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सौहार्द एवं सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे ये मुस्लिम कारीगर!

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Published : Nov 12, 2019, 7:44 AM IST

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कई मुस्लिम कारीगर लकड़ी के मंदिर बनाकर आपसी भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं. अयोध्या विवाद पर आए फैसले पर इन कारीगरों का कहना है कि उन्हें इसको लेकर कतई गुरेज नहीं है. उनका मानना है कि कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर अच्छा किया है.

सौहार्द एवं सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे ये मुस्लिम कारीगर.

सहारनपुर: लगभग 500 सालों से चले आ रहे ऐतिहासिक विवाद यानी अयोध्या भूमि विवाद का फैसला देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सुना दिया है. कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से सभी धर्मों के लोग संतुष्ट नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कुछ गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी एक अनूठी मिसाल सहारनपुर में देखने को मिलती है.

सौहार्द एवं सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे ये मुस्लिम कारीगर.

लकड़ी के मंदिर बनाकर पेश कर रहे हैं अनूठी मिसाल
जनपद सहारनपुर हेंडीक्राफ्ट एवं वुडकार्विंग के लिए जाना जाता है. यहां की खास बात यह है कि कुशल मुस्लिम कारीगरों द्वारा लकड़ी के मंदिरों को तैयार किया जाता है, जो शीशम और नीम की भारी भरकम लकड़ियों को तराश कर मंदिरों का सुंदर रूप देते हैं. जो हाथ जुम्मे और ईद की नमाज पर दुआओं के लिए उठते हैं, वही हाथ इन मंदिरों को बनाकर अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं.

पढ़ें-हरिद्वार: गुलदार की दस्तक से खौफजदा लोग, वन महकमे से की निजात दिलाने की मांग


पीढ़ियों को हुनर देकर जाएंगे ये कारीगर
पीढ़ी दर पीढ़ी हजारों कारीगर मंदिर बनाते आ रहे हैं. ये कारीगर मंदिर के ऊपर गुबंद और माथे पर ॐ के साथ स्वास्तिक चिन्ह लगाकर मंदिरों की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे हैं.

मंदिर बनाकर मिलता है धार्मिक लाभ
जिले के सैकड़ों मुस्लिम परिवार मंदिरों को सुंदर रूप देकर न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं, बल्कि हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को भी कायम रखे हुए हैं. इन कारीगरों की मानें तो मंदिर बनाकर उन्हें धर्म लाभ तो मिलता ही है, साथ ही उनकी आमदनी भी हो जाती है. उनका कहना है कि मंदिर बनाकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है.

मंदिर बनाकर मिलता है आत्मिक बल
कारखाना मालिक का कहना है कि वह 20 साल से लकड़ी के मंदिर बनाते आ रहे हैं. उन्हें मंदिर बनाकर आत्मिक बल मिलता है. वहीं अयोध्या भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आया है, उसका वह तहेदिल से इस्तकबाल करते हैं.

सहारनपुर: लगभग 500 सालों से चले आ रहे ऐतिहासिक विवाद यानी अयोध्या भूमि विवाद का फैसला देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सुना दिया है. कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से सभी धर्मों के लोग संतुष्ट नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कुछ गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी एक अनूठी मिसाल सहारनपुर में देखने को मिलती है.

सौहार्द एवं सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे ये मुस्लिम कारीगर.

लकड़ी के मंदिर बनाकर पेश कर रहे हैं अनूठी मिसाल
जनपद सहारनपुर हेंडीक्राफ्ट एवं वुडकार्विंग के लिए जाना जाता है. यहां की खास बात यह है कि कुशल मुस्लिम कारीगरों द्वारा लकड़ी के मंदिरों को तैयार किया जाता है, जो शीशम और नीम की भारी भरकम लकड़ियों को तराश कर मंदिरों का सुंदर रूप देते हैं. जो हाथ जुम्मे और ईद की नमाज पर दुआओं के लिए उठते हैं, वही हाथ इन मंदिरों को बनाकर अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं.

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पीढ़ियों को हुनर देकर जाएंगे ये कारीगर
पीढ़ी दर पीढ़ी हजारों कारीगर मंदिर बनाते आ रहे हैं. ये कारीगर मंदिर के ऊपर गुबंद और माथे पर ॐ के साथ स्वास्तिक चिन्ह लगाकर मंदिरों की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे हैं.

मंदिर बनाकर मिलता है धार्मिक लाभ
जिले के सैकड़ों मुस्लिम परिवार मंदिरों को सुंदर रूप देकर न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं, बल्कि हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को भी कायम रखे हुए हैं. इन कारीगरों की मानें तो मंदिर बनाकर उन्हें धर्म लाभ तो मिलता ही है, साथ ही उनकी आमदनी भी हो जाती है. उनका कहना है कि मंदिर बनाकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है.

मंदिर बनाकर मिलता है आत्मिक बल
कारखाना मालिक का कहना है कि वह 20 साल से लकड़ी के मंदिर बनाते आ रहे हैं. उन्हें मंदिर बनाकर आत्मिक बल मिलता है. वहीं अयोध्या भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आया है, उसका वह तहेदिल से इस्तकबाल करते हैं.

Intro:नोट : आदरणीय डेस्क यह स्टोरी एक अच्छा पैकेज बनाया जा सकता है।

सहारनपुर : "मंदिर में दाना चुगकर चिड़िया मस्जिद में पानी पीती है, मैने सुना है राधा की चुनरी, कोई सलमा बेगम सीती है" सहारनपुर के मुस्लिम कारीगरों के सटीक बैठ रही है। सहारनपुर का विश्व विख्यात वुड कार्विंग कारोबार जहां दुनिया भर अपनी छाप छोड़ रहा है वही मुस्लिम कारीगर अपने हाथों से मंदिर बना कर हिन्दू मुलिस्म भाईचारे की अनोखी मिशाल पेश कर रहे है। कुशल कारीगरी से लकड़ी के सुंदर सुंदर मंदिर बनाकर दो जून की रोटी कमा रहे वहीं हिन्दू समाज समाज इन मंदिरों में अपने देवी देवताओं को स्थापित कर पूजा पाठ कर रहे है। खास बात ये है कि मुस्लिम समुदाय के कुशल कारीगर ॐ और स्वास्तिक के साथ के साथ हेंडीक्राफ्ट कर सजा रहे है। राम मंदिर पर आए फैसले के ये कारीगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे है हालांकि फैसले के बाद लकड़ी के इन मंदिरों की मांग भी बढ़ी है।





Body:VO 1 - आपको बता यादें कि उत्तर प्रदेश का जनपद सहारनपुर हेंडीक्राफ्ट एवं वुडकार्विंग के लिए ही नही जाना जाता बल्कि मुसलमानों द्वारा बनाये गए लकड़ी के मंदिरों से भी अपनी पहचान रखता है। शीशम और नीम की भारी भरकम लकड़ियों को तराश कर कुशल कारीगर लकड़ी के मंदिर सुंदर रूप देते हैं। जो हाथ जुम्मे और ईद की नमाज पर दुआओं के लिए उठते हैं वही हाथ इन मंदिरों को बनाकर अनोखी मिशाल पेश कर रहे है। पीढ़ी दर पीढ़ी हजारो कारीगर छोटे छोटे ही नही बड़े मंदिर बनाते आ रहे है। मंदिर के ऊपर गुबंद और माथे पर ॐ एवं स्वस्तिक चिन्ह लगाकर मंदिरों की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे है।

खास बात ये भी है कि हेंडीक्राफ्ट, कार्विंग के साथ ब्रासिंग भी जाती है।सहारनपुर के सेकड़ो मुस्लिम परिवार मंदिरों को सुंदर रूप देकर न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है बल्कि हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को भी कायम रखे हुए हैं। मंदिरों की सुन्दरता को देखते ही हर किसी को खरीदने की लालशा रखता है। कारीगरों की माने तो मंदिर बना कर उन्हें धर्म लाभ तो मिलता जी है साथ ही उनकी आमदनी भी हो जाती है। मंदिर बनाकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है।

वही कारखाना मालिक का कहना है कि वे 20 साल से लकड़ी के मंदिर बनाते आ रहे हैं। मंदिर बनाकर उन्हें जहां आत्मिक बल मिलता है वहीं अप्रत्यक्ष रूप से देवी देवताओं की पूजा करने का अवसर भी मिल जाता है। मुस्लिम समुदाय से जुड़े होने के कारण उन्हें किसी की कोई परवाह नही है। उनका कहना है दीपवली के मौके पर मंदिरों की ज्यादा बिक्री होती है। हालांकि राम मंदिर पर फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आया है उसका वे तहदिल से स्वागत करते है। इस फैसले के बाद लकड़ी के इन भव्य मंदिरों की मांग बढ़ने लगी है। एक ओर जहां अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर सौहार्द एवं सद्भाव का संदेश दिया है वही सहारनपुर के मुसलमान लकड़ी के मंदिर बनाकर सौहार्द एवं सद्भाव की अमिट छाप छोड़ रहे है। ऐसे में इन लाइनो को बोलना गलत नही होगा "एक रफी था महफ़िल में रघुपति राघव गाता था"


बाईट - अब्दुल अजीज ( मंदिर कारीगर )
बाईट - मुर्सलीन ( कारीगर )
बाईट - इसरार अहमद ( कारखाना मालिक )



Conclusion:FVO - लकड़ी के मंदिर बना रहे कारीगरों के मुताबिक मंदिर बनाकर उन्हें भगवान की सेवा करने की अनुभूति होती है। हालांकि कई कट्टरपंथी लोग उनके मंदिर बनाने पर एतराज भी जताते है लेकिन ये कारीगर उनकी परवाह किये बगैर हिन्दू मुस्लिम एकता की अमिट छाप छोड़ रहे है।

रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
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