देहरादून: उत्तराखंड को करीब 215 मेगावाट की 7 जलविद्युत परियोजनाओं को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय ने मिलकर हरी झंडी दे दी है. ये वो परियोजनाएं हैं, जिन पर करीब 50-90 फीसदी से तक काम भी हो चुका है, लेकिन लम्बे समय से इन परियोजनाओं को अलग अलग कारणों से रोक दिया गया था. ये सभी जलविद्युत परियोजनाएं गंगा या उसकी सहायक नदियों पर बन रही हैं.
इन हाइड्रो प्रोजेक्ट में तपोवन विष्णुगाड में धौली गंगा पर बना एनटीपीसी का वह प्रोजेक्ट भी शामिल है, जिसमें चमोली जिले के रैणी में फरवरी में आई आपदा के चलते बड़ा नुकसान हुआ था. अन्य प्रोजेक्टों में टिहरी स्टेज-II, विष्णुगाड पीपलकोट, सिंगोली भटवाड़ी, फाटा बुयोंग, मदमहेश्वर और काली गंगा-II के हाईड्रो प्रोजेक्ट शामिल हैं.
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जिसमें दो परियोजना उत्तराखंड जल विद्युत निगम की हैं, दो परियोजना THDC की और एक LANCO मंदाकिनी हाइड्रो, एक NTPC के साथ एक परियोजना L&T की है, जो लम्बे समय से अलग अलग कारणों से अधर में लटकी हुई थी.
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बता दें कि गंगा के साथ सहायक नदियों पर करीब 70 जलविद्युत परियोजनाएं बनाने का लक्ष्य रखा गया था. जिनसे करीब 9 हजार 5 सौ मेगावाट बिजली मिलनी थी, लेकिन वर्तमान में केवल 17 परियोजना हैं. जिनसे करीब दो हजार 600 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है. अन्य परियोजनाओं पर अभी भी पर्यावरण मंत्रालय के साथ सुप्रीम कोर्ट की नजर है.
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यूजेवीएनएल के एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि सात परियोजनाएं पहले से ही निर्माणाधीन हैं. इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा बन चुकी हैं. इन निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए कहा गया है कि इनको पूरा कर लिया जाए.
अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर करीब 70 परियोजना हैं, जिनमें से उच्चतम न्यायालय द्वारा 24 परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए कहा गया था. इन 24 परियोजनाओं के अलावा जो अन्य परियोजनाएं हैं, उसमें से 19 पूरी हो गई हैं. इसके अलावा जिन सात परियोजनाओं को पूरा करने का निर्णय लिया गया है.