है. ऐसी दशा में अपने ही प्राधिकरण के नियमों का उल्लंघन पालिका अध्यक्ष द्वारा किया जाना गंभीर विषय है.
साथ ही इसी निर्माण की टॉप लेवल पर वेंडर जोन जे नाम पर दुकानें बनाई गयी हैं, जिनका 25 प्रतिशत भाग नये निर्माण तथा 75 प्रतिशत भाग पुराने मजदूर भवन जो 50 वर्ष से अधिक पुराना निर्माण है. ऐसे में इसके ऊपर निर्माण से खतरा हो सकता है. वहीं, इस दुकान निर्माण का भी चालान किया गया है. साथ ही आवास निर्माण की कोई औपचारिकताएं पूरी नहीं की गई है.
आश्चर्यजनक बात यह है कि जिलाधिकारी जो प्राधिकरण उपाध्यक्ष भी है, उनके द्वारा निरीक्षण होने के बाद भी कोई कार्यवाही न किया जाना सरकार की कार्यप्रणाली पर सन्देह करता है. वहीं, इस चल रहे निर्माण कार्य को न रोके जाने से प्राधिकरण व प्रशासन दोनों पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. ऐसे में इस जनहित याचिका में डीएम देहरादून, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण व अधिशासी अधिकारी व पालिका अध्यक्ष को पार्टी बनाया गया है.